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आर्थिक पैकज : दुनिया ऊंट का मुंह भर रही है,भारत ऊंट के मुंह में जीरा रख रहा है

कोरोना के कहर से निपटने के लिए 24 मार्च की रात से घोषित 21 दिन के लॉकडाउन के बाद से पूरे देश में आर्थिक पैकेज की जरूरत महसूस की जा रही थी. लॉकडाउन की घोषणा के तीसरे दिन 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है.

इस समय पूरी दुनिया कोरोना वाइरस की चपेट में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े के अनुसार 200 देशों में 21 हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं और 465915 इस संक्रमण की चपेट में हैं. भारत के आर्थिक पैकेज की घोषणा के पहले दुनिया के तमाम देश कोरोना के कहर से निपटने के लिए पैकेज़ की घोषणा कर चुके हैं. दुनिया के कुछ मुल्कों की तुलना में देखते हैं कि भारत का आर्थिक पैकेज कहाँ ठहरता है. दुनिया के देशों के साथ भारत के पैकेज की तुलना के लिए इसे डॉलर में भी जान लेते हैं. अँग्रेजी अखबार बिज़नेस इंसाइडर ने भारत के पैकेज को डॉलर में लिखा है 22.6 बिलियन डॉलर.


                              फोटो ब्लूमबर्ग

इटली 

कोरोना वाइरस की मार यदि सर्वाधिक किसी देश में इस समय महसूस की जा रही है तो वह देश है-इटली. 16 मार्च को कोरोना से लड़ने के लिए इटली ने 25 बिलियन यूरो यानि 28 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की. इसमें से 10 बिलियन यूरो रोजगार में मदद के लिए और 3.5 बिलियन यूरो स्वास्थ्य तंत्र में सुधार और लॉकडाउन में भी काम कर रहे लोगों को नकद बोनस देने के लिए है. सीजनल कामगारों और स्व रोजगार में लगे लोगों समेत 50 लाख लोगों के लिए 600 यूरो की मासिक सब्सिडी भी घोषित की गयी है. 

स्विट्ज़रलैंड 

इस छोटे से खूबसूरत देश ने 10.5 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है. इसका आर्थिक पैकेज  छोटे व्यापार और फ्रीलांसरों की मदद के लिए है जो लॉकडाउन से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.

न्यूज़ीलैंड


न्यूज़ीलैंड सरकार ने इस महामारी से निपटने के लिए 12.1 बिलियन न्यूज़ीलैंड डॉलर यानि 7.3 बिलियन डॉलर के आर्थिक पैकज की घोषणा की है. इसका बड़ा हिस्सा वेतन सब्सिडी और आय सहयोग पर खर्च होगा.साथ ही एयरलाइन इंडस्ट्री के लिए भी राहत की घोषणा की गयी है. 

तुर्की


तुर्की ने 18 मार्च को छोटे व्यवसायों,कामगारों,निर्यातकों और पेंशनरों को कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभावों से बचाने के लिए 15.5 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की.न्यूनतम पेंशन भुगतान को 231 डॉलर करने की घोषणा की गयी और जरूरत मंद परिवारों की मदद के लिए 308 मिलियन डॉलर की धनराशि की घोषणा की गयी.



कनाडा  



कनाडा ने अब तक कुल 56.8 बिलियन डॉलर का पैकेज घोषित किया है. इसमें बेरोजगारी बीमा लाभ,वाइरस के उपचार के लिए शोध और प्रांतों को मेडिकल सप्लाइ के लिए धनराशि शामिल है. 


ब्रिटेन 



ब्रिटेन ने 417 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा कोरोना वाइरस से राहत के लिए की है. इस पैकेज में विभिन्न उद्योगों को राहत देने के साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकालीन कोश और सेल्फ क्वारंटाइन लोगों के लिए सिक पे(sick pay) का प्रावधान है. 

चीन 



कोरोना वाइरस की सबसे पहली मार झेलने वाला देश चीन ही था. चीन की अर्थव्यवस्था पर इस संकट का भारी असर पड़ेगा. चीन ने अब तक 1.3 ट्रिलियन  युआन यानि    183367210000 अमेरिकी डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की है. 

स्पेन


स्पेन भी उन देशों में शामिल है,जो कोरोना के संक्रमण की मार भीषण रूप से झेल रहे हैं. वर्ल्डमीटर्स.इन्फो(worldometers.info) नामक वैबसाइट के अनुसार अब तक स्पेन में चार हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं और 57 हजार से अधिक लोग संक्रमित हैं. स्पेन ने इस महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैकेज का ऐलान किया है. इस देश ने 220 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है. यह देश के इतिहास में घोषित सबसे बड़ा राहत पैकेज है. 




इन छोटे-बड़े देशों के राहत पैकेजों को देखें तो भारत सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज देश के आकार और लोगों की आर्थिक हालत की तुलना में काफी मामूली जान पड़ता है. अँग्रेजी अखबार-द हिन्दू ने अपने संपादकीय में लिखा कि जो भी राहत की घोषणा की गयी,वह भी बजट के दायरे में ही की गयी हैं यानि अधिकांश घोषणाएँ वो है,जो पहले से ही बजट में चल रही हैं. उनमें नया कुछ भी नहीं है. 

मनरेगा की मजदूरी में 20 रुपये की वृद्धि सरकार ने की है,यह मज़ाक है. पत्रकार अपूर्व भारद्वाज ने लिखा है कि सरकार ने अब तक मनरेगा के पिछले काम का 1856 करोड़ का ही भुगतान नहीं किया है.
किसान सम्मान निधि में 2000 रुपये देने की घोषणा की गयी है. हालांकि यह लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शुरू की गयी योजना है,जिसमें पिछले काफी अरसे से पैसा नहीं आ रहा था.

इस बीच देश भर में काम-धंधे बंद होने के चलते मजदूर तबका असहाय और बदहवासी की स्थिति में आ गया. मुख्यतः बिहार और झारखंड के रहने वाले  सैकड़ों मजदूर राजस्थान,जम्मू,दिल्ली से अपने घरों की ओर पैदल ही चल पड़े. इन मजदूरों के साथ जिस तरह का सलूक विभिन्न जगहों पर पुलिस ने किया,वह एक सभ्य राष्ट्र के लिए तो सामूहिक शर्म का विषय होना चाहिए. रोजगार का अभाव झेलते बेबस,साधनहीन मजदूरों को पीटने,उठक-बैठक कराने और रेंगने के लिए मजबूर किए जाने के दृश्य संवेदनहीनता के चरम को बयान करते हैं. एक अभूतपूर्व,अप्रत्याशित किस्म की आपदा झेलते देश में यह सिर्फ पुलिस की ही सामान्य,रोज़मर्रा वाली संवेदनहीनता की ही तस्वीर नहीं है बल्कि यह दिखाती है कि ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा तंत्र ही भावना शून्य है. न खतरे से निपटने के लिए उसके पास कोई दृष्टि है और न ही संवेदनशीलता. दृष्टि होती तो मजदूर अपने हाल पर नहीं छोड़े जाते. 

इतने बड़े पैमाने पर लोगों के अपने घरों की ओर लौटने के चलते कोरोना का संक्रमण के फैलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है. जरूरत तो इस बात की थी कि पूरे देश में तालाबंदी यानि लॉकडाउन से पहले रोजगार से वंचित होने वालों के रहने,खाने और अन्य जरूरी इंतजामत किए जाते. परंतु ऐसा नहीं हुआ और कल घोषित पैकेज में भी इस दिशा में कोई ठोस इंतजाम नहीं दिखता.
दुनिया के तमाम देशों ने अपने यहाँ होम लोन
,पर्सनल लोन आदि की वसूली स्थगित कर दी है पर भारत में इस तरह की भी कोई घोषणा अभी नहीं हुई है.  


दुनिया भर के विभिन्न देशों के द्वारा कोरोना के दंश से मुक़ाबला करने के लिए घोषित पैकेज के संदर्भ में ऊंट के मुंह में जीरे वाली कहावत का प्रयोग करते हुए कहा जाये तो दुनिया के मुल्क जहां ऊंट का पूरा मुंह भर रहे हैं ,वहाँ भारत ऊंट के मुंह में इस भारी संकट में भी जीरा ही रख रहा है. 

-                 -इन्द्रेश मैखुरी 



(नोट : लेख में प्रयुक्त आंकड़े ब्लूमबर्ग, बिज़नेस इंसाइडर, बिज़नेस टुडे,टैक्स फ़ाउंडेशन आदि न्यूज़पोर्टल्स से लिए गए हैं)    

  

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