cover

क्या वास्तव में देश की सैनिक को आतंकवादियों की बहन कहने वाले भाजपाई मंत्री ने माफी मांग ली है?

 कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री कुंवर विजय शाह ने माफी मांग ली है.





उन्होंने बेहद घटिया तरीके से देश की सैनिक- कर्नल सोफिया कुरैशी को पाकिस्तानियों की बहन कहा था. यह उनकी कुत्सित मानसिकता का प्रदर्शन था. 





और यह कोई अलग- थलग सोच भी नहीं है. बीते दस - ग्यारह सालों से ऐसे ही लोग तो सत्ता शीर्ष से लेकर धरातल तक छाए हुए हैं, जो समय - समय पर अपना सांप्रदायिक जहर उलीचते रहते हैं और समाज को उस जहर में गर्क कर देना चाहते हैं. बल्कि ऐसा लगता है कि कई लोगों के लिए सत्ता की कुंजी और लाइमलाइट का दरवाजा यह सांप्रदायिक जहर ही है ! 


लेकिन क्या कुंवर विजय शाही ने वास्तव में माफी मांगी ? तीन अलग-अलग चैनलों पर उनके तथाकथित माफी वाला बयान सुनिये. 






एक भी बार अपने शब्दों के लिए अफसोस जाहिर नहीं कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि उनके शब्दों को उस अर्थ में न लिया जाए. 







और किस अर्थ में लिया जाए मंत्री जी, जबकि आपने साफ- साफ कहा कि " हमने उन्हीं की बहन भेज कर उनकी ऐसी की तैसी करवाई, एक बार मोदी जी के लिए जोरदार ताली बजा बजा दो, उन्होंने कपड़े उतार उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने हमारे जहाज पर उनके घर भेजा.... " क्या इसमें उनका मंतव्य साफ नहीं है, किन शब्दों का कोई अर्थ हो सकता है, जैसा कि मंत्री जी अपनी तथाकथित माफी में दावा कर रहे हैं ? इन शब्दों का एक ही अर्थ है कि देश की सेना की अफसर को वे धर्म के आधार पर लगातार "उनकी" यानि देश के दुश्मनों यानि पाकिस्तान और आतंकवादियों की बहन बता रहे हैं ? वे जहाज को "हमारा" और "बहन" को "उनकी" बात रहे हैं.

जो सेना के अफसरों या किसी भी नागरिक की पहचान उसके धर्म से करते हैं और इसी आधार पर अपना- पराया तय करते हैं, सोचिये उनकी मानसिकता किस कदर विकृत है ! 

यह साफ है कि कुंवर विजय शाह के शब्दों का घृणित सांप्रदायिक अर्थ के अलावा कोई अर्थ नहीं है. और जब वे सफाई दे रहे हैं तो वे देश की सेना की एक अफसर के लिए ऐसे घटिया शब्दों के प्रयोग के लिए माफी भी नहीं मांग रहे हैं बल्कि कह रहे हैं कि उनके शब्दों को उस अर्थ में न लिया जाए. आज तक चैनल पर तो वो कह रहे हैं कि "....उसकी हम जितनी निंदा करें कम है और वही बदला हमारी बहनों ने , अगर उस समाज की थी तो उस समाज से ऊपर उठ कर हमारी बहनों के सिंदूर का बदला लिया है.... " 







 यानि मिलेट्री को सल्यूट करता हूं, सगी बहन से भी बढ़ कर सम्मान करता हूं- जैसी लफ्फाजी के बाद मंत्री जी देश की सेना की अफसर को "उस समाज की" ही बता रहे हैं और कह रहे हैं कि "उस समाज से ऊपर उठ कर हमारी बहनों के सिंदूर का बदला लिया है" यानि तमाम छिछालेदर और लानत- मलामत के बाद भी वे भारत की सेना की अफसर को "उस समाज" की बताने से बाज़ नहीं आ रहे हैं. यह उनकी घनघोर सांप्रदायिक मानसिकता का पुनः प्रदर्शन या रिपीट टेलीकास्ट है ! हर बार प्रधानमंत्री का नाम वे इसलिए ले रहे हैं क्योंकि उनको पता है, कितना भी जहर उगल कर, उस नाम की आड़ में वे बच निकल सकते हैं. 


लेकिन क्या ऐसी घृणित मानसिकता वालों को ऐसे ही बच निकलने दिया जाना चाहिए, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे सत्ता शीर्ष पर हैं ? एक तरफ तिरंगा यात्रा निकलेगी और दूसरी तरफ उसी पार्टी के मंत्रियों के मुंह से सांप्रदायिक जहर की धारा भी आराम से बहने दी जायेगी ! क्या ये दोनों एक साथ चल सकता है ? निश्चित ही ऐसा तो नहीं होना चाहिए. अगर यह सिर्फ मंत्री कुंवर विजय शाह की राय है और इसमें भाजपा की सहमति शामिल नहीं है तो कुंवर विजय शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करके, मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और जेल भेजा जाना चाहिए. ऐसा नहीं होता तो समझिये भाजपा की मौन सहमति है कुंवर विजय शाह के इस विकृत, कुत्सित, सांप्रदायिक बयान को ! 


-इन्द्रेश मैखुरी 

Post a Comment

0 Comments