उत्तराखंड पुलिस में डीएसपी रैंक के दंपति ने पुलिस में डॉग हैंडलर के पद पर कार्यरत महिला पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है, जिसमें महिला कर्मी की गिरफ्तारी हो गयी है.
अभी कुछ अरसा पहले देहरादून में ही तैनात एक महिला सब इंस्पेक्टर ने कांस्टेबल पर यौन शोषण का मुकदमा दर्ज करवाया था, जिसमें आरोपी कांस्टेबल की गिरफ्तारी की गयी.
अब यह एक और मामला सामने आया है.
डीएसपी रैंक के दंपति निहारिका सेमवाल-नीरज सेमवाल को डॉग हैंडलर जैसे सामान्य पद पर कार्यरत महिला सरोजबाला द्वारा ब्लैकमेल किये जाने का मामला हैरत में डालने वाला है. डीएसपी निहारिका सेमवाल द्वारा केंट कोतवाली में दर्ज कराई गयी रिपोर्ट के अखबारों में प्रकाशित ब्यौरे के अनुसार आरोपी महिला लगातार उनके पति यानि डीएसपी नीरज सेमवाल से पैसे की मांग कर रही थी. प्रकाशित ब्यौरे के अनुसार महिला अब तक डीएसपी दंपति से छह लाख रुपया वसूल चुकी थी और फिर पैसे की मांग कर रही थी ! सवाल है कि एक मामूली महिला कर्मचारी के पास इन बड़े अहोदेदारों का ऐसा कौन सा राज था कि वह, उन्हें लगातार ब्लैकमेल कर रही थी ? क्या कोई ऐसा रहस्य था, जिस पर पर्दा डालने के लिए छह लाख रुपए जैसी बड़ी रकम उक्त महिला को दी गयी ? अगर महिला नाजायज पैसे की मांग कर रही थी तो मामले की बिल्कुल शुरुआत में ही शिकायत क्यों नहीं की गयी ? अखबारों में छपे ब्यौरे के अनुसार आरोपी महिला ने अफसर को 2022 में अभद्र व अश्लील मैसेज किये ? क्या पुलिस में ऐसा मुमकिन है कि कोई बिल्कुल निचले रैंक वाला कर्मचारी, ऊंचे ओहदे वाले अफसर को ऐसे ही अभद्र मैसेज भेजे और अफसर चुपचाप बर्दाश्त कर ले ?
मामला अत्यंत गंभीर है, इसके सारे पहलुओं की जांच और खुलासा होना जरूरी है. सब इंस्पेक्टर प्रकरण और डीएसपी दंपति ब्लैकमेल प्रकरण से इतना तो लगता ही है कि एक अनुशासित बल होने से उत्तराखंड पुलिस दूर होती नज़र आ रही है और यहां अनुशासन को तार-तार करते हुए मनमानी और अराजकता धीरे- धीरे जड़ जमा रही है. इसी तरह पुलिस के भीतर एक- दूसरे के विरुद्ध अपराध के आरोप लगते रहे तो पुलिस खुद ही खुद से पीड़ित हो जायेगी और ऐसी पुलिस क्या कानून व्यवस्था कायम करेगी और क्या आम जनता को इंसाफ दिलवाएगी ?
-इन्द्रेश मैखुरी
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