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भक्तिरस और सोमरस का कॉकटेल

 




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मूलतः शेर यूं था कि :

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर

या वो जगह बता दे जहां पर खुदा न हो


लगता है कि उत्तराखंड में टिहरी जिले के चंबा में शराब वाले इस शेर से ज्यादा प्रेरित हो गए. शराब वाले शेर कह सकते हैं कि नहीं,कौन जाने ! पर इतना जरूर है कि उनकी शराब पी कर अच्छे-अच्छे भीगे बिल्ले शेर हो जाते हैं ! शराब वाले  शेर कह सकते तो इस मसले पर यूं कहते :

सौणू दिदा शराब बेचने दे मंदिर के तले

या वो जगह बता जहां द्ब्यता नहीं है !!


सौणू दिदा अकबक कि द्ब्यता तो भै देखा नहीं पर दारू की दुकान तो चौक-चौक,गली-गली में अवतरित हो गयी है. उन डांडी-कांठ्यूं में जहां डाक्टर नहीं,मास्टर नहीं चढ़ रहा है,गंगा जी का पानी भी नहीं चढ़ रहा है,वहाँ बिना सड़क के दारू सरबट चढ़ जा रही है !  सरकारी नहीं पहुँचती तो चंडीगढ़ की गैरसरकारी तो सरासर धार-धार,खाल-खाल पहुँच जा रही है भै ! दारू की महिमा तो बहुत ही अपरमपार है.




यह दारू की महिमा तो है कि छत पर मंदिर और उसकी छत्रछाया में दारू की दुकान,उन्हीं के राज में है,जिनकी सारी राजनीति मंदिर पर ही टिकी हुई है. किसी और के राज में मंदिर पर दारू की दुकान का बोर्ड लगा होता तो अब तक आधे हिंदुस्तान में आग लग चुकी होती और आग लगाने का सामान उनके हाथ में होता,अभी जो अपना राज होने पर मंदिर के नीचे दारू की दुकान के मामले में रेत में सिर डाले बगुले के माफिक हो गए हैं ! जो भव्य मंदिर के लिए गली-गली चंदा वसूल रहे हैं,उन्हीं की हुकूमत तमाम गलियों में दारू की दुकान भी पहुंचा रही है.


हरिवंश राय बच्चन कहते हैं :

मंदिर-मस्जिद बैर कराते,

मेल कराती मधुशाला


 जिनकी राजनीति मंदिर-मस्जिद के नाम पर बैर कराने की है,वे भी किसी का मेल करा सकते हैं,यह अद्भुत है. पर देखो डबल इंजन का दम,दिल्ली के इंजन ने देहरादून के इंजन के साथ मिल कर मंदिर और मधुशाला का कैसा अद्भुत मेल कराया है.  भक्तिरस के नशे वाले- ऊपरी तल पर, और सोमरस के नशे वाले- निचले तल पर ! सारा इलाका झूम रहा है,भक्तिरस और सोमरस का नए तरह का कॉकटेल है ! सब मुमकिन है जी !


-इन्द्रेश मैखुरी  


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