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अग्निवीर देश के लिए गोली खाएंगे पर शहीद नहीं माने जाएंगे !

 

सेना और सैनिकों के बारे में बढ़-चढ़ कर बात करना और उन्हीं बड़ी-बड़ी बातों के आधार पर स्वयं को सेना का सबसे बड़ा हितैषी साबित करके, सेना के नाम पर वोट बटोरना भी भाजपाई राजनीति का अहम हिस्सा है. 


लेकिन उसी सेना में जाने वालों के साथ भाजपा सरकार ने क्या किया ? अग्निवीर के नाम पर नियमित फौज ही खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा दिये हैं. 


और उन अग्निवीरों के साथ क्या होगा ? अग्निवीर देश की सीमाओं पर जा कर देश की रक्षा के लिए लड़ेंगे, यहां तक की गोली भी खाएंगे ! लेकिन गोली खाने के बाद ये अग्निवीर शहीद का दर्जा तक नहीं पाएंगे ? 


हाल ही में जम्मू में सीमा पर प्राण गंवाने वाले 20 वर्षीय अग्निवीर आकाशदीप सिंह चहल का ही मामला देखिये. पहली रात को आकाशदीप सिंह ने अपने माता- पिता से फोन पर बात की. अगली सुबह खबर आई कि दुश्मन की गोली इस युवा सैनिक के सिर पर लगी और वह प्राण गंवा बैठा. 






लेकिन सीमा पर देश के लिए प्राण गंवाने के बावजूद आकाशदीप सिंह शहीद नही कहलाया क्योंकि वो अग्निवीर था. 


संलग्न वीडियो में आकाशदीप सिंह की मां की बात सुनिये. 







वे कह रही हैं- "मेरे बेटे के माथे पर गोली लगी, क्या उसने अपने लिए गोली खाई, बॉर्डर पर खड़े गोली लगी, घर पर तो गोली नहीं लगी ना. .. " वे कह रही हैं कोई प्रशासन का व्यक्ति मिलने तक नही आया. वे पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान को कठघरे में खड़ा करते हुए कह रही हैं कि मुख्यमंत्री का बयान तक नहीं आया. वे कह रही हैं कि उन्हें पता है, उनका बेटा वापस नहीं आयेगा, लेकिन वे उसकी अस्थियां तब तक प्रवाहित नहीं करेंगी, जब तक उनके बेटे को शहीद का दर्जा नहीं मिल जाता !  


कलेजा कट रहा है, उनकी बात सुन कर.


देश भर में तिरंगा यात्रा कर रहे हो और सीमा पर गोली खाने वाले को तिरंगा भी नसीब नहीं होगा, ये कैसी तिरंगा सम्मान यात्रा है ? 


 सेना के झंडाबरदार बनने वालो, सेना की कुर्बानी वोटों के लिए भुनाने वालो, कितने अहसान फरामोश, कितने कृतघ्न हो तुम कि सीमा पर गोली खाने वाले को शहीद का दर्ज तक न दोगे ! उनकी कुर्बानी पर, उनके खून की सुर्खी से वोटों की फसल काटोगे और कुर्बानी देने वाला शहीद भी नहीं कहलाएगा ! लानत है !  


-इन्द्रेश मैखुरी

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