पौड़ी जिले के नैनीडांडा के किनाथ/बरात से रामनगर जा रही बस के अल्मोड़ा जिले के मर्चुला के पास दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना अत्यंत पीड़ादायक है. अब तक इस दुर्घटना में 36 लोगों के मौत की खबर है. हम मृतकों को श्रद्धांजलि देते हैं, उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं.
इस दुर्घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लचर परिवहन व्यवस्था की पोल खोल दी है. इस दुर्घटना में भी बस में क्षमता से कई गुना अधिक सवारियों के होने की बात सामने आ रही है. आम तौर पर पहाड़ में सार्वजनिक परिवहन का जिम्मा जिन वाहनों पर है, वे बेहद जर्जर हालत में होते हैं, कम वाहनों के चलते ओवरलोडिंग आम है. सड़कों की हालत बेहद खराब है. मुख्यमंत्री भले ही 2022 से भी पहले से सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की घोषणा करते रहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पहाड़ में सड़कें बेहद खराब हालत में है.
इस दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिये हैं. यह भी रस्म अदायगी भर है. जुलाई 2018 में पौड़ी जिले के धुमकोट में भीषण दुर्घटना हुई थी, जिसमें 45 लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त भी तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिये थे. उस दुर्घटना के छह साल बाद हुई इस दुर्घटना की मजिस्ट्रेटी जांच से पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि इससे पहले की मजिस्ट्रेटी जांच पर क्या कार्रवाई हुई, उससे क्या सबक लिए गए ?
जर्जर परिवहन व्यवस्था और खराब सड़कों के हाथों लोगों के काल कवलित होने के सिलसिले पर लगाम लगाने के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत है.
--इन्द्रेश मैखुरी
राज्य सचिव, भाकपा (माले)
1 Comments
बहुत दुःखद
ReplyDelete