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अंध राष्ट्रवादी युद्धोनमाद से ग्रसित दो देशों का साझा नायक








अंध राष्ट्रवादी युद्धोनमाद से ग्रसित भारत और पाकिस्तान के बीच यदि कोई शांति का नायक हो सकता है तो वह भगत सिंह है.भगत सिंह एकमात्र नायक है जो कि सरहद के दोनों ही तरफ बेहद सम्मान से याद किये जाते हैं.पकिस्तान में भगत सिंह के चाहने वाले ,उन के विचारों के कायल लोग और संगठन पिछले कई वर्षों से लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक रखे जाने की मांग कर रहे थे .







दरअसल शादमान चौक,उस शादमान कालोनी का चौराहा है,जहाँ पर वह जेल स्थित थी जिसमें भगत सिंह और उनके साथियों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था. 1961में इस ऐतिहासिक जेल को ध्वस्त कर दिया गया था. जब तक प्रशासनिक तौर पर इस चौक का नाम भगत सिंह चौक नहीं हुआ था तो अक्सर भगत सिंह की विचारधारा को मानने वाले लाहौर के लोगों द्वारा इस चौक का नामकरण भगत सिंह चौक करते हुए बोर्ड टांग दिए जाते थे,जिन्हें बाद में प्रशासन हटा देता था.लेकिन 30 सितम्बर 2012  को आधिकारिक रूप से लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक करने की घोषणा हुई. 2019 में 21 मार्च को लाहौर के उपायुक्त ने भगत सिंह चौक पर 23 मार्च को चाक-चौबन्द सुरक्षा करने का लिखित आदेश जारी किया. किसी सरकारी दस्तावेज़ में शादमान चौक के भगत सिंह चौक के तौर पर उल्लेख का यह पहला वाकया है.  भगत सिंह पर निरंतर शोध करने वाले जे.एन.यू.के सेवानिवृत्त प्रो.चमन लाल, भगत सिंह चौक के नामकरण की घटना का उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि पकिस्तान में भगत सिंह को साम्राज्यवाद विरोधी और मजदूर वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में याद किया जाता है और बहुत सारे एक्टिविस्ट भगत सिंह के समाजवादी विचारों के कारण,उन्हें कामरेड भगत सिंह और दक्षिण एशिया का चे ग्वारा नाम से भी संबोधित करते हैं . पकिस्तान में भगत सिंह के नाम और विचार को ज़िंदा रखने वालों का इंकलाबी इस्तकबाल !


-इन्द्रेश मैखुरी

 


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