रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के साथ ही रूस में एक
और प्रतिक्रिया हुई जो उल्लेखनीय है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा यूक्रेन पर हमले
के आदेशों के साथ ही रूसी नागरिक, सड़कों पर युद्ध के विरोध में उतर पड़े.
मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग समेत रूस के पचास शहरों में सड़कों
पर लोग युद्ध का विरोध करते हुए उतर आए. युद्ध के विरोध में उतरने वालों में आम रूसी
नागरिक थे, चर्चित
हस्तियां, सरकारी
संस्थानों में काम करने वाले, कलाकार, पत्रकारों,बड़े व्यापारियों की पुत्र-पुत्रियाँ, पूर्व रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की पुत्री समेत समाज के हर हिस्से के
लोग शामिल हैं.
इन युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में- युद्ध को ना कहो- से
लेकर – यूक्रेन हमारा दुश्मन नहीं- जैसे नारे लगाए जा रहे हैं. लोगों ने रूसी संसद
ड्यूमा के काँच के दरवाजों पर भी पेंट से लिख
दिया-नेट वोइने- जिसका मतलब है- युद्ध को ना कहो.
एक रूसी पॉप स्टार ने सारे टिकट बिक चुके अपने छह शो रद्द
करते हुए लिखा- जिस वक्त रूसी मिसाइलें यूक्रेन पर गिर रही हैं, ऐसे समय में मैं आपका मनोरंजन नहीं कर सकता.
सरकार द्वारा वित्तपोषित मॉस्को के मेयरहोल्ड नाट्य केंद्र
की निदेशक एलेना कोवलस्काया ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए लिखा- एक हत्यारे के अधीन
काम करना और उससे वेतन लेना असंभव है.
एक प्रदर्शनकारी
महिला गुब्बारों का गुच्छा पकड़े हुए थी, जो यूक्रेन के झंडे
के रंग के थे.
रूस में पुतिन ने प्रदर्शन करना लगभग नामुमकिन कर
दिया है. इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतरे और हजारों की तादाद में गिरफ्तार हुए, पहले दिन ही लगभग
1800 लोगों को युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के कारण गिरफ्तार किया गया.
प्रदर्शनकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करने वाली पुलिस
से कहा-पुलिस, जनता का
साथ दो, उस राक्षस
की सेवा मत करो.
एक महिला प्रदर्शनकारी ने दंगा निरोधक अधिकारियों
से कहा- मुझे आश्चर्य है कि आप हमारे साथ क्यूँ नहीं हैं, अगर युद्ध होगा
तो आप होंगे, जिनको
लड़ना और मरना होगा.
प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए- पुतिन हत्यारा है, पुतिन रूस के लिए
शर्म की बात है. प्रदर्शनों में पुतिन को हिटलर बताया गया.
गिरफ्तारी और दमन झेलते हुए भी रुसियों ने युद्ध के
खिलाफ जो साहस दिखाया,वह
काबिल-ए-तारीफ है. संकीर्ण राष्ट्रीयता और युद्धोन्मादी राष्ट्रवाद के मुंह पर करारा
तमाचा मारते हुए मनुष्यता के पक्ष में खड़े हुए रुसियों को सलाम.
तानाशाहों की हार हो, जंग का खात्मा
हो, मनुष्यता का परचम बुलंद हो.
-इन्द्रेश मैखुरी
संदर्भ
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हिंसा का विरोध करने वालों को सलाम!
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