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छोटा पैकेट बड़ा धमाका !

 







यूं तो यह विज्ञापनी जुमला है- छोटा पैकेट बड़ा धमाका पर उत्तराखंड में छोटे पैकेट के बड़े धमाके हम साक्षात देख रहे हैं. बल्कि यहां तो छोटा पैकेट,बड़े धमाका- वाले जुमले का एक्सटेंशन भी किया जा सकता है-छोटा पैकेट बड़ा धमाका, हाइट कम, आइडियायों की रेंज अनंत !


जी हां, हम बात कर रहे हैं,उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत की. क्या आइडियायों की दुकान हैं, धन सिंह भाई ! बल्कि आइडियायों का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या मॉल कहना ज्यादा ठीक रहेगा ! हफ्ते-पंद्रह दिन में नए आइडिया के साथ नमूदार हो जाते हैं वे !


कल फिर नया आइडिया लेकर आए हैं- घास पैकेट में दुकान पर मिलेगा !







अभी लोग उनका पिछला आइडिया ही समझने की कोशिश कर रहे थे कि उन्होंने नया धमाका कर दिया ! पिछला आइडिया याद है ना- बारिश हटाने वाला ऐप !







अभी हाल में उत्तराखंड में हुई भारी बारिश के बीच राहत-बचाव या आपदा से हुए नुकसान पर उतने पोस्ट नहीं लिखे गए, जितने धन सिंह भाई के ऐप को लेकर लिखे गए. यूं धन सिंह भाई,उत्तराखंड सरकार में आपदा प्रबंधन के मंत्री भी हैं पर लोगों ने उन्हें आपदा में भी आपदा प्रबंधन के लिए याद नहीं किया ! याद किया तो बादलों को आगे-पीछे करने वाले ऐप के लिए !





 

बीते दिनों जब धन सिंह भाई की विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख नगर- श्रीनगर(गढ़वाल) को नगर निगम बनाने की घोषणा उत्तराखंड सरकार ने की. इसका औचित्य प्रस्तुत करते हुए धन सिंह भाई ने एक टीवी चैनल से कहा कि श्रीनगर की आबादी बढ़ते हुए लगभग 80 लाख हो चुकी है. हालांकि जिस पौड़ी जिले में श्रीनगर पड़ता है, उसकी सरकारी वैबसाइट कह रही है कि पूरे पौड़ी जिले की आबादी- छह लाख सतासी हजार दो सौ इकहत्तर है. 







लेकिन यही तो मंत्री जी का बड़ा धमाका है कि जिले की जनसंख्या कम रह गयी और एक नगर की जनसंख्या उससे कई गुना बढ़ गयी ! 2011 की जनगणना में कहा गया कि अल्मोड़ा और पौड़ी ऐसे जिले हैं जहां जनसंख्या वृद्धि की दर नकारात्मक है. पौड़ी जिले के एक नगर की आबादी को उस पूरे जिले की आबादी से कई गुना बढ़ा कर धन सिंह भाई ने पौड़ी जिले की यह समस्या तो हल कर दी है,अब अल्मोड़ा वाले अपना देख लें, वे भी अपने लिए धन सिंह भाई जैसा धमाका तलाश लें !

 

 

और अब धन सिंह भाई ने नया धमाका कर दिया. वे कह रहे हैं कि अब महिलाओं को घास लेने जंगल नहीं जाना पड़ेगा बल्कि सरकार जैसे सस्ते गल्ले की दुकान पर राशन उपलब्ध करवाती है, वैसे ही घास के पैकेट भी उपलब्ध करवाएगी !






वाह ! क्या रोजगार योजना है ! घास की सरकारी दुकान ! घास की दुकान में लाइन में खड़े लोग ! सरकारी,शुद्ध पौष्टिक घास की दुकान, अनुज्ञापी-धन सिंह भाई के चंगू-मंगू ! घास सप्लाई का टेंडर ! टेंडर में कमीशन ! पता चला कि घास से पालतू पशु उतने तंदुरुस्त न हुए, जितने नेता जी घास सप्लाई के कमीशन से मुटा गए !


यूं दुकान में घास मिलने में एक और फायदा है, दिमागों में भरने के लिए घास की निर्बाध सप्लाई की जा सकती है. दिमागों में गोबर और भूसा भरने की राष्ट्रीय परियोजना चल ही रही है, अब उत्तराखंड में दिमागों में घास भरने का आउटलेट भी खोला जा सकेगा !


अब टोटल में सब आइडियाओं को समझिए. लोग बादल सरकाने वाले ऐप से बादलों को अपने हिसाब से इधर-उधर करके,घर से बाहर निकलें. अपनी नजदीकी घास की दुकान से घास का पैकेट,पालतू पशुओं और दिमाग की आवश्यकता के अनुसार खरीद लाएँ. योजना आगे बढ़ने पर घास के पैकेटों की होम डिलिवरी भी संभव है. और यह घास के पैकेट वाली दुकान होगी कहाँ ? अजी सवा करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में अकेले अस्सी लाख की जनसंख्या वाले नगर निगम में, इसके सिवा और कहां ! जुबान के फिसलने की रफ्तार पर ध्यान दिया जाये तो चिफलघाट में भी आउटलेट खोलने पर विचार कर सकते हैं !


-इन्द्रेश मैखुरी  

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2 Comments

  1. आम आदमी की समस्याओं को एक ख़ास 'ऐप' से होने वाली बारिश एवं दुकानों में मिलने वाली घास सी उपजी 'मसख़री' लोगों के लिए मनोरंजन का साधन बन गई है। सही माने में राज नेता को, आम लोगों के उज्ज्वल भविष्य का दृष्टा होना चाहिए।

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