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नामुराद उन्मादियों के नाम !

 






 हे नामुराद उन्मादियो, दंगाइयो और उनके संरक्षको,


                                            कैसे हो ? उत्तराखंड में उन्माद फैलाने के अभियान पर रात दिन लगे हो ? यही करोगे, यही आता है तुमको, यही लुभाता है, यही सुहाता है, तुमको ! आग लगाने में सुकून पाते हो, समाज की बर्बादी को कारनामा समझ इतराते हो !


पुरोला याद है तुमको ? उत्तरकाशी जिले का वही पुरोला जहां से, लव जेहाद का वितंडा खड़ा करके तुम नफरत की आग पूरे उत्तराखंड में फैलाते रहे, एक दंगाई प्रदेश की कुख्याति उत्तराखंड के माथे पर लगाते रहे !









मई के महीने के अंतिम दिनों से लेकर जून के पूरे महीने तक, तुम पूरे उत्तराखंड और देश को यह जताने की कोशिश करते रहे कि उत्तराखंड की बेटियों के तुम सबसे बड़े हितचिंतक हो ! नामुराद उन्मादियो, तुम सब कुछ सुलगाने पर उतारू हो, तुम बेटियाँ क्या बचाओगे ?


लेकिन तीन-चार महीने बाद पुरोला की याद इसलिए नहीं की जा रही है कि तुमको वहां के कुकृत्य याद दिलाये जाएँ, वो कारनामें तो तुम पूरे उत्तराखंड में फैला ही चुके हो. पुरोला का जिक्र तो एक हालिया घटना के लिए करना है, जिससे पुनः साफ होता है कि तुम्हारा लेना-देना बेटियों से नहीं सिर्फ नफरत और उन्माद से है !


बीते छह अगस्त के अखबारों में यह खबर है कि पुलिस ने त्यूणी से एक नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को गिरफ्तार किया.









 खबर के अनुसार पुरोला क्षेत्र की एक चौदह वर्षीय नाबालिग लड़की ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई कि कुछ लोगों ने उसे प्रेमजाल में फंसा कर दो अगस्त को त्यूणी बुलाया. शिकायत में युवती ने बताया कि तहसील त्यूणी के रडू के रहने वाले सोनू, बलाउट बंगाण, तहसील मोरी के रहने वाले दिक्षू ने उसके साथ दुराचार किया. शिकायत के अनुसार कुछ अन्य लोगों ने भी उसके दुराचार किया. युवती किसी तरह आरोपियों के चंगुल से भाग निकली और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई. खबर के अनुसार पुलिस ने दो नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लड़की के घर वालों ने उसे वापस लेने से इंकार कर दिया, इसलिए पुलिस उसे नारी निकेतन भेजेगी.


अगर इसमें लेशमात्र भी सत्यता है तो यह ब्यौरा कितना भयावह है ! एक लड़की को प्रेमजाल में फांस कर अपने पास बुलाना और फिर उसके साथ सामूहिक दुराचार, उफ़्फ़, वहशीपने का चरम है.


पर नामुराद उन्मादियो, तुम्हारा खून नहीं खौला इस पर ? क्यूं? क्यूंकि आरोपियों के नाम तुम्हारे नफरत के एजेंडे के लिए मुफीद नहीं थे ! आरोपियों का धर्म और तुम्हारा मज़हब एक ही है, इसलिए तुम्हारे घृणा अभियान के लिए वे उपयोगी नहीं थे ! नामुराद उन्मादियो, इस घटना में आरोपियों की गिरफ्तारी उसी दिन हुई, जिस दिन तुम टिहरी जिले के चंबा में एक वायरल चैट के नाम पर उत्पात मचाये हुए थे. और हाँ यह ना समझना कि यह इस तरह की इकलौती घटना है बल्कि जिस समय पुरोला में तुम उत्पात मचाये हुए थे, उस समय भी और उसके बाद भी दर्जनों घटनाएं हैं, जहां आरोपियों को अपने धर्म का पा कर तुमने अपराध से आँखें फेर ली !


पुरोला की इस घटना से फिर साफ हुआ नामुराद उन्मादियो कि अपराध ना हो, इससे तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है, महिलाओं के विरुद्ध अपराध ना हो, यह भी तुम्हारा मकसद नहीं है ! तुम्हारा मकसद यदि यह होता तो जिस पुरोला को  तुमने एक फर्जी लव जेहाद की घटना के नाम पर नफरत की आग में झोंकने की कोशिश की, उसी पुरोला की ऊपर वर्णित जघन्य वारदात पर भी तुम्हारा खून खौलता, लेकिन तुम्हारे मुंह से तो बोल तक न फूटे ! इससे साफ है कि तुम बस इसी ताक में हो कि कब किसी अंतर धार्मिक रिश्ते पर अपराध का लेबल चस्पा कर दो, दूसरे धर्म के व्यक्ति द्वारा अपराध करने का झूठ गढ़ कर खुद अपराध करने की खुली छूट चाहते हो तुम ! नफरत की यह राजनीति इस उत्तराखंड को तबाही के अतिरिक्त कुछ नहीं देगी.  

 

हिंसा, घृणा, उन्माद, उत्पात ही तुम्हारे अस्त्र हैं, जिसके जरिये तुम समाज के अमन-चैन और सौहार्द को भस्म कर देना चाहते हो.


लेकिन नफरत के पैरोकार कितने ही शक्तिशाली क्यूँ न रहें हों, नफरत हमेशा नष्ट हुई है, पस्त हुई है, उत्तराखंड में भी होगी, यह तय है.



-इन्द्रेश मैखुरी

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