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पूर्व सैनिकों को रोजगार : दावे और हकीकत

 










अग्निपथ योजना में चार साल बाद सेना से “सेवानिवृत्त” होने वाले अग्निवीरों के लिए  रोजगार और पुनर्नियुक्ति के नित नए दावे किए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने की. जैसे ही अग्निपथ योजना का विरोध शुरू हुआ, उन्होंने ऐलान किया कि चार साल बाद, जो 75 प्रतिशत अग्निवीर सेना से बाहर होंगे, उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में नियुक्ति में प्राथमिकता मिलेगी. विरोध के बढ़ने पर उन्होंने ऐलान किया कि अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. हालांकि इससे आक्रोश ठंडा नहीं हुआ, लेकिन यह माहौल बनाने की कोशिश जरूर की गयी कि केंद्र सरकार अग्निवीरों के भविष्य के लिए समुचित कदम उठा रही है.











लेकिन जो पूर्णकालिक सैनिक सेवानिवृत्त हुए हैं, उनके रोजगार के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे केंद्रीय गृह मंत्री के दावे को हवा-हवाई सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं. अंग्रेजी अखबार- इंडियन एक्सप्रेस ने आंकड़ों के साथ यह सिद्ध किया है कि वर्तमान में पूर्व सैनिकों की केंद्रीय प्रतिष्ठानों में नियुक्ति की दर किस तरह से नगण्य है. केन्द्रीय संस्थानों में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति की यह नगण्य दर, उनके लिए आरक्षण के प्रावधान के बावजूद है.


केन्द्रीय गृह मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले पुनर्वास महानिदेशालय के पास 30 जून 2021 तक के उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस में हरिकिशन शर्मा ने लिखा है कि भले ही अग्निवीरों के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में दस प्रतिशत आरक्षण का ऐलान हो रहा हो, लेकिन पूर्व सैनिकों के लिए इन बलों के अलावा रक्षा की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में भी जो आरक्षित पद हैं, उनके अनुपात में पूर्व सैनिकों की तैनाती बेहद कम है.






                  
साभार : इंडियन एक्सप्रेस





उक्त रिपोर्ट कहती है कि केंद्र सरकार के विभागों में समूह ग के 10 प्रतिशत पद और समूह घ के 20 प्रतिशत पद, पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन समूह ग के पदों पर मात्र 1.29 प्रतिशत और समूह घ के पदों पर 2.66 प्रतिशत ही पूर्व सैनिक तैनात हैं.  यह आंकड़ा 77 में से उन 34 केंद्रीय विभागों का है, जिन्होंने पुनर्वास निदेशालय के साथ संबंधित विभागों में किए गए पूर्व सैनिकों की नियुक्ति के आंकड़े साझा किए.


केंद्र सरकार के 34 विभाग में समूह ग के कुल 1084705 में से केवल 13976 पदों पर पूर्व सैनिक तैनात हैं,जबकि समूह घ के कुल 325265 पदों में से केवल 8642 पदों पर पूर्व सैनिक तैनात हैं. 


केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल / केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों में पूर्व सैनिकों के लिए असिस्टेंट कमांडेंट रैंक तक की सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 30 जून 2021 तक समूह ग के 881397 पदों  में से केवल 4146 पदों पर ही पूर्व सैनिक तैनात थे, जो कि कुल पदों का मात्र 0.47 प्रतिशत है. समूह ख के कुल 61650 पदों में से 539 पर ही पूर्व सैनिक तैनात थे, जो कि कुल पदों का 0.87 प्रतिशत है. इसी तरह समूह क के कुल 76681 पदों में से केवल 1687 पर ही पूर्व सैनिक तैनात थे, जो कि कुल पदों का 2.20 प्रतिशत है.


केंद्रीय सार्वजनिक इकाइयों में समूह ग के पदों पर पूर्व सैनिकों का कोटा  14.5 प्रतिशत और समूह घ के पदों पर 24.5 प्रतिशत निर्धारित है. परंतु 170 में से जिन 94 ने पुनर्वास निदेशालय के साथ अपने आंकड़े साझा किए, उनमें समूह ग के पदों पर पूर्व सैनिक 1.15 प्रतिशत ( कुल 272848 में से 3138) तथा समूह घ के पदों पर 0.3 प्रतिशत (134733 पदों में से 404) तैनात थे.


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में समूह ग के पदों पर सीधी भर्ती में पूर्व सैनिकों को 14.5 प्रतिशत आरक्षण है और समूह घ के पदों पर पूर्व सैनिकों को 24.5 प्रतिशत आरक्षण है. 13 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार समूह ग के कुल 271741 पदों में 24733 यानि 9.10 प्रतिशत पूर्व सैनिक तैनात हैं और समूह घ 107009 पदों में से 22839 (21.34 प्रतिशत) पदों पर पूर्व सैनिक तैनात हैं.


इस तरह देखें तो केवल बैंकों में ही पूर्व सैनिकों की तैनाती संतोषजनक होने के करीब है, अन्य सार्वजनिक सेवाओं में पूर्व सैनिकों की तैनाती के आंकड़े एकदम नगण्य स्थिति में हैं.


जब पूर्ण प्रशिक्षित, पूर्ण कालिक सैनिकों की पुनर्नियुक्ति की स्थिति ऐसी दयनीय है तो चार साल वाले अग्निवीरों का क्या होगा, यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. इससे यह भी स्पष्ट है कि पूर्व सैनिकों के लिए पहले से ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों / केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों में दस प्रतिशत कोटा निर्धारित था, अग्निवीरों के लिए की जाने वाली यह घोषणा भी नयी नहीं है.


ये तमाम आंकड़े क्षणिक सैनिक बनने वाले अग्निवीरों को सेना के इतर रोजगार के जो सुनहरे ख्वाब दिखाये जा रहे हैं, उनकी कलई खोलने के लिए पर्याप्त हैं. इसलिए देश को युवाओं को सेना में क्षणिक भर्ती के बजाय पूर्णकालिक भर्ती की अपनी मांग पर कायम रहना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिये सरकार को सेना में पूर्णकालिक भर्ती के लिए विवश करना चाहिए.


-इन्द्रेश मैखुरी       

 

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