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तुम अपनी गिद्ध दृष्टि और घृणित मानसिकता का इलाज करो!

 





आम तौर पर छिछोरों और लफंगों को ऐसी भाषा बोलते सुना था. 








बीते कुछ वर्षों में इस देश ने जो तरक्की की है, उसमें विश्वविद्यालयों के प्रति घृणा है, पढ़े- लिखे, कवि, लेखक, विचारक आँखों में खटकते हैं ! 

जिनको सिर पर बैठाया है, वे भयानक मूढ़ हैं, ग्लैमर की तड़क- भड़क से वे कितने ही चमकीले क्यों न बना दिया जाएं, उनके भीतर की गलाज़त छुपती नहीं है! उनका लंपटपन, उनके चमकीले लिबास के ऊपर मौजूद गलीज़ ज़ुबान से बाहर छलक ही जाता है! 

क्या यह साधुओं की आचरण है, जिसमें महिला पर नज़र है? अरे नज़र नहीं, गिद्ध दृष्टि लगी है, तुम्हारी ! 

ये चमत्कारी सन्यासी, तपस्वी , बताए जा रहे हैं, जिनका काम महिला के सिंदूर, मंगलसूत्र पर निगरानी रखना है और बकौल उनके ही, उसके आधार पर तय करना है कि "प्लॉट खाली है या उसकी रजिस्ट्री हो चुकी है! "

महिला प्लॉट है और तुम क्या हो प्रॉपर्टी डीलर, जिसे देसी भाषा में दलाल कहते हैं? 

महिला न प्लॉट है न प्रॉपर्टी, वो जीवित इंसान है, वो जैसे चाहे वैसे रहने को स्वतंत्र है, तुम अपनी गिद्ध दृष्टि और घृणित मानसिकता का इलाज करो! 

चोला जो भी ओढ़ लो, लेकिन भाषा और मानसिकता में तुम गलीच, शोहदों, छिछोरों और लफंगों से ऊपर नहीं बढ़ सके हो ! 


-इन्द्रेश मैखुरी


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1 Comments

  1. इन छिछोरों से क्या अपेक्षा कर सकते हैं

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