उत्तराखंड में आज सुबह से कतिपय लोग गदगद हैं, भाव विभोर हैं, इतने आनंदित हैं जैसे उनके आनंद का कोई वारापार ही नहीं ! और ऐसा हो क्या गया ? अजी सुबह-सुबह लोगों ने एक फोटो देख लिया ! फोटो किसी ऐसे-वैसे, ऐरे-गैरे का नहीं, आड़ू-बेडू- घिंघारू का नहीं बल्कि मुख्यमंत्री का ! वही मुख्यमंत्री, जिनके पद पर बैठने के बाद उत्तराखंड वालों को पता चला कि सिर्फ सुंदर स्त्रियों की ही नहीं होती सौन्दर्य प्रतियोगिता बल्कि मुख्यमंत्रियों की भी होती है ! उसी मुख्यमंत्री सौन्दर्य प्रतियोगिता में तो हमारे मुख्यमंत्री सबसे पहले नंबर पर आए ठैरे और फिर हैंडसम धामी कहलाए बल ! तो उन्हीं हैंडसम- धाकड़ मुख्यमंत्री का सुबह फोटो तैर गया सोशल मीडिया में कि वे रोपाई वाले खेत में रोपाई कर रहे हैं, बैल भी जोत रहे हैं ! पानी में तर खेत और उसमें मुख्यमंत्री !
घुटनों तक मटमैला रंग और उसके ऊपर झक्क सफ़ेद
कपड़ों में दमकते मुख्यमंत्री, क्या कलर कॉन्ट्रास्ट है ! जिसने
भी वेषभूषा का चयन किया, क्या गज़ब किया, खेत में मिट्टी-पानी का मटमैला रंग, उस रंग में घुले
हुए जैसे किसान, मरघिल्ले से बैल और उनके बीच चटक सफ़ेद कपड़ों
में चमकते-दमकते मुख्यमंत्री ! कतई फोटोजेनिक !
कुछ नासमझ पूछते हैं कि ऐसी फोटो खिंचवाने से क्या होता
है ? क्या खेती की स्थिति सुधरती है ? किसानों की हालत में
कोई सुधार होता है ? जिन बैलों की हड्डियां फोटो में भी गिनी
जा सकती हैं, उनकी सेहत कुछ बेहतर होती है ? क्या उत्तराखंड में बंजर होती खेती पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा ? मुख्यमंत्री के फोटोग्राफर-वीडियोग्राफर समेत तराई के एक रोपाई वाले खेत में
उतरने से क्या पहाड़ में बंजर होते खेत, जिनमें बंदर-सूअर-बाघ-भालू
नाच रहे हैं, क्या उनमें भी हरियाली लौटेगी ? मुख्यमंत्री के बैलों के साथ हल थामे हुए फोटो खिंचवाने से क्या गांव से लेकर
शहरों तक, हर चौक-चौराहे पर खुद घायल होते, मनुष्यों को घायल करते आवारा गौवंश यानि गाय, बैल, बछड़ों के दिन भी कुछ बहुरेंगे ?
ना जी ना, कुछ नहीं होगा इसमें
से तो क्या ? इन समस्याओं के चक्कर में मुख्यमंत्री अब फोटो-ऑप
ही करना छोड़ दें ? अरे भाई आम लोगों के खेतों में फसलों की बहार
न आएगी पर समर्थकों, दरबारियों, दरबार के
लाभार्थियों, छींका फूटने की आस में चियर लीडर बने हुओं के सोशल
मीडिया नुमा खेतों में जो हरियाली आई है, वो क्या कुछ कम है
! वो हरियाली लाना भी तो मुख्यमंत्री का काम है, कौशल है !
जिन समस्याओं को बारे में लोग सवाल पूछते हैं, भय्या हैंडसम-धाकड़ ने कौन सा उन समस्याओं को हल करने के नाम पर वोट मांगे
थे, जो वो उन्हें हल करें ! उन्होंने “धर्म
खतरे में है” का डर दिखा कर वोट मांगे थे, उस डर में कोई
कमी आई हो तो बताओ ! “धर्म खतरे में है” का डर ही सही, कुछ तो बढ़ रहा है, उनके राज में
!
-इन्द्रेश मैखुरी
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