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सनी पाजी का “गदर” !

 


सनी पाजी बोले तो फिल्मों वाले सनी देओल,जो हाल-फिलहाल गुरदासपुर से भाजपा सांसद हैं. सनी पाजी बड़े कारसाज़ बंदे हैं. फिल्मों में तो आपने देखा ही हैं उन्हें ! हैंडपंप उखाड़ लेते थे,उनके ढाई किलो के हाथ से आदमी उठता नहीं उठ जाता था आदि,आदि !


बरसों पहले अपने कॉमेडी शो- मूवर्स एंड शेकर्स में शेखर सुमन ने एक चुटकुला सुनाया. शेखर के चुटकुले के अनुसार तत्कालीन पाकिस्तानी शासक परवेज़ मुशर्रफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  एक बार अपनी-अपनी  ताकत का बखान कर रहे थे. बहुत देर तक दोनों अपनी अपनी मिसाइलों का नाम गिनवाते रहे. आखिर में अटल बिहारी वाजपेयी ने मुशर्रफ से कहा- हमारे पास एक चीज ऐसी है,जो तुम्हारे पास हो ही नहीं सकती. मुशर्रफ ने कहा-क्या ? अटल ने पलकें मूँद कर कहा- हमारे पास सनी देओल है !


तो वही सनी देओल इस किसान आंदोलन के दौरान “गदर” काटे हुए हैं. पंजाब जहां किसान आंदोलन सबसे मजबूत है, सनी पाजी वहाँ से सांसद हैं. लिहाजा लोगों ने सवाल उठाना शुरू किया कि वे किसके साथ हैं. सनी पाजी ने अपने जवाब से दर्शाया कि सिर्फ ढाई किलो के हाथ से ही नहीं,उनके जवाब से भी अच्छे-अच्छे गश खा कर गिर सकते हैं. बोले- मैं अपनी पार्टी के साथ हूं और मैं किसानों के साथ हूँ और रहूंगा !


अरे महाराज पर किसान और आपकी पार्टी की सरकार तो आमने-सामने हैं तो आप दोनों के साथ कैसे हैं !


पर ये जैसे कुछ कम था. कल लाल किले में उत्पात करने वाला दीप सिद्धू भी सनी पाजी का पुरानी मित्र निकला,जिसे वे भाई जैसा बता चुके हैं !


तो अब जरा तस्वीर पूरी बनाइये. सनी पाजी किसानों के साथ हैं और अपनी पार्टी के साथ भी हैं और दीप सिद्धू का साथ तो वे रहे ही हैं  !





यानि वर्तमान दौर में सनी पाजी ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं,जो किसानों के साथ भी हैं,किसान के खिलाफ खड़ी अपनी पार्टी के साथ भी हैं और किसान आंदोलन को तोड़ने में संलग्न पाये गए दीप सिद्धू और उनका साथ तो रहा ही है ! मोदी जी के सबका साथ-सबका विकास वाले नारे की क्या नजीर पेश की है,सनी पाजी ने !





देखिये तो सनी पाजी तो कहां-कहां, किस-किस के साथ हैं ! डबल-ट्रिपल रोल की जो सुविधा फिल्मों में होती थी,उसे असल ज़िंदगी में उतारने पर आमादा हैं,सनी पाजी !  उन्हें कोई जरा समझाये कि असल ज़िंदगी में डबल रोल तो संभव नहीं है पर ऐसे में दोहरा चरित्र या दोमुंहा किरदार जरूर हो जाता है ! 


पर सनी पाजी भी क्या करें,उनके ढाई किलो के हाथ के पीछे जो हिंदी वाला फूल है,जनता को अंग्रेजी का फूल बनाने का हुनर तो वहाँ सीखना ही पड़ता है ! इसी हुनर,इसी  कुशलता, इसी योग्यता की दरकार होती है,वहां !



-इन्द्रेश मैखुरी  

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