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तिलाड़ी गोलीकांड को याद करते हुए उपन्यास "यमुना के बागी बेटे" का पाठ

तिलाड़ी में शहीद हुए और लड़ते हुए जेल भुगतने वाले बहादुर रंवाल्टों को सलाम.
बहादुर रंवाल्टों की गाथा का वर्णन करते विद्यासागर नौटियाल जी के उपन्यास-यमुना के बागी बेटे- का आंशिक पाठ.
30 मई 1930 को हुए तिलाड़ी गोलीकांड का सामना करने वाले वीर रंवाल्टों की वीरता और शहादत को नमन.  
 उक्त घटना का वर्णन करने वाले कमुनिस्ट नेता,देवप्रयाग से विधायक रहे,साहित्यकार कॉमरेड विद्यासागर नौटियाल जी के  उपन्यास-यमुना के बागी बेटे- वीर रंवाल्टों की वीरता,मनुष्यता और संघर्ष के जज्बे की तस्वीर उकेरता है. 

जंगल जैसे अपने संसाधनों पर अधिकार की लड़ाई में यमुना के  वो बागी बेटे हमेशा  हमारे प्रेरणास्रोत रहेंगे 


( विडियो की तकनीकी गड़बड़ियों के लिए
 क्षमा-याचना सहित)

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