cover

अस्पताल का ढर्रा, सरकार की गाफ़िली, मरीजों की जान पर भारी !

 

यूं तो बात कुछ पुरानी हो गयी है,लेकिन बात बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण है,इसलिए चर्चा करना आवश्यक है. श्रीनगर(गढ़वाल) में श्रीकोट क्षेत्र से नगरपालिका के सभासद हैं-विभोर बहुगुणा. घटनाक्रम यूं है कि विभोर बहुगुणा की माता जी को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते 09 सितंबर को श्रीकोट स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. बेस अस्पताल में उन्हें कोरोना पॉज़िटिव पाया गया और कोरोना आईसीयू में भर्ती कर दिया गया. 21 सितंबर 2020 को उनका देहावसान हो गया. विभोर बहुगुणा का आरोप है कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद जब उनकी माता जी का शव,उन्हें सौंपा गया तो वह फटे हुए किट में पैक किया गया था. जब उन्होंने दूसरी किट मांगी तो उसकी भी चेन खराब थी. कोरोना संक्रमण के इस दौर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल की लापरवाही,किस कदर जानलेवा हो सकती है,यह सहज ही समझा जा सकता है. लेकिन इससे अधिक सनसनीखेज और हैरत में डालने वाली बात जैसे इतनी ही नहीं थी ! विभोर बहुगुणा ने आरोप लगाया कि उनकी माता जी के कानों के कुंडल और गले की चेन,अस्पताल द्वारा सौंपे गए मृत शरीर पर मौजूद नहीं थी. अगर ऐसा हुआ तो यह बेहद संगीन मामला है,संवेदनहीनता और अमानवीयता की पराकाष्ठा है !







श्रीनगर(गढ़वाल) में जिनका भी मेडिकल कॉलेज से वास्ता पड़ता है,वे जानते हैं कि विभोर बहुगुणा उस मेडिकल कॉलेज के साथ स्वयंसेवक की तरह काम करते हैं. अस्पताल और उसमें आए लोगों की मदद, उनकी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा है. वे कोई भाजपा विरोधी व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि संघ-भाजपा से उनकी निकटता है.  इसलिए यह घिसा-पिटा आरोप उन पर नहीं चिपकाया जा सकता कि वे सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा कर रहे हैं.



विभोर इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हैं. वे बताते हैं कि कोई वरिष्ठ डॉक्टर कोरोना वार्ड में जा ही नहीं रहा था.वे इंटर्न्स से फोन और व्हाट्स ऐप पर मरीज की स्थिति की जानकारी ले कर उपचार बता रहे थे.



सोचिए एक व्यक्ति जो सभासद है, रात-दिन उसी अस्पताल में रहता है, सत्ताधारी पार्टी का भी नजदीकी है,उसकी माता जी के इलाज की ऐसी स्थिति रही तो आम मरीज,जिनका कोई पहुँच-पहचान नहीं है,उनके साथ क्या होता होगा !



सामान्य लोगों के साथ उपचार की बानगी,इस माह के शुरू में देखने को मिली. 02 अक्टूबर को श्रीनगर(गढ़वाल) के घसियामहादेव निवासी शैलेंद्र सिंह खुद चल कर सीने में लगी चोट का इलाज करना मेडिकल कॉलेज गया. कोरोना नेगेटिव होने के बावजूद उसे कोरोना संदिग्ध वार्ड में भर्ती कर दिया गया,जहां शैलेंद्र सिंह की मृत्यु हो गयी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का बयान अखबारों में छपा कि शैलेंद्र सिंह को लीवर में दिक्कत थी.





यह विडंबना है कि श्रीनगर(गढ़वाल) स्थित मेडिकल कॉलेज अपनी सुविधाओं और विशेषज्ञता के लिए नहीं बल्कि हमेशा ही गलत कारणों के लिए चर्चा में रहा है. कोरोना काल में भी मेडिकल कॉलेज अपने पुराने ही ढर्रे पर है. मेडिकल कॉलेज पुराने ढर्रे पर है और  राज्य सरकार चिकित्सा सुविधाओं और उनकी बदहाली की ओर पीठ फेरे हुए है.इसकी कीमत चुकाने को आम जन अभिशप्त हैं और कई बार यह कीमत उनके प्राणों के रूप में होती है !


-इन्द्रेश मैखुरी     

Post a Comment

1 Comments

  1. This is absolutely true Indresh Bhai Ye hamare Desh or specially in Uttarakhand me hota rahega. No body is bother about a Jan Manas. So many incidents had been seen in recent past in various hospitals but Government is sleeping. This is unfortunate to our State.

    ReplyDelete