उत्तराखंड के मुख्य सचिव पद पर आसीन आई ए एस अधिकारी राधा रतूड़ी को दूसरी बार सेवा विस्तार दे दिया गया.
अजब हाल है उत्तराखंड का.
मंत्रिमंडल आधा- अधूरा है. मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में 12 सदस्य हो सकते हैं. लेकिन भरपूर बहुमत के बावजूद मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत आठ ही सदस्य हैं.
मुख्य सचिव पद पर राधा रतूड़ी ही नहीं, उनसे पहले डॉ. एस एस संधू को भी रिटायरमेंट के बाद छह महीने का सेवा विस्तार दिया गया. राधा रतूड़ी तो रिटायरमेंट के बाद दूसरा सेवा विस्तार पा गयी हैं. उनको मुख्य सचिव तब बनाया गया, जब वे रिटायरमेंट के कगार पर पहुंच गयी और फिर रिटायरमेंट के बाद एक सेवा विस्तार के बाद दूसरे सेवा विस्तार के जरिये उन्हें मुख्य सचिव पद पर बनाए रखा जा रहा है !
पुलिस महानिदेशक भी नवंबर 2023 से कामचलाऊ हैं. जिन अभिनव कुमार के पास डीजीपी का चार्ज है, वो रैंक से एडीजीपी हैं. यानि रैंक उनका एडीजीपी है और चार्ज उनके पास डीजीपी का है. यह अलग बात है कि उत्तराखंड पुलिस की वेबसाइट आप देखें तो लगता नहीं कि वे एडीजीपी रैंक वाले कार्यवाहक डीजीपी हैं. वहां तो वे फुल फ्लेजेड से भी ज्यादा फुल फ्लेजेड नज़र आते हैं.
सवाल यह है कि पूर्ण बहुमत होने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी ऐसी कामचलाऊ सरकार क्यों चला रहे हैं ? क्या वे फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं या उनमें फैसला लेने का आत्म विश्वास ही नहीं है या फिर उनको यह भरोसा नहीं है कि वे पूरा मंत्रिमंडल बना देंगे तो पार्टी उनके हाथ में नहीं रहेगी और पूर्णकालिक अफसरों की नियुक्ति कर देंगे तो अफसर उनके कहने-सुनने में रहेंगे ? वजह जो भी हो, लेकिन पुष्कर सिंह धामी की इस निर्णयहीनता के चलते उत्तराखंड पूर्ण बहुमत की कामचलाऊ सरकार झेल रहा है ! पॉलिसी पैरालिसिस की तर्ज पर यह डिसीजन मेकिंग पैरालिसिस है!
- इन्द्रेश मैखुरी
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बिना गुजरात कार्यालय की अनुमति के वो पानी भी नहीं पी सकते हैं
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