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घाटी में सैनिकों की शहादत का मातम, पार्टी में जश्न का आलम !

 





13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भाजपा मुख्यालय में पुष्प वर्षा की जा रही थी. वजह बताई गयी कि प्रधानमंत्री ने जी 20 देशों के शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन किया.







प्रधानमंत्री पर फूलों की वर्षा का दिन वही था, जिस सुबह अनंतनाग में दो सैन्य अधिकारियों और एक पुलिस अफसर के आतंकी हमले में मारे जाने की खबर आई थी. 









मंगलवार 12 सितंबर की दरमियानी रात और बुद्धवार 13 सितंबर की सुबह कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 19 राष्ट्रीय राइफल के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनक और डिप्टी एसपी हुमायूं भट गोलियां का शिकार हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी.










अफसरों के मारे जाने के लिहाज से पिछले तीन सालों में यह सबसे दुर्दांत आतंकी हमला बताया जा रहा है. इस पहले मई 2020 में कुपवाड़ा में एक आतंकी हमले में मारे जाने वाले पाँच सैनिकों में एक कर्नल और मेजर शामिल थे.


भले ही आतंकवाद की कमर तोड़ने के दावे केंद्र सरकार समय-समय पर करती रही है. लेकिन आतंकी हमलों में सैनिकों के मारे जाने का सिलसिला, जम्मू-कश्मीर में बदस्तूर जारी है. बीते अगस्त के महीने तक इस वर्ष में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में 13 सैनिक शहीद हो चुके हैं. बीते बरस केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने संसद में लिखित उत्तर में बताया था कि जम्मू-कश्मीर में 05 अगस्त 2019 को धारा 370 खत्म होने के बाद नवंबर 2021 तक 87 नागरिकों और 99 सुरक्षा कर्मियों की मौत आतंकी हमलों में हुई है.


इस तरह आतंकी हमलों में सैनिकों के प्राण गँवाने का सिलसिला अपनी जगह बदस्तूर जारी है और इसके बीच मोदी सरकार का स्वयंभू सफलताओं का जश्न भी अपनी जगह चलता रहता है.


यूं भाजपा अपने आपको राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति का सबसे बड़ा झंडाबरदार बताती रहती है. स्वयं को राष्ट्रभक्ति का ठेकेदार बताने में तो वो इतना आगे बढ़ जाते हैं कि बाकियों को देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटते फिरते हैं. लेकिन सैनिकों की शहादत के प्रति यह उपेक्षापूर्ण रवैया, भाजपा के लिए कोई नयी बात नहीं है. 2019 में जब पुलवामा में आतंकी हमले में 44 सैनिकों की शहादत हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रामनगर में कॉर्बेट पार्क के भीतर बियर ग्रिल्स के साथ मैन वर्सेज़ वाइल्ड की शूटिंग में मशगूल थे. अब तो जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यापाल मालिक यह खुलासा कर ही चुके हैं कि पुलवामा हमले में हुई शहादतें, केंद्र सरकार की लापरवाही का परिणाम थी और यह बोलने पर उन्हें चुप रहने को कहा गया.


अनंतनाग में सैनिकों के मारे जाने का मातम पसरा होने के बावजूद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मप्रचार के लिए पुष्पवर्षा कार्यक्रम में लीन रहना, इन सैनिक परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. 










युद्धोन्मादी राष्ट्रभक्ति के सबसे बड़े झंडाबरदार, सैनिकों की मौत पर भी न गमगीन होते हैं, न संवेदनशील होते हैं. इससे साफ है कि सैनिकों की शहादत से उनका दिल द्रवित नहीं होता बल्कि इन शहादतों को भी वे गद्दी पाने के हथकंडे के रूप में ही देखते हैं ! अगर ऐसा न होता तो न भाजपा फूलों की वर्षा कार्यक्रम का आयोजन करती और ना ही प्रधानमंत्री उस पुष्पवर्षा का फोटोशूट करवा रहे होते. वे तब उन सैनिकों के परिवारों के साथ खड़े होते, जिनके घरों में उसी दिन मातम पसरा हुआ था.


मेजर आशीष धोनक की माँ कह रही हैं- मैंने तो बेटा देश को दे दिया पर सरकार ने उसे बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं दिया ! 










सैनिकों की शहादत के बावजूद खुद पर फूलों की वर्षा करवाने वालो, इस माँ के सवाल का जवाब है तुम्हारे पास ?


मौज रामपुरी साहब ठीक ही लिखते हैं :


जंग में कत्ल सिपाही होंगे

सुर्खरू जिल्ले इलाही होंगे !  

-इन्द्रेश मैखुरी

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