cover

प्रधानमंत्री जी का यूं आहत होना !

 


प्रधानमंत्री जी मन की बात करते हैं. बक़ौल उनके, वे फकीर आदमी हैं. फकीर आदमी होता ही मनमौजी है. इसी फकीरी और मन की मौज में वे मन की बात करते जाते हैं ! पेट्रोल-डीजल की मंहगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था का गिरावट  देखना फकीरों का काम थोड़े है ! वे तो मौज में हैं ही और इसी मौज में मन की बात कहते हैं. आप भला तो जग भला की तर्ज पर उनका फकीर मनमौजी मन  मानता होगा कि वे मौज में हैं तो पूरा देश मौज में है.


मन की बात में कुछ समय से यूट्यूब पर कमेंट करने पर रोक लगा दी गयी है. दरअसल प्रधानमंत्री जी की मन की बात में कुछ लोग अपने मन की बात कर रहे थे. ये कोई बात है भला ! कहाँ प्रधानमंत्री और कहाँ ये- मैंगो पीपल ऑफ बनाना रिपब्लिक ! अरे भय्या प्रधानमंत्री जी तो फकीर आदमी हैं,इसलिए मन की बात कहते हैं. तुम तो घर- गृहस्थी वाले हो,दुनियादारी देखो. साधारण आदमी को केवल मन मारने की छूट है,मन की बात करने की नहीं ! यह हक सिर्फ वीआईपी फकीरी के जरिये ही प्राप्त हो सकता है. तुम्हारा सब कुछ लुट भी जाये तो भी तुम फकीर नहीं हो सकते. फकीरी के लिए हजारों करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट चाहिए, पीआर एजेंसियां चाहिए जो रात-दिन फकीरी इमेज मैंटेन कर सकें ! बहुत खर्चा लगता है रे बाबा इस फकीरी में ! पेट्रोल-डीजल,आलू-प्याज की कीमतों पर रोने वालो फकीरी तुम्हारे बस के बाहर है !


कल मन की बात करते हुए प्रधानमंत्री जी आहत नजर आए. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी के दिन राष्ट्र ध्वज के अपमान से देश आहत हुआ. वैसे उनके भक्तजन उन्हें ही देश मानते हैं और उनके विरुद्ध बोलने को देशद्रोह !


 प्रधानमंत्री जी की इस बात से सहसा याद आया कि वे पहले भी एक बार ऐसे ही आहत हुए थे. तब उनकी पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ रही,बम धमाकों की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे की तारीफ की थी. प्रधानमंत्री जी ने उस वक्त कहा था-मैं मन से माफ नहीं कर पाउंगा ! फिर प्रज्ञा ठाकुर सांसद चुनी गयी और प्रधानमंत्री जी के विश्वास मत में एक मत उनका भी था. एमपी बनवा दिया तो क्या हुआ, मन से प्रधानमंत्री जी ने उन्हें माफ नहीं किया ! वे मन से माफ नहीं करते,मन की बात करते हैं, प्रधानमंत्री जी का अंदाज ही ऐसा है !


इसी तरह वे 26 जनवरी को लाल किले वाले प्रकरण से आहत हैं. लाल किले पर जो खंबे पर चढ़ा,लोग उसका नाम बता रहे हैं-दीप सिद्धू. प्रधानमंत्री के साथ उसका फोटो भी दिखा रहे हैं.





 यह सवाल उठा रहे हैं कि लाल किले जैसी भारी सुरक्षा वाले इलाके में ऐसी भीड़ कैसे घुस गयी ? किसान आंदोलन के नेता कह रहे हैं कि इस उत्पाती को गिरफ्तार करो. पर प्रधानमंत्री जी की मन की मौज है,वे मन की बात कर रहे हैं और मन को आहत बता रहे हैं. ज्यादा होगा तो प्रधानमंत्री जी दीप सिद्धू को भी प्रज्ञा ठाकुर की तरह मन से माफ नहीं करेंगे,इससे ज्यादा और क्या चाहिए ! प्रधानमंत्री जी किसी को मन से माफ न करें,इससे बड़ी कार्यवाही और क्या हो सकती है भला !


 शायर ने ऐसी ही अदाओं पर मोहित होते हुए कहा होगा :


इस सादगी पे कौन न मर जाये ऐ खुदा

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं !! 


-इन्द्रेश मैखुरी

 

Post a Comment

4 Comments