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साथानकुलम : तो क्या मोबाइल फोन के लिए कत्ल किए गए बाप-बेटे ?

साथानकुलम की घटना में सामने आए नए तथ्य तो तमिलनाडू पुलिस के दरिंदगी की  और अधिक हौलनाक तस्वीर सामने लाते हैं.


रेडियो जौकी सुचित्रा ने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर पहले-पहल इस मामले को  सार्वजनिक किया था.सुचित्रा के वीडियो के बाद ही देश को इस लोमहर्षक कांड की जानकारी मिली थी.


अब जो नए तथ्य इस मामले में सुचित्रा सामने लायी हैं,वे पुलिस की कहानी की धज्जियां उड़ा कर रख देती हैं.  वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त के साथ उनके कार्यक्रम मोजो( MOJO) में बात करते हुए सुचित्रा ने कहा कि पुलिस की कहानी पूरी तरह झूठी है. उनके अनुसार मामला इस बात से शुरू नहीं हुआ कि पुलिस कस्टडी में दर्दनाक तरीके से मारे गए बाप-बेटे ने लॉकडाउन के लिए निर्धारित समय के बाद तक दुकान खुली रखी. सुचित्रा कहती हैं कि असल में पुलिस ने इस बाप-बेटे जयराज और फीनिक्स से दूसरे मसले में हुए विवाद का बदला लिया. सुचित्रा स्पष्ट करती हैं जयराज के बेटे का नाम फीनिक्स था,बेनिक्स नहीं जैसा उच्चरित किया जा रहा है.



सुचित्रा के अनुसार पुलिस उनके मोबाइल फोन की दुकान पर साढ़े सात बजे आई.  लॉकडाउन नियमों के हिसाब से यह समय, दुकान बंद करने के लिए निर्धारित समय से आधा घंटा पहले का समय था. तो पहली बात पुलिस की कहानी में यही झूठ है कि लॉकडाउन कर्फ़्यू तोड़ने के लिए पुलिस ने बाप-बेटे के खिलाफ कार्यवाही की. सुचित्रा के अनुसार सैकड़ों दुकानदार इस बात की गवाही देने के लिए आज तैयार हैं.


रेडियो जॉकी सुचित्रा के अनुसार एक पुलिस इंस्पेक्टर फीनिक्स की दुकान पर मोबाइल लेने आया. पुलिस वाला चाहता था कि मोबाइल फोन वह ईएमआई पर ले ले. लेकिन उस इलाके में दुकानदार पुलिस वालों को ईएमआई पर कुछ नहीं देते क्यूंकि पुलिस वाले ईएमआई पर लेने के नाम पर फिर पैसा देते ही नहीं हैं.इसी बात पर झगड़ा शुरू हुआ. पुलिस कर्मियों ने दोनों बाप-बेटों को पीटते हुए कहा कि तुम्हारी हमें जवाब देने की हिम्मत कैसे हुई !




                  
                   वीडियो सौजन्य-बरखा दत्त https://twitter.com/BDUTT/status/1276914213915488262



सुचित्रा कहती हैं कि दोनों बाप-बेटों को एक दूसरे के सामने नंगा किया गया और एक-दूसरे के सामने उनके गुप्तांगों में लाठियाँ डाली गयी. उनके यौनांगों को क्षत-विक्षत कर दिया गया और यह समझा जा रहा है कि अत्याधिक रक्तस्राव से उंकी मौत हो गयी. तीन जोड़ा लुंगियाँ दोनों बाप-बेटों को दी गयी,हर बार खून से तरबतर लूँगी सामने आती थी. सुचित्रा के अनुसार पुलिस ने उनको पुलिस जीप में अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया क्यूंकि वे जीप को खून से खराब नहीं होने देना चाहते थे.
इस घटना के सामने आने के बाद मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस प्रकरण में  तूथूकुड़ी जिले के वरिष्ठ पुलिस अदीक्षक को जांच करने का आदेश दिया. दो पुलिस सब इंस्पेक्टरों को निलंबित किया गया है,एक इंस्पेक्टर का तबादला किया गया है और दो कांस्टेबलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गयी है.


लेकिन सुचित्रा कहती हैं कि सिर्फ चार पुलिस वाले ही इन्हें पीटने में शामिल नहीं थे बल्कि चार दिन तक 17-18 पुलिस वालों ने दोनों बाप-बेटों को पीटा और इस कदर पीटा कि वे मर गए.


कितना भयानक है,यह पुलिस वालों को बिना पैसा दिये मोबाइल फोन देने से इंकार किया तो कीमत जान दे कर चुकानी पड़ी. इस पुलिसिया दरिंदगी की कोई सफाई दी जा सकती है भला ! पुलिस का यह मानना कि वे कानून से ऊपर हैं और जो वे कह दें,उसका मोल तो न्याय और संविधान से भी ऊपर है,इससे भयानक कुछ नहीं हो सकता.


यह पुलिसिया हनक जानलेवा है,इसपर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए. लोगों की जान,न्याय और कानून के लिए भी यह जरूरी है.



जयराज और फीनिक्स को न्याय दो.  



-इन्द्रेश मैखुरी 




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