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अंकिता भंडारी प्रकरण : न्याय की कसौटी

 

उत्तराखंड में हुए बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय का एक चरण पूरा हुआ. सितंबर 2022 में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड के तीनों आरोपियों को अपर जिला जज, कोटद्वार की अदालत ने हत्या,साक्ष्य मिटाने ,अनैतिक देह व्यापार व छेड़खानी के लिए तीनों अभियुक्तों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अंकिता के परिवार को 4 लाख मुआवजा देने का भी फैसला सुनाया.





तीनों हत्यारोपियों को दोषी करार दिया जाना और आजीवन कारावास की सजा होना तात्कालिक राहत है. लेकिन इससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता क्योंकि न्याय पाने की इस लड़ाई को हत्यारे करार दिये गए रसूखदार, अगले चरण में ले जा कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे. इसलिए अंकिता भंडारी के न्याय के आकांक्षी तमाम लोगों को सचेत और सतर्क हो कर, इस मामले आगे होने वाली हर गतिविधि पर नज़र बनाए रखनी होगी.


हत्यारों को सजा होना न्याय की जीत है. लेकिन इस मामले में जिस वीआईपी का जिक्र शुरू से होता रहा, उसकाे कानून के कठघरे में न ला पाना उत्तराखंड सरकार और पुलिस की नाकामी है. यह बात सामने आई थी कि भाजपा नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य ने अपने स्वामित्व वाले वनंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर काम करने वाली 17 वर्षीय अंकिता भंडारी पर किसी "वीआईपी" को "स्पेशल सर्विस" देने का दबाव बनाया और अंकिता के इंकार करने पर उसकी हत्या कर दी.


यह सवाल मन में उठता है कि क्या सरकार और पुलिस ने खुद ही यह नाकामी अंगीकार कर ली. यह संदेह इसलिए पैदा होता है क्योंकि हत्यारे करार दिये गये पुलकित आर्य का पूरा परिवार भाजपा से संबद्ध है. यह संदेह लगातार व्यक्त किया जाता रहा है कि उक्त वीआईपी की पृष्ठभूमि भी क्या वही है ? 


यह आश्चर्य की बात है कि जब पूरा उत्तराखंड अंकिता भंडारी के लिए न्याय की मांग कर रहा था तो आज हत्यारे करार दिये गए लोगों के पक्ष में आरएसएस पृष्ठभूमि के लोग वकील के तौर पर खड़े हुए. हत्यारे भाजपाई पृष्ठभूमि के थे और वकील आरएसएस पृष्ठभूमि के, ये "बेटी बचाओ" के नारे की हकीकत काफी हद तक बयान कर देता है.


जिस तरह से अंकिता भंडारी के मामले में पहले कमजोर सरकारी वकील रखा गया और अंकिता के माता- पिता के धरने पर बैठने के बाद ही सरकारी वकील बदला गया, वनंतरा रिज़ॉर्ट को जेसीबी से ढहाने के लिए जिम्मेदार बताई गयी यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, उससे उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार की पक्षधारता का भी खुलासा हो गया. पौड़ी जिले में डोभ श्रीकोट स्थित नर्सिंग कॉलेज का नाम अंकिता भंडारी के नाम पर करने की मुख्यमंत्री की घोषणा आज भी पूरी नहीं हुई है.


अंकिता भंडारी के जघन्य हत्याकांड के बावजूद उत्तराखंड में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध रोकने के लिए भाजपा सरकार ने कोई ठोस उपाय नहीं किया. इसके चलते महिलाओं के विरुद्ध अपराध की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. विडंबना यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ऐसी घटनाओं में सांप्रदायिक कोण तलाश कर सांप्रदायिक विभाजन के जरिये फायदा उठाने की कोशिश करती है.


वी आई पी को कानून के कठघरे में खड़ा करना और महिला सुरक्षा का मुक्कमल इंतजाम ही अंकिता भंडारी के न्याय की कसौटी है.


-इन्द्रेश मैखुरी


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