यह पता चला है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर
सिंह धामी 28 जनवरी को अग्स्त्यमुनि में एक रैली करने जा रहे हैं. इसे नारी शक्ति वंदन
महोत्सव का नाम दिया गया है. महिलाओं के नाम पर रैली करने का यह सिलसिला हल्द्वानी
से शुरू हुआ है और उत्तरकाशी से होता हुआ अग्स्त्यमुनि पहुंचा है.
यह दीगर बात है कि इसी प्रदेश में अंकिता भंडारी जैसा
हत्याकांड हुआ, उसमें
मुख्यमंत्री
की पार्टी के लोग शामिल हैं. जिस वीआईपी के लिए “स्पेशल सर्विस” देने से इंकार करने
पर अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गयी, उसका नाम आज तक सार्वजनिक
नहीं हो सका है और ना ही ईज़ा-बैणी सम्मेलन से लेकर नारी वंदन सम्मेलन तक के इस तमाशे में किसी को इस बात की
परवाह है. हाल के दिनों में ही अंकिता भंडारी की माता जी ने भाजपा के एक प्रमुख पदाधिकारी
का नाम वीआईपी के तौर पर लिया है. लेकिन ईज़ा-बैणी सम्मेलन और नारी वंदन सम्मेलन करने
वाले मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा संगठन तक के मुंह में जैसे दही जम गयी है, इस नाम के आने के बाद. जिन पदाधिकारी का नाम अंकिता भंडारी की माता जी ने लिया, उनसे पूर्व
उस पद पर बैठे हुए “सज्जन” भी भाजपा दफ्तर में ही काम करने वाली एक युवती के यौन शोषण
के आरोपों में पद से हटाए गए. उनके बाद ये पदारूढ़ कराए गए और अब अंकिता भंडारी की माता
जी ने इनको वीआईपी बताया, ये मुस्कुराते चेहरे के साथ पद पर कायम
हैं और भाजपा व मुख्यमंत्री जी, नारी वंदन का दावा करते हुए सम्मेलन
कर रहे हैं.
सड़क पर प्रसव करते, प्रसव प्रक्रिया के दौरान इलाज के अभाव में जान गँवाते, बाघ-भालू के हाथों शिकार होते हुए, पहाड़ की महिलाओं का वंदन कितना हो रहा है, यह समझा ही जा सकता है !
बहरहाल यह भी स्पष्ट ही है कि नजदीक आते लोकसभा चुनाव
के मद्देनजर उक्त नारी वंदन सम्मेलन, कोई महिला सम्मान का कार्यक्रम नहीं बल्कि चुनाव
प्रचार अभियान का ही हिस्सा है. इसीलिए पूरे सरकारी अमले को उक्त रैली के
लिए भीड़ जुटाने के लिए झोंक दिया गया है. सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को भीड़ जुटाने
का जिम्मा सौंपा गया है. चुनावी शैली में ही सारी छोटी-बड़ी गाड़ियाँ भीड़ ढोहने के लिए
“कब्जा” ली गयी हैं.
सुनते हैं कि मुख्यमंत्री के दौरे को भव्य-दिव्य बनाने
के लिए अगस्त्यमुनि में सरकारी अमला रात-दिन एक किए हुए है. चर्चा यह है कि 1.35 करोड़ रुपए का तो मंडपम बनाया जा रहा है. यह करोड़
रुपया अस्पताल, सड़क, स्कूल पर भी खर्च हो सकता
था पर तब मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की भव्यता फीकी रह जाती और अस्पताल, स्कूल भले चकाचक हो जाएँ पर मुख्यमंत्री का कार्यक्रम भव्य न हुआ तो काहे
का विकसित भारत !
और जैसे यह कुछ कम था ! ज्ञात हुआ है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हेलीकाप्टर के उतरने के लिए अगस्त्यमुनि के सरकारी महाविद्यालय में खड़े पेड़ रातों-रात काट दिये गए हैं.
मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर उतरने में कोई बाधा न हो, इसके लिए बरसों पुराने पेड़ों की बलि ले ली गयी. दुनिया मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्रियों के दम पर जिंदा नहीं
है, पुष्कर सिंह धामी जी. ये पेड़ प्राण वायु का सृजन करते हैं, तब दुनिया गुलजार है और दुनिया गुलजार है तो आप मुख्यमंत्री हैं, पुष्कर बाबू. लेकिन सत्ता में बैठे लोग तो अपने ऊपर किसी को नहीं समझते, जो उनको मंत्री-मुख्यमंत्री बनाते हैं, उनके आशियाने
उजाड़ने में भी सत्ता के हाथ नहीं काँपते तो इन पेड़ों की क्या बिसात ! अफसरों-कारिंदों
के लिए पेड़ कुछ नहीं हैं और मुख्यमंत्री माईबाप, प्राणदाता, भाग्यविधाता हैं. इसलिए रातों-रात ये पेड़ कत्ल कर दिये गए.
लोग कह रहे हैं कि जहां रातों-रात मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर
उतरने के लिए पेड़ काटे गए, उसके ठीक सामने 80 गांवों को जोड़ने वाली
बसुकेदार सड़क दो महीने बंद रही. वैकल्पिक मार्ग बनाने की राह में कुछ चीड़ के पेड़ आ
गए तो उन पेड़ों की काटने की अनुमति आज तक नहीं मिली और लोग जुगाड़ तकनीक से ठीक की गयी
रोड पर जान हथेली पर रख कर आवाजाही कर रहे हैं. अजी छोड़िए साहब, उन गांवों में न कोई मुख्यमंत्री रहता है, न किसी मुख्यमंत्री
को वहाँ जाना है तो क्यूं मिलेगी पेड़ काटने की अनुमति ?
आम तौर पर तो अगस्त्यमुनि के खेल मैदान में ही हेलीकाप्टर
उतरते हैं. लेकिन इस बार भय्या हैंडसम धामी का शगल है कि वे इस मैदान तक रोड शो करते
हुए आएंगे. सत्ता की शगल और सनक पर तो बस्तियों की बस्तियां कुर्बान की जा सकती हैं, ये तो फकत कुछ पेड़ थे. मुख्यमंत्री और उनके कारकुनों को क्या मतलब पेड़ थे, नए थे कि अधेड़ थे ! उन्हें इतना ही मतलब है कि मुख्यमंत्री का रोड शो होना
है, इसलिए मुख्यमंत्री उसी मैदान में नहीं उतर सकते, जहां उन्हें रोड शो करके पहुंचना है. नजदीकी मैदान जहां दिखा, वहाँ पेड़ थे, सो काट दिये गए ! मुख्यमंत्री की राह आम
जन रोकें या राजनीतिक विरोधी तो जेल भेजे जाएँगे और उनके उड़न खटोले के रास्ते में पेड़
आयें तो रेत दिये जाएँगे, यही सत्ता की हनक, यही सत्ता की सनक है !
-इन्द्रेश मैखुरी
0 Comments