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भीषण दुर्घटना, जिसकी चेतावनी को अनदेखा किया गया !

 




ओडिसा के बालासोर में हुआ रेल हादसा भीषण है, भयावह है. एक ट्रेन पटरी से उतरी, उसके डिब्बे दूसरी पटरी पर जा रही ट्रेन से टकराए और सामने से आ रही मालगाड़ी भी इन दो से भिड़ गयी. नतीजा 288 से अधिक मौतें और 900 के करीब लोग घायल.










इस भीषण हृदयविदारक दुर्घटना के बाद मनुष्यता की तस्वीरें भी सामने आई तो आपदा में अवसर ढूँढने के वाकये भी नज़र आए. एक तरफ खून देने वाले लोग थे तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने वाले भी. सबसे पहले जिन स्थानीय लोगों ने गाड़ियों के टकराने की आवाज़ सुनी, वे मौके पर पहुंचे और उन्होंने पुलिस और रेल प्रशासन को सूचना देने के साथ ही राहत व बचाव का काम खुद ही शुरू कर दिया. वे अपने वाहनों से भी घायलों को नजदीकी अस्पताल ले गए. घायलों को खून देने के लिए लोग घंटों कतारों में खड़े रहे. अंग्रेजी पोर्टल क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय लोगों ने लगभग 1100 (ग्यारह सौ) यूनिट खून विभिन्न अस्पतालों में दान किया.


कतिपय अखबारों में खबरें हैं कि दुर्घटना के बाद दिल्ली से ओडिसा की हवाई उड़ानों का किराया 66 हज़ार रुपये तक पहुँच गया है. यह किराया दिल्ली से पेरिस के लिए मिलने वाले टिकट से करीब 29 हजार रुपया अधिक है ! जबकि समाचार माध्यमों में ही यह खबर भी है कि उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइंस को एडवाइजरी जारी करके किराया नियंत्रित रखने को कहा था. उसके बावजूद उड़ानों की कीमतों में यह बेतहाशा वृद्धि दर्शाती है कि निजी एयरलाइंस किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और ऐसे दुखद समय में भी सिर्फ मुनाफा ही उनकी प्राथमिकता है.


ट्रेनों का इस तरह पटरी से उतरना और एक-दूसरे से टकराना बेहद अजीबोगरीब जान पड़ता है. ऐसे समय में जब रेलवे के विकास के नित नए दावे और रोज नए उद्घाटन हो रहे हैं, ऐसे में तो यह बेहद विचित्र और अफसोजनक है.


इस देश के सत्ता समर्थकों ने तो तुरंत दुर्घटना की आड़ में सांप्रदायिक घृणा का अपना अभियान भी शुरू कर दिया और इसे गंभीर षड्यंत्र करार दिया.


लेकिन हकीकत में देखें तो यह भीषण दुर्घटना, उस गंभीर लापरवाही और उपेक्षा का परिणाम है, जो रेलवे और भारत सरकार, रेल की सुरक्षा के प्रति बरत रही है. रेल मंत्रालय ने इस संबंध में दी जा रही चेतावनियों की तरफ गौर किया होता तो शायद इतने भीषण हादसे से बचा जा सकता था.


भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2017 से 2021 के बीच ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं का ऑडिट किया और इसकी विस्तृत रिपोर्ट 09 सितंबर 2022 को भारत सरकार को भेज दी. 21 दिसंबर 2022 को यह रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी गयी.


उक्त रिपोर्ट बताती है कि 2017 से 2021 के बीच परिणामी रेल दुर्घटना (consequential train  accidents) की कुल 217 घटनाएँ हुई. इनमें से 163 दुर्घटनाएँ ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुई. यानि कुल परिणामी दुर्घटनाओं में से 75 प्रतिशत ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हो रही थी.


इसी रिपोर्ट के अनुसार के अन्य रेल दुर्घटनाओं की श्रेणी के बीच में 2017 से 2021 के बीच कुल 1880 दुर्घटनाएँ हुई, इनमें से पटरी से उतरने की दुर्घटनाओं की संख्या 1229 थी, जो कि कुल दुर्घटनाओं का 68 प्रतिशत थी.


उक्त रिपोर्ट पटरी से उतरने के लिए 23 कारकों को उत्तरदाई के रूप में चिन्हित करती है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे प्रमुख कारक- ट्रैक का रखरखाव है. इसके अलावा अनुमेय सीमा से अधिक ट्रैक पैरामीटर का विचलन और खराब ड्राइविंग / ओवरस्पीडिंग अन्य प्रमुख कारकों में से एक हैं.


कैग की रिपोर्ट यह भी बताती है कि ट्रैक के  रखरखाव से जुड़े कर्मचारियों को 07 रेलवे मंडलों में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. कैग ने रखरखाव में भारी कमी की ओर भी इंगित किया था.


पटरियों के रखरखाव के लिए मशीनों के प्रयोग की प्रक्रिया काफी अरसे से रेलवे में चल रही है. लेकिन कैग की रिपोर्ट में पाया गया कि पटरियों के रखरखाव के लिए उपयोग होने वाली ट्रैक मशीनों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया गया और कुल उपलब्ध मशीन दिवसों में से 16 प्रतिशत मशीन दिवसों में मशीनें निष्क्रिय रही. कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ट्रैक मशीनें के क्षमता से कम उपयोग के कारण ट्रैक रखरखाव में बाधा उत्पन्न हुई और ट्रेन परिचालन की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ा.


रेलवे की पटरियों और परिसंपत्तियों की देखरेख एवं रखरखाव के लिए निर्धारित अवधि पर ट्रेन रिकॉर्डिंग कार (टीआरसी) द्वारा निरीक्षण किया जाता है. लेकिन कैग की रिपोर्ट बताती है कि टीआरसी निरीक्षण में 30 से 100 प्रतिशत की कमी पायी गयी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि “टीआरसी निरीक्षण से इन मार्गों पर गाड़ियों के सुरक्षित परिचालन पर प्रभाव डालने के साथ परिसंपत्तियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.”


रेलवे में सुरक्षा के लिए पर्याप्त स्टाफ की तैनाती न होने और कार्यबल में कमी  की ओर भी कैग की रिपोर्ट इंगित करती है. यार्ड लाइनों और पटरियों के रखरखाव के दोषों को भी कैग ने अपनी रिपोर्ट में चिन्हित किया.


इस तरह देखें तो पटरी से उतर कर ट्रेनों के आपस में टकराने की जिस  भयावह घटना से आज पूरा देश दो-चार है, उसके कारण, निदान और चेतावनी तो कैग की रिपोर्ट के रूप में पहले से मौजूद थे. इसे गंभीरता से लिया गया होता तो शायद इतनी बड़ी तादाद में लोगों को इस त्रासद तरीके से अपने प्राण नहीं गँवाने पड़ते. परंतु जिस तरह की हुकूमत इस समय देश में काबिज है, उसके पास चमकीली विज्ञापनी बातें हैं, उन विज्ञापनों में सुपर हीरो भी है, लेकिन धरातल पर मामला शून्य है और जवाबदेही के मामले में तो शून्य से भी नीचे हैं ! इसलिए देश ऐसे हालात झेलने को अभिशप्त है.


-इन्द्रेश मैखुरी

 

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