उत्तर प्रदेश में पत्रकार विक्रम जोशी को 20 जुलाई को सरेआम गोली मार दी गयी,जिसके चलते उनकी आज मौत हो गयी
वे गाजियाबाद में अपनी भांजी के साथ छेड़खानी करने वालों की शिकायत करने पुलिस थाने गए थे. अपराधियों ने उन को पीटा और फिर उन के सिर पर गोली चला दी. इस वारदात का वीडियो दो दिन से सोशल मीडिया में घूम रहा था.
मामूली गुंडे इस कदर
बेखौफ हो जाएँ कि वे शिकायत करने वाले की हत्या कर डालें ! क्या यह कानून के राज की
निशानी है ?
यह एकलौती घटना नहीं है,जबकि अपराधियों ने इस तरह सरेआम अपराध किया है.
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के कासगंज में बलात्कार के
आरोपी ने जिस नाबालिग लड़की के बलात्कार का
उस पर आरोप था,उसे और उसकी माँ को ट्रैक्टर से रौंद कर मार डाला. उक्त आरोपी बलात्कार के मामले
में जमानत पर बाहर आया हुआ था.
2018 में बुलंदशहर में दंगा रोकने की कोशिश करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गयी.
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी शिखर अग्रवाल को प्रधानमंत्री कल्याण योजना जागरूकता अभियान का 19 जुलाई को ,बुलंदशहर जिले का महासचिव बना दिया गया. इसका प्रमाणपत्र,बुलंदशहर भाजपा के जिला अध्यक्ष अनिल सिसोदिया ने शिखर अग्रवाल को सौंपा.
जब
यह बात मीडिया में चर्चा का विषय बनी तो सिसोदिया ने कह दिया कि उन्हें शिखर अग्रवाल
के बारे में जानकारी ही नहीं थी.
2019 में जब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के
आरोपी जमानत पर छूटे तो उनका फूल मालाओं के साथ स्वागत किया गया और वहाँ “जय श्री राम”
और “वंदे मातरम” के नारे लगाए गए थे. तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी ने अपराधियों
के सम्मान में ऐसे नारे लगाए जाने को इन नारों का अपमान बताया था.
फूल मालाओं के साथ स्वागत के बाद प्रधानमंत्री कल्याणकारी
योजना जागरूकता अभियान का महसचिव बनाना,लगता है कि अगला कदम
था,इन हत्यारोपियों की “घर वापसी” का. लेकिन मीडिया में मामला
उछलने के बाद फिलहाल कदम पीछे खींच लिए गए हैं.
लेकिन यह सवाल तो अपनी जगह है कि प्रधानमंत्री कल्याणकारी
योजना जागरूकता अभियान का प्रचार करने के लिए हत्या के आरोपी से बेहतर कोई व्यक्ति
नहीं मिला था भाजपा को बुलंदशहर में ? जब एक हत्यारोपी को
प्रधानमंत्री की कल्याणकारी योजनाओं के लिए
जागरूकता अभियान चलाने के मुख्य पदाधिकारियों में से एक चुना जाता है तो अपराधियों
में क्या संदेश जाता है ? यही संदेश तो जाएगा कि अपराध करें
पर ध्यान रखें कि वह सत्ता के विरुद्ध न जाता हो !
जब अपराधी को अपराधी समझने के बजाय उसकी जाति,धर्म और सत्ता पक्ष के साथ उसके रिश्तों को पहले तौला जाने लगे तो निश्चित
ही अपराध ही फले-फूलेगा.
इस वर्ष की शुरुआत
में जारी नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट
के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के
खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या सर्वाधिक है.2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की
संख्या 59,445 दर्ज की गई.
औसतन प्रतिदिन 162 अपराध दर्ज किए गए.2017 के मुकाबले महिला अपराधों में 7 प्रतिशत की
बढ़ोतरी हो गयी.राजधानी लखनऊ 19 शहरों में महिला अपराधों में अव्वल रहा.
आए दिन होने वाली आपराधिक वारदातें बता
रही हैं कि हालत बद से बदतर हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ के बयानों से ही अपराध रुकना होता तो ये जघन्य वारदातें उत्तर प्रदेश
में रोज-ब-रोज न हो रही होती !
-इन्द्रेश मैखुरी
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