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इस दानवीरता पर इतराइए मत,अपने गिरेबान में झांकिए !

 




उत्तराखंड में चार साल तक मुख्यमंत्री की गद्दी पर आरूढ़ रहे त्रिवेंद्र रावत को गद्दी से उतारे जाते ही, लगता है प्रचार में बने रहने की हूक उठ रही है. इसलिए वे इतने सक्रिय दिखना चाहते हैं,जितने वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए भी नहीं थे. अभी वे जितने बोल रहे हैं, उतने का अंश भर भी वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ कर लोगों से बोल-बतिया लेते तो ऐसी नौबत ही क्यूं आती. पर जब कुर्सी पर थे तो लगता था क्वारंटीन हैं. बोलने के मामले में तो ऐसा लगता था कि राज्य के मुख्यमंत्री नहीं हैं बल्कि कोई नाराज़ रिश्तेदार हैं, जो शादी वाले घर में उपेक्षा के चलते मुंह फुला कर बैठे हैं.


बोलने में उनका विश्वास इतना कम था कि वे विधानसभा में तक नहीं बोलते थे. लोग कहते थे कि विधानसभा का सत्र इस तरह प्लान किया जाता था कि मुख्यमंत्री को जवाब देने की नौबत ही न आए. दो-एक मौकों पर तो उन्होंने लिखित आदेश जारी कर दिये कि उनके विभागों का जवाब फलां-फलां मंत्री देंगे !


चालीस से अधिक विभाग उनके पास थे और विधानसभा में जवाब वे एक का भी नहीं देना चाहते थे. लेकिन कुर्सी गयी तो कुर्सी पर आरूढ़ रहने के दौरान, उनका चेहरा जो पिरपिरा बना रहता था,अब उस चेहरे पर मुस्कान भी दिख जाती है.


और देखिये अचानक वे दानवीर भी हो गए हैं. सोशल मीडिया पर उन्होंने खुद बताया कि देहारादून के कोरोनेशन अस्पताल में इंजेक्शन रखने के लिए फ्रिज नहीं था,बाजार से खरीदने का समय नहीं था,इसलिए उन्होंने घर का फ्रिज भेज दिया. 





किसी आम इंसान ने ऐसी दानशीलता दिखाई होती तो ये काबिल-ए-तारीफ होती. लेकिन ये दानशीलता वो आदमी दिखा रहा है जो बीते चार बरस से इस राज्य का मुख्यमंत्री था.  त्रिवेंद्र रावत चार बरस तक न केवल मुख्यमंत्री थे बल्कि स्वास्थ्य का महकमा भी उन्हीं के पास था. गद्दी से हटा न दिये गए होते तो 18 मार्च 2021 को अपनी सरकार के चार साल का जश्न माना रहे होते त्रिवेंद्र रावत. पूरा प्रदेश- बातें कम, काम ज्यादा-लिखे हुए होर्डिंगों से पाट दिया गया था. हकीकत देखिये कि देहारादून के जिला अस्पताल में दवाई रखने को फ्रिज तक नहीं था.


दानवीरता पर गाल मत बजाये त्रिवेंद्र भाई,इस बात का जवाब दीजिये कि यदि देहारादून के जिला अस्पताल में दवा रखने के लिए फ्रिज भी नहीं है तो चार साल तक जो स्वास्थ्य विभाग का बजट आपके हाथों में था,उसका क्या हुआ ? आप घर का तीन टांग वाला फ्रिज देकर दानवीर बनना चाहते हैं पर असल मसला तो यह है कि आपके चार साल मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहते इस अस्पताल की ऐसी हालत क्यूं हो गयी कि यह इस तरह के दान पर निर्भर है ?


यह हालत सिर्फ इस अस्पताल की नहीं हुई,पूरे प्रदेश की हो गयी और इसमें आपके पूर्ववर्तियों और आपका भरपूर योगदान है त्रिवेंद्र रावत जी ! अस्पताल का काम तो आपके घर के पुराने फ्रिज से चल जाएगा पर जिन बेरोजगारों के भविष्य पर पिछले चार साल में ग्रहण लग गया,उनका क्या ? कोई पीसीएस की परीक्षा नहीं हुई, फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा में धांधली हुई, पीआरडी से आपके प्रिय देहारादून के मेयर की बेटी और उपनल के जरिये विधानसभा अध्यक्ष के बेटे को नौकरी पाने के मामले ने आपके राज में खूब सुर्खियों बटोरी ! जिन बेरोजगारों के भविष्य पर आपके चार साल के राज में घाम लग गया, उनको ठंडक पहुंचाने वाला फ्रिज कहां से लाएंगे त्रिवेंद्र रावत जी ?


इस दानवीरता पर इतराइए मत,अपने गिरेबान में झांकिए !


-इन्द्रेश मैखुरी

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