प्रति,
महामहिम राज्यपाल महोदय,
उत्तराखंड शासन,
देहरादून.
द्वारा : श्रीमान सचिव, महामहिम
राज्यपाल महोदय.
श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,
उत्तराखंड पुलिस,
देहरादून.
श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक महोदय,
कुमाऊँ परिक्षेत्र,
नैनीताल.
श्रीमान
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय,
अल्मोड़ा.
महामहिम / महोदय,
उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों
में कतिपय लोगों द्वारा सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिशें
निरंतर की जा रही हैं. अफसोस यह है कि समाज में सरेआम हिंसा फैलाने का आह्वान करने
तथा घृणा फैलाने वालों के खिलाफ अब तक एक भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई
है. यही वजह है कि ऐसे तत्वों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं और वे उत्तराखंड के तमाम
छोटे- बड़े नगरों में अपने घृणा अभियान का सरेआम प्रसार कर रहे हैं.
इस पत्र के साथ दो वीडियो संलगन हैं, जो अल्मोड़ा जिले के दो दूरस्थ इलाकों- भिकियासैण और सोमेश्वर में निकाले गए जुलूसों के हैं, जिनमें एक धर्म विशेष के लोगों के विरुद्ध मारने-काटने से लेकर लगभग गाली-गलौच की भाषा में भड़काऊ नारे लगाए गए.
भिकियासैण का वीडियो (अवधि 4 मिनट 43 सेकंड), जुलाई 2023 के
अंतिम दिनों का है और सोमेश्वर का वीडियो (1 मिनट 30 सेकंड),
अगस्त 2023 के शुरुआती दिनों का है.
महामहिम / महोदय, माननीय उच्चतम
न्यायालय ने कई बार यह निर्देश दे दिया है
कि घृणा भरे भाषण (Hate Speech) के मामले में पुलिस को किसी
औपचारिक शिकायत का इंतजार किए बगैर स्वयं स्वतः संज्ञान लेते हुए एफ़आईआर दर्ज करनी
हैं. 11 अगस्त 2023 को स्वयं पुलिस महानिदेशक महोदय द्वारा भी हेट स्पीच के मामले
में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने के निर्देश दिये गए. लेकिन
अभी भी कोई प्रभावी कार्यवाही नज़र नहीं आ रही है.
महामहिम / महोदय से निवेदन है कि सांप्रदायिक उन्माद
और घृणा फैलाने की हर छोटी-बड़ी कोशिश से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. किसी भी
उन्माद, घृणा और हिंसा फैला कर अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति करने की अनुमति
नहीं दी जानी चाहिए. अल्मोड़ा जिले के संलग्न वीडियोज़(videos)
के मामले में तत्काल माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार कार्यवाही हेतु अपने अधनीस्थों को निर्देशित करने की कृपा
करें.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश
मैखुरी,
राज्य
सचिव, भाकपा(माले)
उत्तराखंड.
(नोट : यह पत्र व्हाट्स ऐप और ईमेल के जरिये भेज दिया गया है. नफरत भरे नारों वाले दोनों वीडियो की आवाज़ म्यूट कर दी गयी है ताकि हम उस घृणा के वाहक न बनें, समाज की बेहतरी इसी में है कि ऐसी आवाज़ें म्यूट ही रहें)
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