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प्रधानमंत्री के प्रस्तावक, पद्म सम्मानित कलाकार की यह स्थिति तो आम जन का क्या होगा ?

 






पंडित छन्नू लाल मिश्रा का नाम सुना है आपने ? यूं तो उनका परिचय यह है कि भारतीय शास्त्रीय गायन के वे बड़े कलाकार हैं जो ख्याल और ठुमरी के लिए प्रख्यात हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान को देखते हुए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों- पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजे जा चुके हैं. जो देश में सब कुछ मोदी से शुरू और मोदी से अंत समझते हैं,उनके लिए पंडित छन्नू लाल मिश्रा का परिचय यह है कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने बनारस से लोकसभा का चुनाव लड़ा तो नामांकन के लिए मोदी के चार प्रस्तावकों में से पंडित छन्नू लाल मिश्रा भी एक प्रस्तावक थे.


अब यह वीडियो देखिये





 

जो रो रही हैं,वो देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे गए और इस देश के सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव में प्रस्तावक रह चुके पंडित छन्नू लाल मिश्रा की बेटी- डॉ.नम्रता मिश्रा हैं. वे आरोप लगा रही हैं कि बनारस के एक निजी अस्पताल- मेडविन- ने इलाज में लापरवाही बरत कर उनकी बहन-संगीता मिश्रा को मार डाला. छह दिन उक्त निजी अस्पताल में इलाज के दौरान परिवार को कुछ भी नहीं बताया गया कि उनका क्या इलाज किया जा रहा है. उल्टी और बुखार की शिकायत पर उक्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था. परिवार से कहा गया था कि वे मरीज से मिल तो नहीं सकेंगे,लेकिन रोज दोपहर में दो से चार बजे के बीच अपने मरीज को सीसीटीवी पर देख सकेंगे. डेढ़ लाख रुपया इलाज के लिए अस्पताल ने जमा करवा लिया. नम्रता कहती हैं कि अगले दिन जब वे अस्पताल पहुंची तो उनसे कहा गया कि सीसीटीवी खराब हो गया है,जब ठीक हो जाएगा तो परिवार को सूचित कर दिया जाएगा. नम्रता कहती हैं कि उसके बाद लाख मिन्नतें करने के बाद भी उनकी बहन से उनको नहीं मिलने दिया गया,ना ही चेहरा दिखाया गया. पंडित छन्नू लाल मिश्रा की पत्नी के निधन पर जब प्रधानमंत्री ने शोक व्यक्त करने के लिए फोन किया तो मिश्रा जी ने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी के मामले का जिक्र किया. तब कहीं जा कर बनारस के जिलाधिकारी ने उक्त अस्पताल के डॉक्टर को कॉन्फ्रेंस कॉल पर लिया और डॉक्टर ने वीडियो के जरिये मिश्रा जी की बेटी को दिखाया. नम्रता कहती हैं कि डाक्टर ने उनसे कहा कि उनकी बहन 96 प्रतिशत ठीक हैं,सब कुछ खा रही हैं. इस बात के अगले दिन उनकी बहन के गंभीर होने की सूचना उन्हें दी गयी और फिर रात ढाई बजे उनकी बहन की मृत्यु की सूचना उन्हें दे दी गयी. उनके मरने के बाद अस्पताल ने उनसे चार लाख रुपये और मांगे.


इस पूरे घटनाक्रम से समझिए कि इस देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति कितनी गंभीर है. यदि एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती अपनी बेटी का चेहरा देखना के लिए तक प्रधानमंत्री से गुहार लगानी पड़ रही है तो समझिए कि हालात किस कदर खराब हैं. यह अस्पताल भी जानता होगा कि इस परिवार की प्रधानमंत्री से सीधी बात है,तब भी वह ऐसा सलूक कर रहा था तो उसकी ढीठता का अंदाज लगाइये. और यह तो उस परिवार की स्थिति है,जिससे प्रधानमंत्री सीधे फोन पर बात करते हैं. उस आम जन के बारे में सोचिए,जिसकी पहुँच प्रधानमंत्री तक तो छोड़िए,किसी दफ्तर के बाबू या चपड़ासी से भी नहीं है.उसकी क्या गत होगी ? इस महामारी के काल में ऑक्सीजन, आईसीयू और दवाओं के लिए तड़पते लोगों के बारे में इस घटना के आइने में सोच के देखिये.  खस्ताहाल सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों की लूट से कैसी विश्वशक्ति बनेंगे हम ? विज्ञापनों से छवि चमकाते महानायको, कुछ आम जन के हालात पर भी गौर करो.


-इन्द्रेश मैखुरी

 

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