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खेल परिसरों के नाम बदलने का "खेल"

 

सरकार की ओर से पहले से मौजूद स्थलों या इंफ्रास्ट्रक्चर का नाम बदलने का शगल उत्तराखंड में भी धीरे- धीरे बढ़ रहा है.


कुछ क्षेत्रों के नाम बदले गए, जिसमें मियांवाला का नाम बदलने में तो खासी फजीहत हुई.


अब नाम बदलने के इस सरकारी रोग का कहर खेल इंफ्रास्ट्रक्चर पर बरपा है. खेल परिसरों के बदले नामों का ब्यौरा निम्नलिखित है  :

• देहरादून: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम आदि → ‘रजत जयंती खेल परिसर’

 • हल्द्वानी (गौलापार): इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर → ‘मानसखंड खेल परिसर’

 • रुद्रपुर: मनोज सरकार स्टेडियम आदि → ‘शिवालिक खेल परिसर’







नाम बदलने के लिए इन खेल परिसरों से लगते हुए अन्य खेल परिसरों- ढांचों को साथ मिलाकर एकीकृत नाम देने का तर्क गढ़ा गया है पर है ये पूर्व में दिये गये नामों को ढकने की कोशिश ही  ! 


राजीव गांधी- इंदिरा गांधी से तो भाजपा की खुन्नस समझी जा सकती है. जो 1964 में दुनिया से रुखसत हो चुके जवाहर लाल नेहरू से आज तक लड़ रहे हैं, सत्ता में एक दशक से अधिक तक रहने के बाद भी नेहरू  को हर बात के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वे राजीव और इंदिरा का भी मुकाबला नाम मिटा कर करना चाहें तो कोई हैरत की बात नहीं है.


लेकिन मनोज सरकार और वंदना कटारिया से क्या खुन्नस थी हैंडसम धामी जी ? 


उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले के रहने वाले  मनोज सरकार पैरा बैडमिंटन के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 50 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं, जिनमें 19 स्वर्ण पदक, 13 रजत पदक और 18 कांस्य पदक हैं. पैरा ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता हैं और 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके हैं.





इसी तरह हरिद्वार जिले की रहने वाली  वंदना कटारिया अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रही हैं. उन्होंने 300 से अधिक मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 158 गोल किये. उनके द्वारा खेले गए कुल मैच भी एक रिकॉर्ड है.





2013 के हॉकी जूनियर विश्व कप में वे भारत की तरफ से सर्वाधिक गोल करने वाली खिलाड़ी थीं और भारत ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता.


2021 के टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध हैट ट्रिक लगाई थी. महिला हॉकी में भारत द्वारा जीते गए कई अंतरराष्ट्रीय पदकों में वंदना की अहम भूमिका रही है. उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है.


तो नाम बदलने की अपनी खुड़क के चलते उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने न केवल भारत के दो दिवंगत प्रधानमंत्रियों के नाम वाले खेल परिसरों का नाम बदल दिया बल्कि भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले उत्तराखंड के दो खिलाड़ियों के नाम वाले खेल परिसरों के नामों पर भी अपनी चिप्पी चिपका दी है. भाजपा सरकार को अपने वाले नाम इतने पसंद हों तो वो बनाए नए स्टेडियम, खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और अपनी पसंद के नाम रखे. पर खुद कुछ नहीं बनाना है, सिर्फ बने-बनाए पर अपना स्टिकर चिपकाना, दसियों बरस सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा से इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पाता है  ! 


राजनीतिक द्वेष भाव से नाम बदलना कोई अच्छी प्रवृत्ति तो नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के नाम वाले खेल परिसरों का नाम बदलना तो बेहद निंदनीय है. उन्हें तत्काल यथावत किया जाना चाहिए.


-इन्द्रेश मैखुरी

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