उत्तराखंड सरकार महिलाओं के सामाजिक कार्यों के योगदान को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली के नाम पर पुरस्कार देती है.
उत्तराखंड सरकार के महिला एवं बाल
विकास विभाग की वैबसाइट पर मौजूद चार लाइन के ब्यौरे के मुताबिक यह पुरस्कार किसी क्षेत्र
में विशेष उपलब्धि के लिए दिया जाता है.
माहिला एवं बाल विकास विभाग की वैबसाइट पर तीलू रौतेली
पुरस्कार के ब्यौरे का लिंक : https://wecd.uk.gov.in/files/Women%20Schemes/W_Schemes10.pdf
यह अलग बात है कि महिला एवं बाल विकास विभाग की गति इतनी
धीमी है कि उसकी साइट पर सम्मान राशि दस हजार रुपया ही दर्ज है, जबकि इस वर्ष यह राशि इकत्तीस हजार रुपया थी, जिसे मुख्यमंत्री
पुष्कर सिंह धामी ने बढ़ा कर इक्यावन हजार रुपया करने की घोषणा की है. हालांकि यह इकलौती
बात नहीं है, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की गति पिछड़ी
है. उनकी साइट पर अभी मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेन्द्र रावत का ही फोटो चस्पा है
!
इस वर्ष उत्तराखंड सरकार द्वारा दिये गए तीलू रौतेली पुरस्कार
की यह खास बात थी कि पुरस्कार देने के पैमाने की सत्ताधारी भाजपा ने नयी व्याख्या कर
डाली. जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है कि तीलू रौतेली पुरस्कार ऐसी महिलाओं को दिया
जाता है, जिन्होंने किसी क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल की हो.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने
अपनी पार्टी यानि भाजपा का पदाधिकारी होना ही महिलाओं की विशिष्ट उपलब्धि माना और इसी
आधार पर अपनी पार्टी की महिला नेताओं, कार्यकर्ताओं और पार्टी
नेताओं की पुत्रियों को यह पुरस्कार रेवड़ियों की तरह बांट डाले !
पुरस्कार पाने वालों में राज्य के कैबिनेट मंत्री बिशन
सिंह चुफाल की बेटी हैं तो विधानसभा अध्यक्ष की पीआरओ भी हैं, पिथौरागढ़ जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं तो लोहाघाट नगर पंचायत में भाजपा
की मनोनीत पार्षद भी हैं. भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष,विभिन्न जिलों में भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी पुरस्कार पाने वालों की
सूची में हैं. जिन 22 महिलाओं को राज्य सरकार ने पुरस्कार देने
की घोषणा की है, उनमें भाजपा के बाहर की महिलाओं की संख्या दो-तीन
से अधिक नहीं है.
यह मुमकिन है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उनकी सरकार और भाजपा की निगाह में उनकी पार्टी का सदस्य होना ही किसी महिला
की सर्वाधिक विशिष्ट उपलब्धि हो, लेकिन यह इस पुरस्कार के उद्देश्य
का पूरी तरह मखौल उड़ाना है. समाज सेवा में
प्राणपण से लगी हुई महिलाओं को भी यह हतोत्साहित करने वाली कार्यवाही है और जिस वीरबाला
तीलू रौतेली के नाम पर ये पुरस्कार दिये जाते हैं, उसका भी तिरस्कार
है.
-इन्द्रेश मैखुरी
2 Comments
आज के दौर में पद पुरूस्कार सत्ता की चरण वंदना कर स्तुतिगान करने वालों के लिए अपरोक्ष रूप से आरक्षित हैं।
ReplyDelete"खाजा - बुखणा सी बाँटिन तिन लाल बत्तियों का डोला "
ReplyDeleteराज्य बनने से लेकर आज तक यही चल रहा है इस प्रदेश में