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भेड़िया धसान !

 

देशव्यापी किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री राव साहब दानवे ने दावा किया कि किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है. किसान आंदोलन द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के बाद से उसके पीछे देखे जा रहे तथाकथित “हाथों” की शृंखला में ये नया “हाथ” है, जो इन केंद्रीय मंत्री साहब ने देखा है. आंदोलन शुरू हुआ तो कहा गया-आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी घुस आए हैं ! और वहाँ से बात बढ़ते-बढ़ते आंदोलन में चीन और पाकिस्तान का हाथ होने तक पहुँच गयी है.


केंद्रीय मंत्री से कोई पूछे कि जब चीन और पाकिस्तान हजारों किसानों को भड़का कर दिल्ली पहुंचा रहा था तो वे और उनकी सरकार सोई हुई थी ? सोचिए कि यदि किसी देश के भीतर यदि विरोधी देश इतना प्रचंड आंदोलन खड़ा करवा सकते हों तो उस देश की सरकार से नकारा कोई सरकार हो सकती है भला ! यह हास्यास्पद है.


केंद्र में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद यह कोई पहला आंदोलन नहीं है,जिसे इस तरह अफवाहों के जरिये देश विरोधी सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है. वह छात्रों और युवाओं का आंदोलन हो या फिर मजदूरों का, सीएए-एनआरसी खिलाफ लड़ाई हो या कोई और आंदोलन, भाजपा और उसका आईटी सेल, उस आंदोलन के बारे में झूठे-आधे सच्चे किस्से गढ़ कर तत्काल उसे देश विरोधी सिद्ध करने के अभियान में लग जाता है. इसका एक नमूना देखिये कि किसान आंदोलन के दिल्ली की ओर बढ़ते ही लंदन में खलिस्तान के समर्थन में हुए एक प्रदर्शन के वीडियो को वर्तमान किसान आंदोलन का वीडियो बता कर,इस आंदोलन को खालिस्तान समर्थक सिद्ध करने की कोशिश की गयी. दैनिक जागरण ने तो पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगने की मोटी-मोटी हैडिंग तक छाप दी,जबकि अंदर खबर में बारीक-बारीक लिख दिया कि नारे लगने की पुष्टि नहीं हो सकी !


                       

                          कार्टून : सतीश आचार्य


भाजपा और उसका आईटी सेल हर आंदोलन के देश विरोधी होने की जैसी चीख-ओ-पुकार मचाता है,उससे बचपन में पढ़ी हुई कहानी- भेड़िया आया- का स्मरण होता है. कहानी यूं थी कि एक गाँव में एक शरारती लड़का रहता है. वह खुद कुछ काम-धाम नहीं करता था. गाँव वाले अपने खेतों में काम पर जाते तो वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता- बचाओ,बचाओ भेड़िया आया,भेड़िया आया. खेतों में काम कर रहे लोग उसे भेड़िये से बचाने दौड़ पड़ते. लेकिन नजदीक आ कर पता चलता कि कोई भेड़िया नहीं है और लड़का अपनी शरारत पर खूब हँसता !



भेड़िया आया की हांक लगाने वाले लड़के की इस कथा और भाजपा के आईटी सेल की कार्यप्रणाली एक सी है. कोई दुश्मन नहीं होता तब भी वे दुश्मन के खतरे का शोर मचाये रहते हैं. लेकिन भाजपा आईटी सेल,शरारती लड़के से इस मायने में अलग है कि वह अपने हक-अधिकारों के लिए लड़ने वालों के खिलाफ- भेड़िया आया-भेड़िया आया- की हांक लगाता रहता है. और साथ ही एक ऐसी हिंसक भीड़ भी उसने निर्मित कर ली है,जो उसके-भेड़िया आया- की हांक पर किसी भी निर्दोष-निरीह को कुचल सकती है. उसके पीछे सरकार की ताकत भी खड़ी है,जो उसे किसी को भी भेड़िया बताने और भेड़िया बता कर निपटाने के इस मुहिम में “टू मछ ऑफ डेमोक्रेसी” प्रदान करने को मुस्तैद है ! मीडिया तो उनकी जेब में रखा ही है, जो निरीह मनुष्य को भेड़िया बताए जाने के इशारे मात्र पर उसे दुनिया की सबसे खतरनाक प्रजाति सिद्ध कर देगा.


गजब यह है कि जब वास्तविक भेड़िया आता है तो ये भेड़िया आया की हांक लगाने वाले खामोश हो जाते हैं ! जैसे जम्मू-कश्मीर पुलिस का डीएसपी दविन्द्र सिंह अपनी सरकारी गाड़ी में, आतंकवादियों को बैठा कर दिल्ली ला रहा था तो किसी ने हांक नहीं लगाई कि भेड़िया आया,देश को खतरा हुआ !


इसलिए देश वासियो सचेत रहिए,अब-भेड़िया आया,भेड़िया आया- की हांक कोई शरारती लड़का नहीं लगा रहा है बल्कि अपनी सत्ता बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकने वाले लगा रहे हैं. जिनको वो देश का दुश्मन बता कर आपको, उनके विरुद्ध लड़ने को उकसा रहे हैं,अक्सरहां वो देश के खिलाफ न हो कर सरकार के खिलाफ और अपने हक-अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग होते हैं. इसलिए सावधान रहिए,इस भेड़िया धसान के हाथों मनुष्यता को नष्ट मत होने दीजिये.


-इन्द्रेश मैखुरी   

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