आपदा प्रबंधन तो पुलिस, फौज, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ करेंगे, इसलिए भाजपा ने जिला पंचायत प्रबंधन करना चुना. वैसे भी आपदा प्रबंधन में तो नेतागणों का हेलीकॉप्टर में घूमना और उसका फोटो शूट ही बड़ी उपलब्धि मान लिया जाता है ! इसलिए भी भाजपा ने जिला पंचायत प्रबंधन चुना, जिसमें धनबल, बाहुबल पर्याप्त मात्रा में लगता है. जिला पंचायत प्रबंधन के लिए भी भाजपा ने उसी जिले को सबसे आगे रखा, जिसको आपदा के कुशल प्रबंधन की सर्वाधिक जरूरत है यानि उत्तरकाशी. आपदा के मारों को तो मुआवजे की राशि जब मिलेगी, तब मिलेगी, पर उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला पंचायत प्रबंधन के तहत प्रबंधित किये गए कर्मठ, युवा, जुझारुओं को "एडवांस" मिल गया होगा !
जिन "सज्जन" के गले में आज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने गले में माला डाली, उन्हें बीते पांच बरस में भाजपा की ही सरकार ने महाभ्रष्ट करार दिया और जिला पंचायत अध्यक्ष के अधिकांश कार्यकाल में इन्हीं भ्रष्टाचार के आरोपों में उनकी पॉवर सीज रखी. भाजपा के उत्तरकाशी जिले के दो वर्तमान विधायकों, दो पूर्व विधायकों, तीन दायित्वधारियों, दो पूर्व जिला अध्यक्षों, राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की पूर्व सदस्य, वर्तमान जिला अध्यक्ष और प्रदेश मीडिया प्रभारी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख कर कहा कि उक्त "सज्जन" उत्तरकाशी जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हैं. पत्र लिखने वालों ने यह भी लिखा कि प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति है. इसलिए उक्त "सज्जन" को भाजपा में न लिया जाए. लेकिन ये पत्र लिखने वाले शायद यह भूल गए कि भ्रष्टाचार के आरोपियों और भाजपा का तो लोहे और चुंबक जैसा रिश्ता है. जैसे लोहा हर हाल में खिंच कर चुंबक के पास ही आता है, वैसे ही भ्रष्टाचार का आरोपी कहीं भी हो, उस पर आरोप लगने के बाद, उसका भाजपा की तरफ खिंचा चला जाना, निश्चित हो जाता है ! उक्त " सज्जन " जिस तरह सांप्रदायिक जहर समय- समय पर उगलते रहते थे, उससे वे भाजपा में जाने की अर्हता लगातार सिद्ध कर रहे थे. भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता का कॉकटेल ऐसा है, जिसे भाजपा वालों का- "दिल मांगे मोर" !
इसीलिए यह हुआ कि जिन प्रदेश प्रवक्ता महोदय ने उक्त " सज्जन " को भ्रष्ट बताते हुए पार्टी में न लेने की गुजारिश करती चिट्ठी पर दस्तखत किये थे, उन्हें ही उक्त "सज्जन" ने अपना बड़ा भाई और उत्तरकाशी जनपद की आन-बान-शान करार दिया !
अतीत में भ्रष्टाचारी ठहराए गए और आज राष्ट्रवादी बाना धारण करने वाले "सज्जन" के मामले में कांग्रेस ने 2022 से अब तक दोहरा नुकसान झेला. यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रत्याशी रह चुके व्यक्ति की जगह 2022 में उक्त " सज्जन " को टिकट दिया. पहले प्रत्याशी रह चुके व्यक्ति ने निर्दलीय चुना लड़ा और वो जीते. अब दूसरा नुकसान यह कि उक्त " सज्जन " भी भाजपा के शरणागत हो गए !
बहरहाल भ्रष्टाचार के आरोपियों का पुनः मार्गदर्शन किया गया है कि वे भाजपा का राष्ट्रवादी बाना धारण कर लें तो उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप- "दाग अच्छे हैं"- की श्रेणी में तुरंत दर्ज किये जा सकते हैं !
-इन्द्रेश मैखुरी
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