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नियम कायदों का नहीं मनमानी का राज !

 









खबर यह है कि उत्तराखंड सरकार ने “सम्यक विचारोपरांत” 678 शिक्षकों के तबादले कर दिये हैं. ये तबादले कौन से हैं ?












ये वो तबादले हैं, जो जनवरी महीने में किए गए थे. सैकड़ों की तादाद में किए गए, ये तबादले वो हैं, जिन पर 07 जनवरी 2022 की तारीख डाली गयी थी. 07 जनवरी की तारीक इसलिए डाली गयी क्यूंकि उसी दिन राज्य में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हुई थी. राज्य की भाजपा सरकार और उसके इशारे पर नाचते नौकरशाहों ने सिर्फ चुनाव आयोग और आचार संहिता के चक्र से बचने के लिए सरकार के कार्यकाल की समापन बेला पर आचार संहिता लागू होने के दिन की तारीख का प्रयोग किया था.


उस समय उत्तराखंड की भाजपा सरकार बेहद हड़बड़ी में थी और ऐसा प्रतीत होता है कि दोबारा सत्ता वापसी को लेकर भी ज्यादा आशान्वित नहीं थी. इसीलिए उसने जाते-जाते अपनों और अपनों के अपनों को उपकृत करने के सैकड़ों की तादाद में तबादले कर दिये गए. हड़बड़ी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि तबादले पर शिक्षक को किसी एक स्कूल में नहीं बल्कि कई स्कूलों का विकल्प, तबादला आदेश में लिख दिया गया था. किसी एक स्थान से तबादला हो कर जाने वाले शिक्षक के तबादला आदेश में नए नियुक्ति स्थल के तौर पर चार से लेकर सात स्कूल तक लिखे गए थे ! एक तबादला आदेश में लिखा हुआ था- “हरिद्वार या देहरादून के निकट का कोई विद्यालय” ! 











भाजपा सरकार दोबारा सत्ता में आई. अंतर सिर्फ इतना ही हुआ कि अरविंद पांडेय  के बदले डॉ.धन सिंह रावत शिक्षा मंत्री बनाए गए हैं. सत्ता में आने के लगभग दो  महीने बाद भाजपा सरकार ने तय किया कि उसे अपने उन सभी कृपा पात्रों पर ट्रांस्फर की कृपा बरसानी चाहिए, जिन पर कृपा मार्च के महीने में बरसा कर, उसे स्थगित करनी पड़ी थी. सवाल यह है कि क्या इस बार भी ये सारे तबादले उसी तरह से बहुविकल्पीय होंगे, जिस तरह मार्च में थे ? क्या अब भी भाजपा सरकार की कृपा दृष्टि जिन पर है, उनको यह छूट होगी कि वे “हरिद्वार या देहरादून के निकट कोई विद्यालय” में सरकारी चिट्ठी लेकर पहुँच सकते हैं और वहां ज्वाइन कर सकते हैं ?


यह तबादले जिस वक्त किए गए हैं, उस वक्त भी प्रदेश में उपचुनाव है और उसकी आचार संहिता भी है (“सम्यक विचारोपरांत” किए गए आदेश में भी उसका उल्लेख  है). पर जब आम चुनाव के वक्त आचार संहिता की परवाह नहीं की गयी तो उपचुनाव में भला क्यूं की जाएगी ?


यह भी गौरतलब है कि अनिवार्य, अनुरोध तथा पारस्परिक स्थानांतरण के लिए राज्य सरकार ने 31 मई तक आवेदन मांगे हैं. 678 शिक्षकों के तबादला आदेश के बाद उत्तराखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि आवेदन की औपचारिकता तो सामान्य शिक्षकों के लिए है,अपने प्रिय पात्रों का तबादला तो वह आचार संहिता के बीच भी कर चुकी थी और इस बार पुनः उसने कर दिया है. अपने प्रिय पात्रों के लिए वह नियम-कायदों से किसी भी हद तक विमुख होने को तैयार है.


-इन्द्रेश मैखुरी  

 

 

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