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वामपंथी पार्टियों की मांग : कोविड टेस्टिंग घोटाले की हो सीबीआई जांच या न्यायिक जांच

 










प्रति,

   श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,

    उत्तराखंड शासन,

    देहरादून.




 

 

महोदय,


      यह बेहद क्षोभ का विषय है कि हरिद्वार में हाल में सम्पन्न हुए कुंभ में  कोविड टेस्टिंग में भारी फर्जीवाड़ा सामने आया है. एक ऐसे समय पर जबकि पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, कुंभ के आयोजन पर ही सवाल उठाए जा रहे थे और इस पूरे आयोजन से कोरोना के अत्याधिक प्रसार की बातें कही जा रही थी, तब राज्य सरकार द्वारा कोविड टेस्ट के लिए अनुबंधित लैब्स लोगों की फर्जी कोविड नेगेटिव रिपोर्ट जारी करके सब को भ्रम में डाल रही थी. कुंभ के दौरान ही माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय,नैनीताल ने हरिद्वार,देहारादून आदि जिलों में प्रतिदिन पचास हजार टेस्ट करने का आदेश जारी किया था. पचास हजार टेस्ट तो दूर की बात है, हरिद्वार में बिना टेस्ट के लोगों को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा अनुबंधित लैब्स द्वारा दी जा रही थी.


महोदय, जिस मैक्स कारपोरेट सोसाइटी को कुंभ में कोविड टेस्टिंग का काम दिया गया,वह तो जमीन पर कहीं थी ही नहीं, उसने तो टेस्टिंग का काम दो अन्य लैब्स को आउटसोर्स कर दिया. प्रश्न यह है कि जब नियम के अनुसार आईसीएमआर के जरिये रजिस्टर्ड होना अनिवार्य था तो फिर बिना आईसीएमआर के रजिस्ट्रेशन के मैक्स कारपोरेट सोसाइटी से कुंभ में कोविड टेस्टिंग का अनुबंध राज्य सरकार की ओर से क्यूं किया गया ?  मैक्स कारपोरेट सोसाइटी को यह छूट क्यूं दी गयी कि वह स्वयं टेस्टिंग न करके दो अन्य लैब्स- नालवा और डा.लाल चंदानी को टेस्टिंग का काम सौंप दे ? कोविड टेस्टिंग जैसे संवेदनशील, लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़े मामले में इस ठेकेदारी वाली परिपाटी की अनुमति किसने और क्यूं दी ?


महोदय, इतना बड़ा घपला तब अंजाम दिया जा रहा था,जबकि राज्य सरकार और उसके पुलिस और प्रशासनिक अमले का बड़ा हिसा हरिद्वार में कुंभ के आयोजन में लगा हुआ था. हरिद्वार में सिर्फ जिले का प्रशासन ही नहीं था, बल्कि मेलाधिकारी समेत मेले का प्रशासन अलग से था, पुलिस की ओर से आईजी,कुंभ तैनात किए गए थे. इसके बावजूद इतना बड़ा घपला ये लैब्स कर रही थी और किसी को कानोकान खबर न हुई. यह तो प्रशसन के इन तमाम आला अफसरों और राज्य के अभिसूचना (इंटेलिजेंस) के तंत्र की काबिलियत पर ही प्रश्न चिन्ह है !


महोदय, इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बाद इसकी जांच के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गयी है,उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की सच सामने लाने में कोई रुचि ही नहीं है. जिलाधिकारी ने सीडीओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई. राज्य सरकार जिस एसआईटी जांच की बात ज़ोरशोर से कर रही थी,वह एडिशनल एसपी रैंक के अफसर को सौंपी गयी है. यह हास्यास्पद है.


महोदय, इस टेस्टिंग घोटाले में जितने बड़े पैमाने पर सफेदपोश और उच्च पदस्थ  नामों की चर्चा है, उसकी जांच हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित एसआईटी के जरिये नामुमकिन है. हमारी यह मांग है कि उक्त प्रकरण की जांच सीबीआई से अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच करवाई जाये. साथ ही जांच पूरी होने तक जिला प्रशासन हरिद्वार, मेला प्रशासन हरिद्वार तथा सीएमओ हरिद्वार, सीएमओ,कुंभ मेला एवं स्वास्थ्य सचिव को पद से हटाया जाये ताकि उक्त अफ़सरान जांच को प्रभावित न कर सकें.



सधन्यवाद,



समर भंडारी          

राज्य सचिव

भाकपा


 राजेंद्र सिंह नेगी

  राज्य सचिव

    माकपा


 

  इन्द्रेश मैखुरी                     

 गढ़वाल सचिव

  भाकपा(माले)

 

 

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