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नियुक्तियां निरस्त होना स्पष्ट करता है कि भ्रष्टाचार हुआ है





उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा में हुई 200 से अधिक नियुक्तियाँ निरस्त किये जाने से स्पष्ट है कि उक्त नियुक्तियाँ बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के की गयी. इसलिए ये नियुक्तियाँ भ्रष्टाचार की श्रेणी में आती हैं.











इस संदर्भ में 19 सितंबर को भाकपा (माले) की ओर मैंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर कहा था कि विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों द्वारा जितनी भी नियुक्तियाँ की गयी हैं,वे बिना पारदर्शिता के हैं और उनमें भाई-भतीजावाद हुआ है. इसलिए इस मामले में अवैध नियुक्ति करने वाले पूर्व अध्यक्षों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए.


वर्ष 2000  से 2011 तक की नियुक्तियों को भी इस दायरे में लाते हुए मुकदमा दर्ज किया जाए. 


चूंकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल द्वारा विधानसभा में की गयी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार होने की पुष्टि विधानसभा अध्यक्ष की कार्यवाही से हो गयी है, इसलिए प्रेम चंद्र अग्रवाल को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए.

-इन्द्रेश मैखुरी

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