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वे जब आएंगे तो क छोड़ कर आएंगे,जाएंगे तो मिशन में क मिलाएंगे !

 






बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तराखंड में चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के सवाड़ गांव आए. सवाड़ वो गांव है, जहां से प्रथम विश्व युद्ध से लेकर अब तक बड़ी तादाद में लोग सेना में भर्ती होते रहे हैं और शहादतें देते रहते हैं.


वहां नड्डा साहब की वेषभूषा देख कर एक मित्र ने फेसबुक पर लिखा- चुनाव में भी कैसे-कैसे रूप धरने पड़ते हैं.








नड्डा साहब लग होगा कि फौजी आयोजन में फौजी टाइप दिखा जाये. वे ऐसे लग रहे थे जैसे रिटायरमेंट के समय सूबेदार मेजर से ऑनरेरी कैप्टेन बनाया आदमी दिखता है. घर-गांव में लोग आमतौर पर उसे और्डनरी कैप्टन कहते हैं. यूं व्यक्ति ऑनरेरी यानि मानद कैप्टन बनाया जाता है पर लोग उसे और्डनरी घोषित कर देते हैं. वो फौजी तो ऑनरेरी ही होता है, लेकिन उसके जैसा बाना धरने की चुनावी कोशिश जरूर और्डनरी श्रेणी में रखे जाने के काबिल है !


इस कार्यक्रम में नड्डा जी ने एक जुमला उछाला कि कॉंग्रेस कमीशन के लिए काम करती है और भाजपा मिशन के लिए ! यह गजब बात ठैरी नड्डा जी ! आधा मंत्रिमंडल उत्तराखंड में आपका पूर्व कॉंग्रेसियों से बना है, जिनमें से एक अपने विधायक पुत्र के साथ वापस जा चुके हैं और बाकियों के भी वापस जाने की चर्चा गाहे-बगाहे उड़ती रहती है.


मंत्रिमंडल और आने-जाने वालों पर नड्डा जी का मिशन-कमीशन फॉर्मूला लगाया जाये तो कैसी तस्वीर बनेगी ? ऐसा था कि आदमी बरसों-बरस कमीशन खेमे में था. ऊपर-नीचे, दायें-बायें, आजू-बाजू, जहां देखो कमीशन ही कमीशन ! फिर एक दिन उसे लगा कि कमीशन में ये जो क है, यह बहुत भारी मालूम पड़ता है ! तो उसने क तो यहीं छोड़ा और बचा-खुचा मिशन ले कर चला दूसरे खेमे में ! और इस तरह बरसों-बरस का कमीशन वाला, एकाएक मिशन वाला हो गया !


लेकिन जो वापस लौट चले, उनका क्या ? नड्डा जी की परिभाषा के हिसाब से वे पुनः कमीशन वाले घोषित कर दिये जाएँगे ! हुआ यूं होगा कि इस बेचारे का मिशन, क के बगैर बहुत हल्का-हल्का, खाली-खाली महसूस होता होगा ! मिशन से अलग हुआ क, बेतहाशा पुकारता होगा ! जब उन्होंने कहा कि सिर्फ शरीर वहां था,आत्मा तो यहीं थी तो इसका आशय क्या यह रहा होगा कि मिशन भले ही वहां था पर क तो यहीं छूटा हुआ था !


नड्डा जी जब मिशन वाला और कमीशन वाला जूते-चप्पल बदलने जैसा आसान हो तो तब ये सब बातें चुनावी लफ्फाजी के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं.


और चलते-चलते यह भी सनद रहे कि नड्डा जी के मिशन-कमीशन की जुमलेबाजी से कुछ दिन पहले ही फ्रांस का ऑनलाइन जर्नल- मीडियापार्ट लिख चुका था कि राफेल के सौदे में बिचौलिये को 7.5 मिलियन यूरो की रिश्वत दी गयी. मीडियापार्ट का यह भी दावा है कि भारतीय एजेंसियों- सीबीआई और ईडी को भी इस मामले की जानकारी थी,लेकिन इस मामले में किसी तरह की जांच नहीं की गयी.


जब येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करना ही मिशन हो तो ऐसी में बिना क के, उस मिशन का क्या मोल !  


-इन्द्रेश मैखुरी

 

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1 Comments

  1. 'मिशन' में 'क' को लेकर, 'आप''हाथ','कमल' पर कमाल किया कलम ने।

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