cover

आरोपियों के पद चिन्हों पर सत्ता की पहुंच !

 





नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष रहे भाजपा नेता मुकेश बोरा लगभग 23 दिनों से पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. गौरतलब है कि मुकेश बोरा के खिलाफ दुग्ध संघ में आउटसोर्सिंग से नियुक्त दैनिक वेतन भोगी महिला कर्मचारी ने बलात्कार, जान से मारने और अश्लील वीडियो बनाने के आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. 01 सितंबर को आरोपी मुकेश बोरा के खिलाफ काफी दबाव के बाद रिपोर्ट दर्ज हो सकी थी. इससे पहले पीड़िता के प्रार्थना पत्र की रिसीविंग देने में भी दो कोतवालियों की पुलिस, पीड़िता को इधर से उधर दौड़ाती रही. एफ़आईआर दर्ज होने के अगले दिन बलात्कार के आरोपी मुकेश बोरा के समर्थन में महिलाओं का एक जुलूस कोतवाली लाया गया और उसका फेसबुक लाइव किया गया.


इस बीच पीड़ित महिला ने आरोप लगाया कि मुकेश बोरा ने उसकी नाबालिग पुत्री से भी छेड़छाड़ की. एफ़आईआर में पॉक्सो की धारा भी जोड़ दी गयी. लेकिन आरोपी मुकेश बोरा पुलिस की पकड़ से बाहर ही रहा. 12 सितंबर को पुलिस ने आरोपी मुकेश बोरा के दो घरों के बाहर कुर्की के लिए मुनादी करके नोटिस चस्पा कर दिया.









हैरत की बात थी कि इधर पुलिस आरोपी मुकेश बोरा के घर के बाहर ढोल बजा रही थी और उधर आरोपी मुकेश बोरा, उच्च न्यायालय, नैनीताल पहुंच गया. उच्च न्यायालय ने पाँच दिन के लिए आरोपी मुकेश बोरा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी, लेकिन उसे थाने में रोज हाज़िर होने का फरमान सुना दिया. गिरफ्तारी पर रोक की अवधि तक आरोपी मुकेश बोरा अल्मोड़ा थाने में हाजिर होता भी रहा. लेकिन 17 सितंबर को उच्च न्यायालय ने आरोपी मुकेश बोरा को राहत देने से इंकार कर दिया. उसके बाद से वह पुलिस की पकड़ से बाहर है. पुलिस ने उसके घरों की कुर्की भी करवा ली है पर मुकेश बोरा अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है.


आज अखबारों में खबर है कि पुलिस ने मुकेश बोरा के मददगार के रूप में  जसपुर में परिवहन कर अधिकारी के रूप में तैनात नंदन प्रसाद को चिन्हित किया है. साथ ही नंदन प्रसाद की पत्नी आशा रानी, जो भाजपा नेता हैं और धारी की ब्लॉक प्रमुख हैं, उन्हें भी मुकेश बोरा के मददगार के तौर पर पुलिस ने चिन्हित किया है और उनका नाम मुकदमें में जोड़ा है. साथ ही भीमताल के निवर्तमान पालिका अध्यक्ष देवेंद्र चनौतिया को भी पुलिस ने मुकेश बोरा की मदद करने में आरोपी बनाया है. इन सब पर पुलिस ने मुकेश बोरा को छुपने और फरार होने में मदद करने का आरोप लगाया है.









हो सकता है कि ये सभी बोरा की मदद कर रहे हों, लेकिन तब भी सवाल तो पुलिस की कार्यक्षमता और दक्षता पर ही है. क्या यह सामान्य बात है कि बलात्कार का आरोपी उसी दिन उच्च न्यायालय से अरेस्ट स्टे ले आता है, जिस दिन पुलिस उसके घर के बाहर कुर्की का नोटिस लगाने के लिए ढोल बजा रही होती है ? फिर जिस दिन उच्च न्यायालय आरोपी मुकेश बोरा को राहत देने से इंकार करता है तो वह एकाएक गायब हो जाता है और पूरे पुलिस व इंटेलिजेंस के तंत्र को खबर ही नहीं लगती कि मुकेश बोरा कहाँ उड़नछू हो गया है ! ऐसा भी तब होता है, जबकि उससे पहले दिन तक वह उच्च न्यायालय के निर्देश पर अल्मोड़ा कोतवाली में हाज़िरी लगाने आ रहा था ! क्या पुलिस को अंदेशा नहीं था कि उच्च न्यायालय से राहत ना मिलने की दशा में मुकेश बोरा फरार हो सकता है ? अंदेशा नहीं था तो बड़ी मासूम पुलिस है, नैनीताल जिले की और अंदेशा था, उसके बावजूद मुकेश बोरा फरार होने में कामयाब रहा तो फिर तो नैनीताल जिले की पुलिस की दक्षता के क्या कहने !


पुलिस भले ही कहे कि आरोपी को अलाने ने मदद की, फलाने ने मदद की, लेकिन आरोपी मुकेश बोरा का जो भी तंत्र है, वो पुलिस से बड़ा नहीं हो सकता. फिर उसके पुलिस के जाल से अब तक बचे रहने में क्या उसका भाजपा से संबद्ध होना भी एक कारक है ? एफ़आईआर लिखने में ही पुलिस ने जिस तरह की हील-हुज्जत की और उसके बाद 23 दिन तक मुकेश बोरा के पुलिस की गिरफ्त से बाहर होने के चलते, यह संदेह तो पैदा होता ही है कि मुकेश बोरा की सत्ता से निकटता भी उसके लिए ढाल बन रही है !


 सत्ता के मद में चूर हो कर भाजपा से जुड़े लोगों द्वारा अपराध और ठगी करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. बीते कुछ सालों में सरकारी नौकरी दिलवाने का रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए हाकम सिंह रावत, चंदन मनराल, आरबीएस रावत, संजय धारीवाल जैसे लोगों का संबंध सत्ताधारी भाजपा से रहा है. इनके जेल जाने के बावजूद सत्ता से जुड़े लोगों द्वारा सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी का सिलसिला, लगता है कि अभी भी बदस्तूर जारी है.


22 सितंबर को नंदानगर (घाट) के राहुल सिंह बिष्ट ने थाने में तहरीर दी सिमली(कर्णप्रयाग) निवासी प्रीतम सिंह नेगी और ग्राम कुंतरी(घाट) निवासी मुकेश सती ने सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर उसकी पत्नी से सात लाख पैंतीस हजार रुपये ठग लिए और बदले में एक आईएएस अधिकारी के दस्तखतों वाली फर्जी चिट्ठी थमा दी.








 उक्त एफ़आईआर के आधार पर पुलिस द्वारा प्रीतम सिंह नेगी को गिरफ्तार कर लिया गया है. 








गिरफ्तार किए गए प्रीतम सिंह नेगी भारतीय जनता युवा मोर्चा के चमोली जिले के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं और उनके पिता भी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं. नौकरी दिलवाने के नाम पर लाखों की ठगी और जिन्हें ठग रहे हैं, उन्हें आईएएस अधिकारी के जाली दस्तखत वाला पत्र पकड़ाने का यह साहस कहाँ से आता है ? जाहिर सी बात है, सत्ताधारी दल में होने से ही यह साहस पैदा हुआ है कि ठगी करने पर भी कौन कुछ बिगाड़ लेगा !


चाल, चरित्र और चेहरे का नारा देने वाली भाजपा के नेताओं की यह ठगी की चाल, कूटरचित चरित्र और भ्रष्ट चेहरा प्रदेश की जनता के लिए निरंतर मुसीबत का सबब बना हुआ है !


-इन्द्रेश मैखुरी   

Post a Comment

0 Comments