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योग का विज्ञापन, योग की टी-शर्ट है पर योग से रोजगार कहां है सरकार ?

 






21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस होता है. आज के दिन पर सोशल मीडिया से लेकर समाचार चैनलों तक योग करते मंत्री-मुख्यमंत्रियों की तस्वीरें छाई रहती हैं. योग के महत्व का भी खूब गुणगान होता है. आज भी तमाम न्यूज़ पोर्टल्स ने इस बात को ब्रेकिंग खबर बताया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहां योग किया, किसके साथ योग किया !






लेकिन योग और उसके महिमामंडन के इस एक दिवसीय आयोजन के बीच उनकी चर्चा नहीं होती, जिन्हें योग करने के लिए उत्तराखंड के विश्ववविद्यालय बाकायदा उपाधि दे चुके हैं और उस उपाधि को राज्य में पूछने वाला कोई नहीं है.


हम चर्चा कर रहे हैं- योग प्रशिक्षित बेरोजगारों की. उत्तराखंड में हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर(गढ़वाल), गुरुकुल कांगड़ी, विश्वविद्यालय, हरिद्वार, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, समेत उत्तराखंड के सभी प्रमुख विश्वविद्यालय योग की स्नातकोत्तर डिग्री या डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं. बीते बीस वर्षों में हजारों की तादाद में छात्र-छात्राएँ इन विश्वविद्यालयों से योग का प्रशिक्षण प्राप्त करके निकले हैं.


लेकिन मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से प्रशिक्षण प्राप्त इन युवाओं के लिए उत्तराखंड में रोजगार का कोई साधन नहीं है. सरकार डिग्री तो दिलवा रही है, लेकिन इस डिग्री के बाद इन योग प्रशिक्षितों के रोजगार का भी इंतजाम करना, सरकार के एजेंडे में नहीं है.


“योग रखे निरोग”-नारा तो ठीक है पर यह विचारणीय है कि साल में एक दिन योग करके निरोग नहीं हुआ जा सकता है. इसके लिए अनवरत योग करना होगा. निरंतर और सही तरीके से योग करने के लिए कुशल प्रशिक्षकों की आवश्यकता होगी. उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों से हर साल पास आउट हो कर निकलने वाले योग प्रशिक्षित, वर्ष भर योग कराने की जरूरत को पूरा कर सकते हैं. उन्हें इस काम पर सरकार लगा भी सकती है. लेकिन सरकारों की हालत ऐसी है कि जिसे वे अपना एजेंडा बताते हैं, उसमें भी लोगों की बेहतरी का रास्ता नहीं खोलना चाहते हैं ! यदि योग को अपना एजेंडा बताने वाली सरकारों की मंशा होती तो प्रत्येक स्कूल से लेकर हर सरकारी अस्पताल तक योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति का रास्ता खोला जा सकता था. पर्यटन के क्षेत्र में भी योग की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है.


आज के योग दिवस के दिन, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के योग करने का चर्चा है. उनका बयान आया है कि योग में उत्तराखंड की विशिष्ट पहचान है. लेकिन योग प्रशिक्षित बेरोजगारों के लिए भी कुछ होगा,यह बात कहीं नहीं है. उत्तराखंड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन ने अपनी वर्चुअल बैठक में मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया था. मुख्यमंत्री उसमें शामिल हुए, लेकिन योग प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के मसले को उन्होंने हवा में उड़ा दिया.


योग का विज्ञापन होगा, योग की टी-शर्ट होगी, योग का फोटो सेशन होगा पर योग का रोजगार नहीं होगा तो ऐसे योग और योग प्रशिक्षितों का कल्याण कैसे होगा सरकार ?


-इन्द्रेश मैखुरी  

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