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आंखी दास के इस्तीफे के बाद भी फेसबुक का भाजपा के साथ जारी गठबंधन

फेसबुक की भारत की नीति प्रमुख आंखी दास के इस्तीफ़ा देने की खबर है. अगस्त के महीने में अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक द्वारा भारत में घृणा फ़ैलाने वाले भाजपा और उससे जुड़े लोगों के पोस्ट पर कार्यवाही न करने संबंधी विस्तृत रिपोर्ट छापी. वाल स्ट्रीट जर्नल की इस रिपोर्ट में भाजपा समर्थकों के पोस्टों पर कार्यवाही न करने के मामले में आंखी दास की भूमिका का भी उल्लेख किया था. अखबार ने फेसबुक के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से लिखा कि तेलंगना के भाजपा विधायक टी.राजा सिंह और घृणा फैलाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए चिन्हित कम से कम  तीन अन्य हिंदुत्ववादी व्यक्तियों और समूहों पर फेसबुक के घृणा वक्तव्य विरोधी नियमों को लागू करने का आंखी दास ने विरोध किया. इस रिपोर्ट के अनुसार आंखी दास का काम भारत सरकार के साथ कंपनी के लिए लॉबिंग करना भी है और उन्होंने उक्त व्यक्तियों के घृणा फैलाने वाले भाषणों पर प्रतिबंध लगाने का विरोध करते हुए कहा कि श्री मोदी की पार्टी के नेताओं पर कार्यवाही करने से भारत में कंपनी की व्यापारिक संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ेगा. रिपोर्ट  फेसबुक के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से यह भी कहती है कि आंखी दास ने चुनाव संबंधी मामलों में भाजपा के साथ सहयोगात्मक व्यवहार किया. आंखी दास के मुस्लिमों के प्रति घृणा वाले पोस्ट साझा करने की बात भी उक्त रिपोर्ट में कही गयी है. 




इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अमेरिका और भारत में मानवाधिकार समूहों और राजनीतिक पार्टियों ने फेसबुक की व्यापक आलोचना हुई और आंखी दास को हटाने की मांग ने भी जोर पकड़ा.भारत में आई.टी. संबंधी संसदीय समिति ने फेसबुक के अफसरों से सितंबर महीने में तीखे सवाल जवाब किये.


लेकिन आंखी दास के इस्तीफे के बावजूद ऐसा लगता है कि फेसबुक ने भारत में भाजपा के साथ अपने गठबंधन को जारी रखने का फैसला किया है.आंखी दास के इस्तीफे के बावजूद यह आशंका इसलिए है क्यूंकि जिस व्यक्ति को आंखी दास का कार्यभार देखने के लिए नियुक्त किया गया है,वह भी भाजपा से करीबी के लिए ही जाना जाता है.





अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ने लिखा है कि भारत में व्हाट्स ऐप के सार्वजानिक नीति निदेशक शिवनाथ ठुकराल को आंखी दास के कार्यों की जिम्मेदारी अंतरिम आधार पर संभालने को कहा गया है.गौरतलब है कि अगस्त माह में वाल स्ट्रीट जर्नल द्वारा आंखी दास की भूमिका के खुलासे के बाद 27 अगस्त 2020 को टाइम पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि  भारत में फेसबुक और व्हाट्स ऐप का इस्तेमाल घृणा और गलत सूचनाओं को फैलाने तथा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा फैलाने के लिए किया गया है. उक्त रिपोर्ट में ही इस मामले में शिवनाथ ठुकराल की भूमिका का उल्लेख किया गया था. ठुकराल सरकार के साथ  लॉबिंग और घृणा फैलाने वाले वक्तव्यों का  नियंत्रण,दोनों काम देखते हैं. रिपोर्ट बताती है कि फेसबुक में आने से पहले ठुकराल भाजपा के साथ काम कर चुके थे. 2013 में ठुकराल,भाजपा के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ “मेरा भरोसा” नाम की वैबसाइट और फेसबुक पेज चलाते थे. 2014 आते-आते “मेरा भरोसा” का नाम बदल कर “मोदी भरोसा” कर दिया गया. फेसबुक ने ठुकराल के भाजपा के साथ काम करने की तस्दीक की. रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक के पूर्व कर्मचारी मानते हैं कि ठुकराल को फेसबुक में उनकी सत्ताधारी पार्टी से निकटता के कारण ही लिया गया. मार्च 2020 में ठुकराल,व्हाट्स ऐप,भारत के भी नीति निदेशक बना दिये गए.उक्त रिपोर्ट में ही टाइम पत्रिका ने लिखा कि 2019 में जब फेसबुक पर एक भाजपा विधायक द्वारा मुस्लिमों को बलात्कारी बताने वाले पोस्ट पर बैठक में एक्टिविस्टों ने सवाल उठाए तो ठुकराल बैठक से उठ कर चले गए.



अब ठुकराल को आंखी दास के दायित्वों की अंतरिम जिम्मेदारी सौंपे जाने से फेसबुक ने स्पष्ट कर दिया है कि आंखी दास ने भले इस्तीफ़ा दे दिया हो,लेकिन भारत में घृणा अभियान फ़ैलाने वाले और सत्ताधारी भाजपा के साथ अपने गठबंधन को फेसबुक तोड़ने को राजी नहीं है. दुनिया भर में और ख़ास तौर पर अमेरिका में  भारत में घृणा अभियान  संबंधी पोस्टों के लिए आलोचना झेल रहे फेसबुक द्वारा भाजपा का समर्थकों की नियुक्ति से बाज ना आना दिखाता है कि व्यापारिक हितों के नाम पर भारत में घृणा फैलाने के अभियान में वह भाजपा के लठैत की भूमिका में बना रहना चाहता है. सोशल मीडिया के इस एंटी सोशल रवैया के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी.

-इन्द्रेश मैखुरी    


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