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मंत्री के बोल देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए खतरा : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

 


मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री  विजय शाह के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर ने तत्काल मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. कर्नल सोफ़िया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताने वाले मंत्री के बयान का स्वतः संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर की दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को उक्त प्रकरण में तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये.





मंत्री की भाषा पर कठोर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने अपने आठ पन्ने के फैसले में लिखा कि मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफ़िया कुरैशी के बारे में घटिया भाषा का इस्तेमाल करके देश के सैन्य बलों को निशाना बनाया गया है, जो कि सत्यनिष्ठा, अनुशासन, त्याग, निस्वार्थ चरित्र, सम्मान  और अदम्य साहस वाला संभवतः अंतिम संस्थान इस देश में शेष हैं, जिनके मूल्यों के साथ देश के नागरिक स्वयं को संबद्ध कर सकते हैं.






 उच्च न्यायालय ने मंत्री के कृत्य को देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला करार दिया. न्यायालय ने  कहा कि प्रथम दृष्टया मंत्री द्वारा कर्नल सोफ़िया कुरैशी को पहलगाम हमला करने वाले आतंकवादियों की बहन बताना, ऐसा बयान है जो मुसलमानों में अलगाववाद की भावना भरता है, इसलिए यह भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है, अतः मंत्री के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 का मामला बनता है.


साथ ही   धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास भाषा आदि के आधार पर शत्रुता पैदा करने के अभियोग के लिए लगाई जाने वाली भारतीय न्याय संहिता की  धारा 196 भी प्रथम दृष्टया  मंत्री के विरुद्ध बनती है.  उच्च न्यायालय ने कहा कि खास तौर पर धारा  196(1) (ब) जो ऐसे कृत्य को अपराध घोषित करती है जो कि  विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द कायम करने में बाधक हों और जिससे सार्वजनिक शांति को नुकसान पहुंच सकता है, का अभियोग भी मंत्री के विरुद्ध दर्ज किया जाना चाहिए.


न्यायालय ने कहा कि कर्नल सोफ़िया कुरैशी पर की गयी अपमानजनक टिप्पणी से ऐसा लगता है कि भारत के प्रति निस्वार्थ सेवाओं के बावजूद किसी व्यक्ति का सिर्फ इसलिए तिरस्कार किया जा सकता है क्योंकि वो मुस्लिम है. इसलिए न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि प्रथम दृष्टया 196(1) (ब) के तहत अपराध किया गया है.


उच्च न्यायालय ने कहा कि विजय शाह का बयान समुदायों के बीच  सौहार्द को खराब करने वाला, शत्रुता की भावनाएं पैदा करने वाला या घृणा या बदअमनी पैदा करने वाला है, इसलिए उनके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 197 का अभियोग भी पंजीकृत किया जाना चाहिए.


उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया कि वे मंत्री के खिलाफ 14 मई की शाम तक मुकदमा दर्ज करें, अन्यथा 15  मई को अवमानना की कार्रवाही के लिए तैयार रहें.


मंत्री विजय शाह ने  जिस तरह का सांप्रदायिक, घृणित और कुत्सित मानसिकता वाला बयान दिया था, उसके मद्देनजर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है. देश में घृणा फैलाने वालों के विरुद्ध ऐसे ही न केवल मुकदमें दर्ज किये जाने बल्कि सख्त सजा दिये जाने की की जरूरत भी है, अन्यथा सत्ता समर्थित मंत्री से लेकर ट्रोल्स तक समाज में इसी तरह सांप्रदायिक घृणा और हिंसा का माहौल बनाते रहेंगे.


 -इन्द्रेश  मैखुरी






 


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