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अमेरिका में दलित उत्पीड़न ?






अमेरिका में दलित मजदूरों के उत्पीड़न का गंभीर मामला सामने आया है. अमेरिका की एक अदालत में दाखिल मुकदमें के अनुसार न्यू जर्सी में एक मंदिर के निर्माण के लिए इन दलित मजदूरों को भारत से धार्मिक वीजा पर अमेरिका ले जाया गया था. अमेरिका में प्रवेश करते वक्त इन मजदूरों को धार्मिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवकों के तौर पर प्रस्तुत किया गया. अमेरिका की एक जिला अदालत में 200 से अधिक भारतीय मजदूरों की ओर से शिकायत दर्ज करवाई गयी है.  


अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस)  के द्वारा न्यू जर्सी में बनाए जा रहे एक विशाल मंदिर के लिए इन मजदूरों को भारत से अमेरिका लाया गया था. मंदिर 2014 में शुरू हो गया,लेकिन संस्था चूंकि इसको अमेरिका का सबसा बड़ा मंदिर बनाना चाहती है,इसलिए इसमें अभी भी निर्माण कार्य जारी है. 





 अखबार के अनुसार इन्हें भारत से अच्छे वेतन और बढ़िया कार्यस्थितियों के वायदे के साथ अमेरिका लाया गया था. लेकिन वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर परिसर में ही लोगों की निगाहों से दूर इन्हें बंधक की तरह रखा जा रहा है. अदालत में दर्ज शिकायत के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि इन मजदूरों से तेरह घंटे से अधिक काम करवाया जाता था और उन्हें 450 डॉलर मजदूरी दी जाती थी,जिसमें से अमेरिका में खर्च के लिए उन्हें सिर्फ 50 डॉलर दिया जाता था और शेष भारत में उनके खाते में जमा किया जाता था. अंग्रेजी न्यूज़पोर्टल- द वायर में प्रकाशित समाचार एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार न्यू जर्सी में न्यूनतम मजदूरी 12 डॉलर प्रति घंटा है,जबकि इन मजदूरों को जो दिया जा रहा है,वह 1.20 डॉलर प्रति घंटा बैठता है.  


न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार इन मजदूरों को बंधक की तरह रखा जाता था और बाहरी लोगों से बात करने की उन्हें अनुमति नहीं थी. हेलमेट न पहने होने जैसी  मामूली बातों पर उनकी मजदूरी काट ली जाती थी. उन्हें बेहद साधारण खाना दिया जाता था. पिछले साल एक मजदूर की वहां काम करते हुए मौत भी हो चुकी है.


यह आश्चर्यजनक है कि जो संस्था न्यू जर्सी में ही कई मिलियन डॉलर मंदिर के निर्माण पर खर्च कर रही है,जिसने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 29 लाख डॉलर का चंदा दिया,वो भारत से मंदिर का निर्माण करने के लिए ले जाये गए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दे रही थी !


इसे अमेरिका में बेगारी का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है और इसकी जांच में अमेरिका की तीन बड़ी एजेंसियां- एफ़बीआई, श्रम विभाग और आंतरिक सुरक्षा विभाग लगा हुआ है.


अमेरिका में कानूनी रूप से प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता का प्रयोग जातीय शोषण करने के लिए किए जाने की यह शर्मनाक घटना है.


-इन्द्रेश मैखुरी


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1 Comments

  1. मतलब दुनिया में अपनी लिबरल डेमोक्रेसी और खुले समाज का ढोल पीटने वाले अमेरिका भी इस सब से अछूता नहीं है ...या फिर दुनिया पीछे की तरह जा रही है ?

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