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छोटे से प्रदेश में दो राजधानियाँ अस्वीकार्य


गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने की राज्य सरकार की घोषणा पर राज्यपाल की मोहर लगाया जाना प्रदेश की जनता के साथ त्रिवेंद्र रावत सरकार द्वारा किये गए छल को वैधानिकता प्रदान करने की कार्यवाही है. यह राज्य आंदोलन की भावना और दृष्टिकोण के साथ विश्वासघात है. राज्य आंदोलन के समय किसी ने,कभी भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग नहीं की.मांग गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने की थी,जिसके पीछे तार्किक कारण थे.

दो राजधानियों की अवधारणा भारत में अंग्रेज ले कर आये थे. यदि आजादी के 72 वर्षों बाद भी उत्तराखंड सरकार को दो राजधानियों के औपनिवेशिक मॉडल की याद आ रही है तो स्पष्टतः त्रिवेंद्र रावत सरकार अंग्रेजी राज की गुलामी के औपनिवेशिक खुमार की गिरफ्त में है.13 जिलों के छोटे से प्रदेश में दो राजधानियां औचित्यहीन और जनता के धन की बर्बादी है.


हम मांग करते हैं कि ग्रीष्कालीन-शीतकालीन के तमाशे को खत्म कर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सपने और दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी घोषित किया जाए.


इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)

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2 Comments

  1. Dheradun he rajdhani rahini chaye
    Agar kuch bhi chenge kiya to
    Kabhi bhi vjp uttranchal me nahi aayegi.
    Or tirbender rawat life time
    Chifminister nahi ban payega
    Uttranchal yuwa dal ki
    Chetawani

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