उत्तराखंड के
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में उनके चाहने वाले प्रचारित करते रहते हैं
कि वे धाकड़ हैं, कइयों
ने तो यह भी प्रचारित किया कि वे सबसे हैंडसम मुख्यमंत्री हैं !
अब न्यूजलॉन्ड्री की
रिपोर्ट आयी है, जिससे समझ सकते
हैं कि मुख्यमंत्री किस काम में धाकड़ हैं
और किस काम में स्मार्ट ! इस रिपोर्ट से तो यही समझ आ रहा है कि राज्य का
खजाना, अपने प्रचार पर लुटाने में मुख्यमंत्री बहुत धाकड़
हैं और ग़ज़ब के स्मार्ट भी !
न्यूज़लॉन्ड्री में
प्रकाशित बसंत कुमार की रिपोर्ट बता रही
है कि विज्ञापन पर पिछले पांच सालों में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने 1001.07
करोड़ रुपया खर्च किया. इसमें से बड़ा हिस्सा पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री रहते
हुए खर्च हुआ. उक्त रिपोर्ट के अनुसार यदि विज्ञापनों पर किये गये इस खर्च का औसत
निकाला जाए तो यह 55 लाख रूपए प्रति दिन
बैठता है !
उक्त रिपोर्ट के
अनुसार पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने से पहले वर्ष 2020-21 में विज्ञापन
पर कुल खर्च 77.71 करोड़ रुपए था. लेकिन धामी के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज होते
ही वर्ष 2021-22 में विज्ञापन पर खर्च चार गुना बढ़ कर 227.35 करोड़ रुपए हो गया.
2024-25 में यह खर्च 290.29 करोड़ रूपए तक पहुंच गया.
इस रिपोर्ट के अनुसार
बीते चार सालों में टीवी चैनलों को विज्ञापन देने पर ही 402 करोड़ रूपए खर्च किये
गये. इस अवधि में तीन महीनों को छोड़ कर
अधिकांश समय पुष्कर सिंह धामी ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे.
यह रिपोर्ट बताती है
कि पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में अखबारों को 129. 6 करोड़ रुपए, डिजिटल माध्यमों को 61.9 करोड़ रूपए रेडियो
को 30.9 करोड़ रूपए क़े विज्ञापन दिये गये.
इसके अलावा फिल्मों ,आउटडॊर विज्ञापनों और समाचार
एजेंसियों को भी करोड़ों के विज्ञापन दिये गये. सिर्फ एसएमएस के ज़रिये विज्ञापन
का ही खर्च 40.4 करोड़ रूपए है. समाचार एजेंसियों को दिये गये विज्ञापन की धनराशि
है- 128.7 करोड़ रूपए ! इन सभी माध्यमों को दिये गये कुल विज्ञापन की धनराशि होती
है - 923 करोड़ रूपए !
रिपोर्ट के अनुसार
पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने न केवल उत्तराखंड क़े क्षेत्रीय
चैनलों और राष्ट्रीय समाचार चैनलों को विज्ञापन दिये बल्कि नागालैंड, असम, ओडिशा समेत देश
के विभिन्न हिस्सों से संचालित होने वाले चैनलों को भी जम कर विज्ञापन की धनराशि
से नवाज़ा ! नागालैंड, असम, ओडिशा के
चैनलों को विज्ञापन देने से उत्तराखंड का क्या भला होने वाला है, यह तो विज्ञापन लुटा कर धाकड़ हो रहे धामी ही बता सकते हैं या फिर उनकी
नाक के बाल समान सूचना के महानिदेशक !
उत्तराखंड एक छोटा
राज्य है, आर्थिक संसाधनों के लिये केंद्र पर निर्भर
राज्य है, लगभग 73 हज़ार करोड़ रूपए के कर्ज के बोझ तले दबा
हुआ राज्य है और ऐसे राज्य की सरकार पाँच साल में हजार करोड़ रूपए से ज्यादा सिर्फ
विज्ञापन देने पर लुटा दे तो इससे सरकार में बैठे हुओं का चेहरा भले ही चमक जाए पर
राज्य की दशा जर्जर ही होनी है.
विज्ञापन की राशि बताती है कि और किसी काम में
हों-न हों, पर विज्ञापन देने
में धामी बहुत ही धाकड़ हैं ! इसलिए उन्हें सिर्फ धाकड़ धामी नहीं, धाकड़ विज्ञापन धामी कहा जाना
चहिए !
-इन्द्रेश मैखुरी
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