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क्या उत्तराखंड एक और आपदा के मुहाने पर खड़ा है ?

 






  

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के आखिरी गाँव कुंवारी से करीब दो किलोमीटर आगे शंभू नदी में भूस्खलन के चलते झील बनने की खबरें समाचार माध्यमों में हैं.


खबरों के अनुसार 2013 और 2018 में भी इस नदी में झील बनी थी. अब  2022 में नदी में भारी पैमाने मलबा जमा होने के चलते एक किलोमीटर लंबी और पचास मीटर लंबी झील बन गयी है. स्थानीय लोगों के अनुसार नदी में भूस्खलन का मलबा और बोल्डर गिरने से झील बनी है.













शंभू नदी, पिंडर की सहायक नदी है, जो कुंवारी गाँव से पाँच किलोमीटर आगे पिंडर नदी में मिल जाती है. पिंडर नदी, पिंडारी ग्लेशियर से निकलती है, जबकि शंभू नदी, शंभू ग्लेशियर से निकलती.


पिंडर नदी, कर्णप्रयाग में आ कर अलकनंदा में मिल जाती है. इसलिए यह आशंका जताई जा रही है कि यदि शंभू नदी पर बनी यह झील टूटती है तो इसका प्रभाव पिंडर नदी पर पड़ेगा, जो गढ़वाल क्षेत्र में बड़ी तबाही का सबब बन सकता है. कुंवारी गाँव तो इस तबाही की चपेट में सबसे पहले आएगा.  


ईटीवी भारत उत्तराखंड में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बीते रविवार को तहसीलदार के नेतृत्व में एक जांच दल झील का निरीक्षण करके लौटा है और वे जिलाधिकारी, बागेश्वर को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे.


अंग्रेजी पोर्टल- द प्रिंट में छपी पृथ्वीराज सिंह की रिपोर्ट कहती है कि बागेश्वर की  जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को शंभू नदी पर बनी झील के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. 

 

वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है  कि उन्होंने बागेश्वर के जिलाधिकारी से झील के संबंध में बात की तो जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि मजदूरों और पोकलेन मशीन के जरिये नदी एकत्र मलबे को हटा दिया जाएगा. गुणानंद जखमोला जी ने लिखा है कि प्रशासन को यह अनुमान नहीं है कि जहां पर झील बनी है, वहाँ पोकलेन मशीन आसानी से नहीं जा सकती क्यूंकि वह जगह सड़क से लगभग 200 मीटर की दूरी पर है और वहां तक सड़क बनने में ही पंद्रह दिन लग जाएँगे.


द प्रिंट की रिपोर्ट और गुणानंद जखमोला जी के पोस्ट से तो लगता है कि प्रशासन शंभू नदी पर बनी झील के मामले में बहुत गंभीर नहीं है. 2013 से अब तक उत्तराखंड में जिन भी आपदाओं का शिकार लोगों को होना पड़ा,उस तबाही में तंत्र के ढीलेपन, अपर्याप्त सुरक्षा इंतजाम और खतरे की पूर्व आशंकाओं या पूर्व चेतावनियों की उपेक्षा, कई लोगों के जीवन लील गयी.


  उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि मामले की गंभीरता को देखते हुए नदी के प्रवाह को सामान्य करने के लिए कदम उठाई और सुनिश्चित करे कि शंभू नदी पर बनी यह झील, किसी तरह की तबाही का सबब न बने.


-इन्द्रेश मैखुरी 




1. https://www.etvbharat.com/hindi/uttarakhand/bharat/flow-of-shambhu-river-stopped-in-bageshwar-due-to-landslide/na20220627184435047047116?fbclid=IwAR0NibtUIoeE3Ut5W4I_tSNbAWGgvwoN_Kxv5_U_39UC0mm7TuPfbzkb5_0



2. https://theprint.in/india/fears-of-lake-burst-in-uttarakhand-village-authorities-order-inspection/1013784/?fbclid=IwAR0R6GTEmfE_tcP18OtNrsfTTRA9NA9zVEbaxT00aBG8VAlhvEs6Mb_Gwkg

    


3. https://www.facebook.com/photo/?fbid=10223657502239140&set=a.4359806306875

 

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