इस समय जब पूरा देश, हाथरस बलात्कार कांड के जरिये
उत्तर प्रदेश में भाजपाई कुशासन से रूबरू हो रहा है, उत्तर पूर्व में युवाओं के भविष्य
के साथ खिलवाड़ करने का मामला सुर्खियों में है. सरबानंद सोनेवाल के नेतृत्व वाली असम
की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बीते सितंबर महीने
के अंतिम दिनों में पुलिस सब इंस्पेक्टरों की भर्ती में धांधली की खबर है.
भर्ती परीक्षा में धांधली की बात
सामने आने पर 20 सितंबर को 597 पुलिस सब इंस्पेक्टरों की भर्ती के लिए आयोजित होने
वाली परीक्षा रद्द कर दी गयी और अब यह परीक्षा 22 नवंबर को आयोजित करने की घोषणा की
गयी है.आरोप है कि परीक्षा से ठीक पहले दिन 50 लोगों को पेपर लीक किया गया और गुवाहाटी
के किसी लॉज में उन्हें पेपर सही तरीके से लिखना भी सिखाया गया. जांच एजेंसियों को
संदेह है कि यह सिर्फ पेपर लीक का मामला नहीं है,बल्कि इसके पीछे कोई भर्ती रैकेट भी हो सकता
है. भर्ती परीक्षा में धांधली के खुलासे के बाद राज्य स्तरीय पुलिस भर्ती बोर्ड के
अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने इस्तीफा दे दिया.
इस भर्ती घोटाले में पेपर लीक करने
वालों के तार असम की सत्ताधारी भाजपा से जुड़े हुए हैं. घोटाले के दो मुख्य आरोपी बताए
गए हैं. एक आरोपी पूर्व डीआईजी पी.के.दत्ता हैं और दूसरे मुख्य आरोपी भाजपा के युवा
नेता दीबान डेका हैं. मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने डेका से पूछताछ की पर फिर वे
अचानक गायब हो गए. बड़ी मशक्कत के बाद ही पुलिस दीबान डेका को गिरफ्तार कर सकी. शुरुआती
तौर पर दीबान डेका के पार्टी से किसी तरह के संबंध होने से भाजपा इंकार करती रही पर
गिरफ्तारी के बाद डेका को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया.
दीबान डेका के खुद के बयान के अनुसार
वे 24 वर्षों से भाजपा से जुड़े हुए हैं. 2011 में दीबान डेका भाजपा के टिकट पर विधानसभा
का चुनाव भी लड़ चुके हैं. डेका ने फरार होने के बाद फेसबुक पर लिखा कि भर्ती घोटाले
में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं और उन्हें जान का खतरा है. बाद में डेका ने वह पोस्ट डिलीट
कर दिया.
बीते शनिवार को भाकपा(माले) और भाकपा
सहित असम की सभी विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त प्रेस वार्ता में पुलिस भर्ती समेत सभी
भर्ती परीक्षाओं के आयोजन में विफल रहने के लिए मुख्यमंत्री सरबानंद सोनेवाल की तीव्र
आलोचना की तथा आरोप लगाया कि भर्ती परीक्षाओं में भाजपा-आरएसएस के लोगों को ही भर्ती
करने का षड्यंत्र असम की भाजपा सरकार रच रही है.विपक्ष ने मुख्यमंत्री के करीबी भाजपा
विधायक बिमल बोरा का नाम भी भर्ती परीक्षा में धांधली के संबंध में लिया है.
देश में जहां भी भाजपा सरकारें हैं,वे ज़ोरशोर से “भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस” का नारा उछालती
रहती हैं. लेकिन वह असम का पुलिस भर्ती घोटाला और उसमें भाजपा नेता की संलिप्तता हो
या उत्तराखंड में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती की धांधली,ये घपले “भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस” के नारे की हकीकत
बयान करने के लिए पर्याप्त हैं.
2014 में केंद्र की सत्ता में आने
से पहले भाजपा ने नारा दिया था “बहुत हुई बेरोजगारी की मार,अबकी बार मोदी सरकार”. लेकिन बीते छह वर्षों
में नौकरियों में जबरदस्त कटौती हुई और रही-सही कसर भाजपा शासित राज्यों में इस तरह
के भर्ती घोटाले पूरी कर रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की सालों-साल तैयारी करने वाले
युवाओं के भविष्य से खुला खिलवाड़ है,ये.
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
आपको नागपुर के संतरों से काफी लगाव है इन्द्रेश भाई
ReplyDelete