05 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में भीषण जल प्रलय ने घरों-होटलों को दबाते हुए इस इलाके को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया था.
अब चार महीने बाद उत्तराखंड पूर्व सैनिक
कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष और दल-बदल कर भाजपा नेता हुए सेवानिवृत्त कर्नल
अजय कोठियाल, धराली आपदा को पुनः चर्चा में ले आये हैं. चर्चा में भी वे बेहद
सनसनीखेज तरीके से लाये हैं और उनकी सनसनी से वही सत्ताधारी भाजपा कठघरे में हैं, जिसके
आजकल वे खुद सदस्य हैं !
29 नवंबर 2025 को देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय- ग्राफ़िक
एरा- में “वर्ल्ड सम्मिट ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट” में बोलते हुए रिटायर्ड कर्नल अजय
कोठियाल ने जो बातें कही, उनमें से कुछ तो बेहद अगड़म-बगड़म किस्म की थी. लेकिन
इन्हीं बातों में से जो सर्वाधिक सनसनीखेज बात थी, वो थी, धराली में मारे गए लोगों
की संख्या. सेवानिवृत्त कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि धराली में अभी भी 147 लोग
मलबे में दबे हुए हैं. यह संख्या उत्तराखंड सरकार द्वारा धराली में दबे हुए लोगों
की घोषित संख्या से लभगभ दो गुनी है. उन्होंने यह भी कहा कि धराली में मलबे के
नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए कोई काम नहीं हो रहा है.
कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल की यह बात, उत्तराखंड में
सत्तासीन भाजपा की पुष्कर सिंह धामी सरकार के बेहतरीन आपदा प्रबंधन के दावे को बिल्कुल
सिर के बल उलट कर रख देती है. कर्नल कोठियाल की बात से यह साफ़ है कि उत्तराखंड में
आपदा प्रबंधन को लेकर पुष्कर सिंह धामी की सरकार के जो भी दावे हैं, वे सिर्फ
विज्ञपनों के जरिये ख़बरों को मैनेज करने के अलावा कुछ भी नहीं है.
कर्नल कोठियाल का दावा यदि सच मान लिया जाए तो पुष्कर सिंह
धामी की सरकार ने तो धराली में मलबे में दबे हुए लोगों का आंकड़ा तक झूठा पेश किया
था ! जो सरकार दबने वालों की सही संख्या नहीं बता रही है, उससे सही तरीके से लोगों
की खोज, बचाव और राहत कार्यों की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?
कर्नल कोठियाल तो कह रहे हैं कि 05 अगस्त के बाद वहां कोई
काम नहीं हुआ क्यूंकि सरकार ने वैज्ञानिकों के तर्कों को बहाना बना दिया है. यह तो
पुष्कर सिंह धामी की विज्ञापनजीवी सरकार को बताना चाहिए कि क्या वो वाकई वैज्ञानिकों
की आड़ लेकर धराली में कोई काम नहीं कर रही है !
बाकी कुछ बातें जो कर्नल साहब ने कही, वो तो कतई बचकानी
किस्म की थी. वे सारी बातें ऐसी हैं, जो यह बताती हैं कि जितना जानकार उनको बताया
जाता है या जितना जानकार वे खुद को प्रदर्शित करते हैं, उतने क्या, उसके आसपास भी
वे नहीं हैं ! जैसे वे धराली को मोदी द्वारा घोषित प्रथम गांव कह रहे हैं ! यह तो
सबने ही देखा कि प्रधानमंत्री ने माणा को सीमा का अंतिम गांव नहीं प्रथम गांव कहने
का जुमला उछाला था. अब अगर सीमा से लगे हुए सारे गांव प्रथम गांव हैं तो इस देश
में गांवों की गणना ही मुश्किल हो जायेगी ! धराली तो उस अर्थ में प्रथम है भी नहीं
क्यूंकि उसके बाद भी गांव हैं !
कर्नल कोठियाल अपने वक्तव्य में लगातार यूकॉस्ट पर निशाना साधते हैं. यूकॉस्ट और उसके वर्तमान कर्ता-धर्ता कितने काबिल या सक्षम हैं, यह तो अलग बहस का विषय है पर उत्तराखंड विज्ञान और तकनीकी परिषद
( यूकॉस्ट) कोई आपदा के
मामले में काम करने वाली एजेंसी नहीं है.
कर्नल कोठियाल, वाडिया इंस्टिट्यूट यानि वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी पर भी लगातार निशाना साधते हैं. उनकी बातों से तो ऐसा लगता है कि आपदा के राहत बचाव में सबसे बड़ी बाधा ही वाडिया इंस्टिट्यूट है ! वे और उनके प्रिय पुष्कर सिंह धामी तो खुद फावड़ा- बेलचा लेकर खुदाई करने जाने वाले थे पर ऐन मौके पर वाडिया वालों ने आकर उनके हाथ-पांव बांध दिए ! हकीकत यह है कि वाडिया हो या कोई और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों, भाजपा सरकार के राज में यदि सबसे कम किसी की बातों पर कान दिया जाता है तो इन वैज्ञानिक संस्थानों की सिफारिशों पर !
लोगों के वहां बसने के सवाल पर भी कर्नल साहब, वैज्ञानिक
संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं. वे कह रहे हैं कि लोग तो वहां पहले से बसे हैं. किसी
जगह पर लोग सौ साल से बसे हुए हैं और यदि वो जगह अब बसने के लिहाज से असुरक्षित हो
चुकी है तो क्या वैज्ञानिकों को यह बात सिर्फ इसलिए नहीं कहनी चाहिए कि लोग तो
वहां सैकड़ों साल से बसे हुए हैं ? यह तो कतई हस्यास्पद और बचकानी बात है !
आम लोग यह समझते हैं कि यहां तो सौ साल पहले बाढ़ आई और उसके
बाद दोबारा बाढ़ आने में सौ साल लगे तो अब अगले सौ साल तक कुछ नहीं होगा तो क्या वैज्ञानिकों
को या चेतनाशील लोगों को भी ऐसा ही मान लेना चाहिए ?
कर्नल कोठियाल, जिनकी तारीफ करते हैं, वो हैं- एनडीआरएफ और
आईटीबीपी. लेकिन अफ़सोस जाहिर करते हैं कि एनडीआरएफ
को खुदाई करने पर लगा दिया गया ! अपने अफ़सोस को जाहिर करने के लिए वे जुमला प्रयोग
करते हैं- बारहवीं कक्षा वालों को दूसरी कक्षा के काम पर लगा दिया गया, खुदाई का
काम तो मजदूरों का था ! खुदाई का काम मजदूरों का था, एनडीआरएफ वालों का नहीं पर एनडीआरएफ वालों को खुदाई पर लगाया किसने कर्नल
साहब, क्या वैज्ञानिकों, पर्यावरणवादियों या वाडिया वालों ने लगाया ?
जोशीमठ आंदोलन के चर्चित नेता व भाकपा( माले) के गढ़वाल सचिव कॉमरेड अतुल सती और मैं 21-22 अगस्त 2025 को धराली में थे.
https://www.youtube.com/watch?v=mmEQenqBxLA
22 अगस्त की सुबह हमने देखा कि चार-छह जगह पर खुदाई की हुई और उसे एनडीआरएफ वाले घेर कर खड़े हैं. फिर उनकी शिफ्ट बदल रही है और एनडीआरएफ के जवानों का दूसरा जत्था उन्हीं खुदी हुई जगहों के इर्द-गिर्द खड़ा है. हमने पुछा- ये आप क्या कर रहे हैं ? उन्होंने कहा कि हम अभी निशान लगा रहे हैं कि यहां लोग नीचे दबे हो सकते हैं, जब हमारी जेसीबी आएगी तो यहां खुदाई होगी !
पता नहीं उनकी जेसीबी
आई कि नहीं और वहां खुदाई हुई कि नहीं ? कर्नल कोठियाल ही बता रहे हैं कि कोई नहीं
निकाला जा सका तो फिर खुदाई नहीं ही हुई होगी ! पर कर्नल साहब को यह तो बताना
चाहिए कि बकौल उनके जो एनडीआरएफ बहुत ही
सक्षम बल है, उसे खुदाई के काम पर किसने लगाया ?
कर्नल साहब जितने आरोप धराली में काम न होने के लगा रहे हैं, एक तरह से वे तो खुद ही पर अंगुली उठा रहे हैं. अब आप कहेंगे कि ऐसा कैसे ? ऐसा इसलिए क्यूंकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्नल कोठियाल को धराली में अपना प्रतिनिधि बनाया था. इसकी घोषणा बड़े जोरशोर से कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल ने 10 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफार्म- एक्स (पूर्ववर्ती ट्विटर) पर की थी.
जब
वे धराली में आपदा राहत,बचाव एवं पुनर्वास के कार्यों के लिए मुख्यमंत्री के
प्रतिनिधि थे और अगर वहां चार महीने बाद भी कोई काम नहीं हुआ तो इसके लिए तो दो ही
लोग सबसे अधिक जिम्मेदार माने जाने चाहिए, एक खुद कर्नल अजय कोठियाल और दूसरे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जिन्होंने कर्नल कोठियाल को अपना प्रतिनिधि बनाया
था.
कर्नल कोठियाल का वीडियो वायरल होने के बाद अब उनकी ओर से एक सफाई वीडियो आया है.
इस नए वीडियो में उनकी भाव-भंगिमा देख कर साफ़ समझा जा सकता
है कि ये डैमेज कंट्रोल के लिए जबरन जारी करवाया गया वीडियो है. उसमें वो कह रहे
हैं कि उन्होंने किसी राजनीतिक मंच पर तो अपनी बात कही नहीं थी तो उनकी बात से राजनीतिक माइलेज
लेने की कोशिश क्यों हो रही है ! वे कहते हैं कि उन्होंने वाइब्रेंट विलेज, प्रथम
गांव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार आदि बातों का जिक्र किया था. ये सब
बातें कह कर वे पहले वायरल वीडियो में कही बातों से पल्ला झाड़ना चाहते हैं, किसी
तरह बात पलट जाए, यह चाहते हैं !
यूं बात से पलट जाना कर्नल साहब के लिए कोई नयी बात नहीं
है. 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों
में वे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे थे. तब वे पुष्कर सिंह धामी को “कुछ
कर धामी” का उलाहना देते थे ! धामी ने और कुछ किया हो न किया हो, उन्हें अपनी
पार्टी में शामिल जरुर कर लिया ! अब वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा खुद
को दफ्तर में बुलाए जाने को भी “कुछ कर” से कई दर्जा ऊपर का काम समझते हैं और उस
पर गदगद भी होते रहते हैं, यह ऊपर उल्लेख की गयी एक्स पोस्ट की भाषा से भी समझा जा
सकता है !
बहरहाल बात पलटने के लिए बनाए गए वीडियो में भी कर्नल (रिटायर्ड)
अजय कोठियाल यह तो नहीं कह रहे हैं कि जो संख्या धराली में दबने वालों की उन्होंने
पहले वीडियो में बताई, वो गलत है, ना ही उन्होंने वहां कुछ काम न होने के अपने
दावे को वापस लिया है तो इसका मतलब है कि इन दोनों ही बातों पर वे कायम हैं ! ऐसा
होने की स्थिति में चार महीने तक दबे हुए लोगों की सही संख्या दबाने का दोष तो
कर्नल कोठियाल के सिर भी है और चार महीने बाद भी दबे लोगों को निकाल पाने में
नाकाम रहने के लिए मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर वे तथा मुख्यमंत्री पुष्कर
सिंह धामी बराबर के दोषी हैं !
-इन्द्रेश मैखुरी




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