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बुलेट ट्रेन दूर की कौड़ी, भ्रष्टाचार के आरोपी की छुट्टी, ताजा खबर !

 









जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजों आबे ने भारत में बुलेट ट्रेन निर्माण के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. गौरतलब है कि लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपए की कीमत से भारत में 508 किलोमीटर बुलेट ट्रेन परियोजना बननी है, जिसका 81 प्रतिशत खर्च जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी कर्ज के रूप में दे रही है. आज सुबह भारत के साथ इस बुलेट ट्रेन के समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले शिंजों आबे पर गोली चलायी गयी है, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी.













बुलेट ट्रेन परियोजना के संदर्भ में दूसरी खबर यह है कि बुलेट ट्रेन परियोजना के मुखिया को उनके पद से हटा दिया गया है. राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (नेशनल हाइ स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड- एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक पद से सतीश अग्निहोत्री को बर्खास्त कर दिया गया है.













बीते जून महीने की तीन तारीख को लोकपाल अदालत ने सतीश अग्निहोत्री के विरुद्ध सीबीआई को छह महीने में या 12 दिसंबर 2022 तक भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पूरी करने का आदेश दिया.


 एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक बनाए जाने से पहले सतीश अग्निहोत्री रेल विकास निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे. वे जनवरी 2010 से अगस्त 2018 तक इस पद पर रहे. जिन भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश लोकपाल अदालत द्वारा सीबीआई को दिया गया है, वे इसी अवधि के हैं.


लोकपाल के समक्ष 30 सितंबर 2021 को दर्ज शिकायत में कहा गया कि “सतीश अग्निहोत्री तथा एक अन्य अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रेल मंत्रालय से प्राप्त धन में से 1100 करोड़ रुपया, कृष्णपट्टनम रेल कंपनी लिमिटेड (केआरसीएल) नामक निजी कंपनी को अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिये.” केआरसीएल का स्वामित्व नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसीएल) के पास है और रेल विकास निगम का भी उसमें अंश है.


यह भी आरोप है कि अग्निहोत्री ने 1900 करोड़ रुपये के ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन जैसे बड़े ठेके हासिल करने में एनईसीएल की सहायता की, जिसकी एवज में रेल विकास निगम से सेवानिवृत्त होने पर अग्निहोत्री को एनईसीएल का सीईओ पद प्राप्त हुआ. आरोप यह भी है कि उसी कंपनी में अग्निहोत्री की बेटी को नौकरी मिली तथा उन्हें घर भी आवंटित हुआ. इस मामले में यह भी आरोप है कि सेवानिवृत्ति के बाद जो एक साल का अनिवार्य “कूलिंग ऑफ” पीरियड है, उसका भी उल्लंघन किया गया. लोकपाल अदालत के सामने अग्निहोत्री ने सारे आरोपों से इंकार किया और शिकायतकर्ता के विरुद्ध ही कार्यवाही की मांग की. यह अलग बात है कि धन के दुरुपयोग के अन्य आरोप भी सतीश अग्निहोत्री के खिलाफ लगाए गए, जिनके जांच की आवश्यकता लोकपाल अदालत ने महसूस की.


बुलेट ट्रेन तो अभी दूर की कौड़ी है. उसे पूरा करने का लक्ष्य 2023 से आगे खिसका कर 2026 कर दिया गया है. लेकिन बुलेट ट्रेन निर्माण के प्रोजेक्ट के मुखिया का विकेट, भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते जरूर गिर गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है- बुलेट ट्रेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध नारा रहा है- न खाऊंगा, न खाने दूंगा ! लेकिन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए उन्होंने एक ऐसे अफसर को चुना, जिस पर भ्रष्टाचार के छोटे-मोटे आरोप नहीं हैं, हजारों करोड़ रुपये के आरोप हैं ! बुलेट ट्रेन जैसी परियोजना की अगुवाई के लिए भ्रष्टाचर के ऐसे गंभीर आरोपों के घिरे अफसर की नियुक्ति “संयोग है या प्रयोग”- मोदी जी ?


-इन्द्रेश मैखुरी

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