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हरिद्वार की घटना जघन्यतम, वीभत्स, अमानवीय !

 

हरिद्वार में जो हुआ वो जघन्यतम है, वीभत्स है, भयावह है, घृणित है, अमानवीय है. 





एक महिला द्वारा अपनी ही बच्ची के साथ गैंगरेप करवाना, यह अविश्वसनीय है, सोच से भी परे है. लेकिन महिला की बेटी का ही आरोप है कि ऐसा हुआ है और कई कई बार हुआ है. यह सोच कर ही सिहरन होती है कि एक बच्ची के साथ, गैंगरेप हुआ, कई कई बार हुआ और ऐसा करवाने वाली उसकी अपनी मां थी  ! सोचिये तो किस कदर घृणा, आपराधिक मानसिकता और विकृति से भरी हुई महिला थी वो. और कैसा वहशी उसका कथित बॉयफ्रेंड व उसका दोस्त था, जो ऐसा करने के लिए राजी हो गए  ! 


इस पर तुर्रा ये कि उक्त महिला सामाजिक- राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी हुई है, पिछले साल तक तो हरिद्वार में वह भाजपा की पधाधिकारी रही है. संस्कारवान पार्टी की संस्कारवान कार्यकर्ता  ! जो महिला अपनी बेटी के साथ गैंगरेप करवाने के लिए गिरफ्तार की गयी है, वो छह दिन पहले फेसबुक  पर अंकिता भंडारी के मामले में फैसला आने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान शेयर कर रही थी  ! उसकी फेसबुक प्रोफाइल कृष्ण भक्ति से लेकर तमाम चीजों से भरी पड़ी है. कृष्ण भक्ति के वीडियो पोस्ट करने वाली ने हरिद्वार के अलावा वृंदावन में भी अपनी बच्ची से दुष्कर्म करवाया ! बेटी बचाओ नारे वाली पार्टी की पूर्व पदाधिकारी और कार्यकर्ता ने ऐसा जघन्य आपराध किया है तो बेटी किससे बचाएं और कैसे बचाएं  ? तीन दिन पहले ही उक्त महिला बाकियों के फरिश्ते होने के बीच स्वयं के मनुष्य होने का पोस्टर फेसबुक पर चस्पा कर रही थी ! जिसने मनुष्यता को तार- तार कर दिया, वो पकड़े जाने से पहले तक मनुष्य होने का ऐलान भी खम ठोक कर कर रही थी  ! 


एक तरफ रात दिन धार्मिकता का प्रचार प्रसार है और दूसरी तरफ घरों के भीतर के भीतर ही इस तरफ के दुर्दांत अपराध पनप रहे हैं. रात दिन- धर्म खतरे में है- का नारा चहुँ ओर उछाला जा रहे, अरे अहमको, धर्म नहीं मनुष्यता खतरे में है, इंसानी रिश्ते तार- तार हो रहे हैं ! 


इस दौर में धर्म देख कर अपराध पर खून खौलने का चलन परवान चढ़ा है और उसी पार्टी के राज व संरक्षण में फला - फूला है, जिससे हरिद्वार की आरोपी महिला का संबंध रहा है. इसलिए मुमकिन है कि इस मामले में कसमसाहट तो खूब हो पर खौलता हुआ खून सड़कों पर न दिखाई दे. लेकिन याद रखिये, अपराध के मामले में धर्म देख कर प्रतिक्रिया से अपराध और अपराधी ही पनपते व फलते- फूलते हैं, हरिद्वार उसकी बानगी है ! 


-इन्द्रेश मैखुरी

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