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जिनके नातेदारों पर एफ़आईआर , उन अफसरों की जांच करो सरकार

 







प्रति,


1.  1. श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,

    उत्तराखंड शासन, देहरादून.


 

2 2. श्रीमान मुख्य सचिव महोदय,

    उत्तराखंड शासन, देहरादून.


 

3 3. श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,

  उत्तराखंड पुलिस, देहरादून.


 

 

 

महोदय,

       कुछ अरसा पहले ही उत्तराखंड एसटीएफ़ ने यशपाल तोमर को भू माफिया के रूप में गिरफ्तार किया था. लेकिन अब उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के थाना दादरी में 20 मई 2022 को यशपाल तोमर के खिलाफ  एफ़आईआर से जो बातें सामने आई हैं, वे उत्तराखंड के लिए बेहद चिंताजनक है.












यह अनुसूचित जाति के लोगों की ज़मीनें जबरन हड़पने और उसका बैनामा अपने नाम कराने का मामला है. भारतीय दंड संहिता की 420, 467, 468, 471 और 506 के तहत दर्ज की गयी उक्त एफ़आईआर में यशपाल तोमर समेत नौ लोग आरोपी हैं. इनमें से तीन के बारे में ज्ञात हुआ है कि वे उत्तराखंड के दो आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी के परिजन / रिश्तेदार हैं. ये तीनों ही अफसर अतीत में हरिद्वार जिले में जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर रहे हैं. एफ़आईआर में जिक्र है कि यशपाल तोमर ने जमीन देने में आनाकानी करने वालों के खिलाफ जिन जगहों पर डराने-धमकाने के लिए एफ़आईआर करवायी, उन जगहों में हरिद्वार जिले का कनखल भी शामिल है. लक्ष्मण झूला का नाम भी ऐसी जगहों में शामिल है.











महोदय, यह अत्यंत गंभीर मामला है. शासन में उच्च पदों पर बैठे हुए अफसरों के परिजनों/ रिश्तेदारों पर भू माफिया से सांठगांठ और डरा-धमका कर जमीन हड़पने का संगीन आरोप लगा है.


अतः उक्त मामले में इन अफसरों की भूमिका की जांच होना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए सबसे पहले इन्हें समस्त प्रशासकीय दायित्वों से विरत किया जाये,इन्हें लंबी छुट्टी (forced leave) पर भेजा जाये. इस प्रकरण की विभागीय जांच के अतिरिक्त माननीय उच्च न्यायालय के सेवरात अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करवायी जाये.


महोदय, उत्तराखंड अपराध मुक्त रहे, इसलिए आवश्यक है कि शासन-प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे हुए लोग बेदाग हों. यह सुनिश्चित करने के लिए इस प्रकरण में ऊपर सुझाए गए तरीके से जांच अमल में लायी जाये.


सधन्यवाद,


सहयोगाकांक्षी,

इन्द्रेश मैखुरी

गढ़वाल सचिव

भाकपा(माले)

 

 

 

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