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हाथरस बलात्कार कांड : उत्तर प्रदेश में अपराधों के सिलसिले की जघन्यतम कड़ी

 

उत्तर प्रदेश में महिला अपराधों समेत तमाम अपराधों का सिलसिला निरंतर जारी है. हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंग रेप और युवती की मृत्यु उस अपराध के सिलिसिले को आगे बढ़ाने वाली एक और जघन्य वारदात बन गयी है.





हाथरस गैंग रेप प्रकरण में पुलिस, पुलिस को संचालित करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ सवालों के घेरे में हैं. पहले दिन से इस प्रकरण में जिस तरह की भूमिका उत्तर प्रदेश पुलिस ने निभाई,उसमें अपराधियों पर नकेल कसने का इरादा सिरे से नदारद था. पुलिस पहले घटना होने से इंकार करती रही. फिर अपराधियों को गिरफ्तार करने से बचती रही. युवती के इलाज में लापरवाही बरती गयी. युवती की मृत्यु के बाद पुलिस बलात्कार से इंकार कर रही है,जबकि युवती ने अस्पताल में स्वयं बयान दिया था कि बलात्कार हुआ है. युवती की मृत्यु के बाद उसकी जीभ काटने और रीढ़ की हड्डी तोड़े जाने की अपराधियों की दरिंदगी को भी पुलिस छुपाने का प्रयास कर रही है. युवती की मृत्यु के बाद पुलिस ने उसका शव परिजनों को देने के बजाय,परिजनों को बंधक  बना कर रात में ढाई बजे शव खुद ही जला दिया. पोस्ट मार्टम में बलात्कार की पुष्टि न होने के बात तो पुलिस कह रही है,लेकिन परिजनों द्वारा दोबारा पोस्ट मार्टम की मांग पर गौर करने के बजाय पुलिस ने रात के अंधेरे में युवती के शव को जलाने का रास्ता चुना. इस पूरे सिलिसिले को देखें तो उत्तर प्रदेश की पुलिस ने पूरी ताकत अपराधियों के विरुद्ध नहीं बल्कि पीड़िता और उसके परिजनों के विरुद्ध लगाई.


अपनी प्रकृति में जघन्यतम होते हुए भी हाथरस की घटना उत्तर प्रदेश में अपराधों की शृंखला में इकलौती नहीं है,बल्कि अपराधों के उस सिलिसिले की अगली कड़ी है,जो उत्तर प्रदेश में चल रहा है.


जुलाई के महीने में गाजियाबाद में अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ करने वालों की शिकयात करने थाने गए पत्रकार विक्रम जोशी की थाने के बाहर पीट पीट कर हत्या कर दी गयी. इस घटना के  हफ्ता भर पहले उत्तर प्रदेश के कासगंज में बलात्कार के आरोपी ने, जिस नाबालिग लड़की के बलात्कार का उस पर आरोप था,उसे और उसकी माँ को ट्रैक्टर से  रौंद कर मार डाला. उक्त आरोपी बलात्कार के मामले में जमानत पर बाहर आया हुआ था.


जुलाई के महीने में ही दबंगों द्वारा जमीन के मामले में निरंतर प्रताड़ित किए जाने के कारण लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर एक माँ और उसकी बेटी ने आत्मदाह कर लिया.



उत्तर प्रदेश में अपराध की गंभीर स्थिति को इस वर्ष की शुरुआत में जारी नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट से समझा जा सकता है. उक्त रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या सर्वाधिक है.2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 59,445 दर्ज की गई. औसतन प्रतिदिन 162 अपराध दर्ज किए गए.2017 के मुकाबले महिला अपराधों में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गयी.राजधानी लखनऊ 19 शहरों में महिला अपराधों के मामले में अव्वल रहा.



इन पंक्तियों के लिखे जाते वक्त उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बलात्कार की शिकार हुई एक और दलित युवती की मृत्यु की खबर सामने आ चुकी है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उक्त 22 वर्षीय युवती को अपराधियों ने एक स्थान पर बुलाया,बलात्कार के बाद डाक्टर के पास ले गए और हालत बिगड़ने पर घर भेज दिया.


हाथरस की घटना में गैंग रेप,जीभ काटने और रीढ़ की हड्डी तोड़ने जैसी जघन्य वारदात के बावजूद उत्तर प्रदेश की पुलिस द्वारा अपराधियों के बजाय पीड़ित पक्ष पर ही ज़ोर आजमाइश करना दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के राज में कानून व्यवस्था तो चौपट है ही पर साथ ही पुलिस को अपराधियों पर नकेल कसने के बजाय अपराध को छुपाने के काम पर लगा दिया गया है. योगी आदित्यनाथ या तो फर्जी एंकाउंटर राज चलाएँगे या फिर पुलिस को अपराध छुपाने के काम पर लगाएंगे ! क्या इस तरीके से अपराध रोके जा सकते हैं ? इस तरह की कार्यप्रणाली से बाकी जो भी हो पर कानून व्यवस्था कायम नहीं की जा सकती.


-इन्द्रेश मैखुरी  

 

 

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2 Comments

  1. अपवाह फ़ैलाने वालो को भी अंदर किया जाना चाहिए

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  2. बहुत हुआ नारी पर वार
    अब की बार मोदी-योगी सरकार

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