प्रति,
महामहिम राज्यपाल महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.
महामहिम,
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के कुलपति पद पर तैनात प्रो. ओमप्रकाश सिंह नेगी जी का अधिवर्षिता आयु यानि 65 वर्ष की पूरी करने के बाद भी लगातार कुलपति पद पर बने रहना एक बेहद गंभीर मसला है. वे अपने मूल तैनाती स्थल- एसएसजे विश्वविद्यालय परिसर, अल्मोड़ा से 2023 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अभी भी कुलपति पद पर कायम हैं. यह अपने आप में अनोखा उदाहरण है कि कोई व्यक्ति प्रोफेसर के तौर पर दो वर्ष पूर्व रिटायर हो चुका है, लेकिन कुलपति के पद पर कायम है.
महामहिम, दिनांक 27 अप्रैल 2023 को राज्यपाल महोदय के सचिव की ओर से एक पत्र जिसकी पत्रांक संख्या- -/जी.एस./ शिक्षा/C7-12 (1)/2017 था, प्रो. ओमप्रकाश सिंह नेगी जी को भेजा गया था. उक्त पत्र में स्पष्ट तौर पर लिखा गया था कि “....चूंकि आपकी जन्मतिथि 16 जुलाई 1958 है, जिसके फलस्वरूप आपकी कुलपति पद पर अधिवर्षिता आयु तीन माह पश्चात दिनांक 16 जुलाई 2023 को पूर्ण हो जाएगी.”
लेकिन 3 जुलाई 2023 को बिना किसी कारण के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए, प्रो ओमप्रकाश नेगी के कुलपति पद का दूसरी बार पदग्रहण करने की तिथि से अधिकतम तीन वर्ष के लिए, उनका कार्यकाल विस्तारित कर दिया गया.
एक ही व्यक्ति को एक ही विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर अधिवर्षिता आयु पूरी करने के बावजूद इस तरह के सेवा विस्तार के निर्णय को बिना प्रश्नचिन्ह के स्वीकार करना आसान नहीं है. आखिर ऐसी क्या खास बात है कि एक व्यक्ति, अधिवर्षिता आयु पूरी करने के बाद भी एक विश्वविद्यालय का कुलपति पद नहीं छोड़ना चाहता और इससे भी ज्यादा गंभीर यह कि तंत्र उक्त व्यक्ति की इच्छा पूरी करने के लिए कानून के दायरे को लांघने के लिए क्यूँ तैयार होता है ?
महामहिम, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर रहते हुए प्रो. ओमप्रकाश सिंह नेगी जी का कार्यकाल खासा विवादों से घिरा रहा है.
वर्ष 2021 में तत्कालीन महामहिम राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि उनकी जानकारी के बगैर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में नियुक्तियां की गयी, जिनकी संख्या तकरीबन 56 थी. उक्त नियुक्तियों में हुई गड़बड़ियाँ उत्तराखंड सरकार के ही ऑडिट विभाग ने पकड़ी थी. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ओपीएस नेगी पर आरोप है कि उन्होंने प्रोफेसरों की नियुक्ति में आरक्षण के रोस्टर से छेड़छाड़ की. आरोप है कि अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में मनमाने तरीके से छेड़छाड़ की गयी. इस संबंध में मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचारधीन है.प्रोफेसरों की नियुक्ति में राज्य की महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत आरक्षण लागू ही नहीं किया गया.
महामहिम, जिस व्यक्ति का कार्यकाल नियुक्तियों के मामले में निरंतर विवाडास्पद रहा है, ऐसे व्यक्ति का एक कार्यकाल के बाद पुनः दूसरे कार्यकाल के लिए कुलपति नियुक्त किया जाना और फिर अधिवर्षिता आयु पूरी करने के बावजूद कार्यकाल का विस्तार किया जाना, परिनियमावली, अधिनियम यानि एक्ट- स्टैटीट्यूट संचालित विश्वविद्यालयों में, इन तमाम स्थापित नियम-कायदों के दायरे से बाहर जाने का संकेत मिलता है, वह भी किसी व्यक्ति विशेष के लिए. यह विधि के शासन के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
अतः महामहिम से निवेदन है कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय पद पर से प्रो. ओमप्रकाश सिंह नेगी की नियुक्ति तत्काल रद्द की जाये, किस परिस्थिति में अधिवर्षिता आयु पूरी करने के बावजूद, उनके कार्यकाल का विस्तार हुआ, इसकी जांच की जाये तथा प्रो. ओमप्रकाश सिंह नेगी जी के कुलपति पद के सम्पूर्ण कार्यकाल की उच्चस्त्रीय जांच की जाये.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश मैखुरी,
राज्य सचिव, भाकपा(माले)
उत्तराखंड.
(उक्त पत्र ईमेल के जरिये भेज दिया गया है)
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